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फिल्म का नाम: ट्रैफिक
डायरेक्टर: स्वर्गीय राजेश पिल्लई
स्टार कास्ट: मनोज बाजपेयी, जिमी शेरगिल, दिव्या दत्ता, प्रोसेनजीत चटर्जी, परमब्रता चटर्जी, अमोल पराशर, ऋचा पनाई
अवधि: 1 घंटा 44 मिनट
सर्टिफिकेट: A
रेटिंग: 3 स्टार
साल 2011 में असली घटनाओं पर आधारित 'ट्रैफिक' नामक मलयालम फिल्म बनी थी जो उस समय काफी हिट हुई, उसके बाद डायरेक्टर राजेश पिल्लई ने लगभग 3 साल पहले उसी फिल्म की हिंदी रीमेक शुरू की जिसमें एक से बढ़कर एक सितारों ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज की, चेन्नई में हुई असल घटना से प्रेरित ये फिल्म कैसी है? आइए जानते हैं.
कहानी
मुंबई और पुणे के बीच साल 2009 में बेस्ड यह कहानी एक 12 साल की बच्ची
के हार्ट ट्रांसप्लांट की है. यह बच्ची सुपरस्टार (प्रोसेनजीत चटर्जी) और उसकी पत्नी (दिव्या दत्ता) की बेटी है. ठीक उसी समय सड़क हादसे में रिपोर्टर
(विशाल सिंह) की हालत काफी गम्भीर हो जाती है. इन हालातों में यह बात निकलकर आती है कि अगर उसके मरने से पहले हार्ट निकालकर सुपरस्टार की
बच्ची के ट्रांप्लांट के लिए पंहुचा दिया जाए तो वो बच्ची बच सकती है. और इस हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए सड़क के रास्ते से हार्ट को भेजा जाता है जिसमें
ट्रैफिक कांस्टेबल रामदास गोडबोले (मनोज बाजपई) का सबसे अहम रोल होता है जिसके ऊपर कुछ अरसे पहले घूसखोरी का इल्जाम लगाया गया था. अब
क्या ढाई घण्टे के भीतर 160 किलोमीटर की दूरी पार करके यह हार्ट ट्रांसप्लांट हो पाएगा? यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी.
स्क्रिप्ट
यह एक थ्रिलर फिल्म है जिसमें अगले पल क्या होने वाला है यह सोचने पर आप विवश रहते हैं. जिस मौके पर इंटरवल होता है वो काफी
दिलचस्प सीन है जब मनोज बाजपई की गाड़ी का संपर्क ट्रैफिक कंट्रोल रूम से टूट जाता है. कहानी काफी कसी हुई है लेकिन कुछ पल ऐसे भी आते हैं
जहां रियलिटी से थोड़ी परे भी फिल्म लगने लगती है और ड्रामा ज्यादा दिखता है.
अभिनय
फिल्म में हरेक किरदार ने अपने दिए गए रोल को बखूबी निभाया है, सुपरस्टार के रूप में प्रोसेनजीत चटर्जी, रिपोर्टर की जॉब में विशाल
सिंह, सिटी पुलिस कमिश्नर के रोल में जिम्मी शेरगिल, साथ ही माता-पिता के किरदार में सचिन खेड़ेकर और किट्टू गिडवानी ने बेहतरीन अदाकारी की है.
वहीं दिव्या दत्ता ने एक इमोशनल परफॉरमेंस दी है जिससे आप कनेक्ट करते हैं. फिल्म की अहम कड़ी हैं ट्रैफिक कांस्टेबल मनोज बाजपेयी का रोल,
जिसको देखकर लगता उम्दा अभिनय की परिभाषा समझ आती है. अंत तक यह किरदार आपको अपनी ओर आकर्षित करता है.
संगीत
फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर अच्छा है जो आपको कहानी से बांधे रखता है.