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Movie Review: लय से भटक जाती है 'फैन'

'बैंड बाजा बारात', 'लेडीस Vs रिकी बहल', और 'शुद्ध देसी रोमांस' जैसी फिल्में डायरेक्ट कर चुके डायरेक्टर मनीष शर्मा ने अब शाहरुख के साथ मिलकर एक अलग कंसेप्ट पर आधारित फिल्म 'फैन' का निर्माण किया है. क्या यह फिल्म दर्शकों का भरपूर मनोरंजन कर पाएगी? आइए जानते हैं.

पूजा बजाज/आर जे आलोक
  • मुंबई,
  • 15 अप्रैल 2016,
  • अपडेटेड 1:19 PM IST

फिल्म का नाम: फैन
डायरेक्टर: मनीष शर्मा
स्टार कास्ट: शाह रुख खान, वलुचा डि‍सूजा, दीपिका अमीन, योगेन्द्र टिकू, सयानी गुप्ता, श्रिया पिलगांवकर
अवधि: 2 घंटा 22 मिनट
सर्टिफिकेट: U /A
रेटिंग: 3 स्टार

'बैंड बाजा बारात', 'लेडीस Vs रिकी बहल', और 'शुद्ध देसी रोमांस' जैसी फिल्में डायरेक्ट कर चुके डायरेक्टर मनीष शर्मा ने अब शाहरुख के साथ मिलकर एक अलग कंसेप्ट पर आधारित फिल्म 'फैन' का निर्माण किया है. क्या यह फिल्म दर्शकों का भरपूर मनोरंजन कर पाएगी? आइए जानते हैं:

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कहानी
यहां कहानी दिल्ली में रहने वाले गौरव (शाहरुख खान ) की है जो बचपन से ही फिल्मों के सुपर स्टार आर्यन खन्ना (शाहरुख खान) का दीवाना है, गौरव फैन है लेकिन एक अलग तरह का. गौरव अपने सबसे बड़े फैन होने की वजह भी आर्यन तक पहुंचाना चाहता है, जिसके लिए वो दिल्ली में अपने साइबर कैफे के बिजनेस को छोड़कर मुंबई के लिए रवाना हो जाता है, लेकिन जब वो आर्यन के जन्मदिन पर उसके घर के बाहर पहुंचता है तो मुंबई में कुछ ऐसी घटनाएं घट जाती हैं जिसकी वजह से गौरव को सुपरस्टार आर्यन से नफरत होने लगती है और वो ऐसी कई सारी चीजों को अंजाम देता है जो आर्यन को एक बड़ी समस्या में डाल देती हैं. आगे कहानी में कई सारे उतार-चढ़ाव आते हैं और आखिरकार इस थ्रिलर फिल्म को अंजाम मिलता है, जिसे जानने के लिए आपको थिएटर तक जाना होगा.

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स्क्रिप्ट
फिल्म का फर्स्ट हाफ काफी उम्दा है लेकिन इंटरवल के बाद फिल्म थोड़ी बड़ी लगने लगती है, लम्बे-लम्बे चेस सीक्वेंस और कई सारी काल्पनिक घटनाएं घटने लगती है, हालांकि बेहतरीन लोकशन्स, लाजवाब सिनेमेटोग्राफी और गजब की स्क्रिप्ट फिल्म को बांधे रखती है. कहानी का अंत थोड़ा बेहतर हो सकता था.

अभिनय
शाहरुख खान ने एक बार फिर से अभिनय में 200% दिया है, खास तौर से गौरव के किरदार में शाहरुख ने जिस तरह से खुद को पेश किया है वो काबिल-ए-तारीफ है, वहीं गौरव के पिता का रोल योगेन्द्र टिकू ने अच्छा निभाया है. बाकी कलाकारों ने भी अच्छा काम किया है.

संगीत
फिल्म में कोई भी गाना नहीं, सिर्फ एक ही प्रोमोशनल सॉन्ग बनाया गया था जो पहले से ही हिट है.

कमजोर कड़ी
फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी इसका सेकंड हाफ का हिस्सा है, उसे और भी अच्छे से सजाया जा सकता था. कई ऐसी घटनाएं घटती हैं जिससे कनेक्ट कर पान काफी मुश्किल होता है. लम्बे चेसिंग सीक्वेंस बोर करने लगते हैं.

क्यों देखें
अगर आप शाह रुख खान के सबसे बड़े वाले फैन हैं, तो ही ये फिल्म देखें.

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