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Movie Review: खुशी और गम की कतरन है 'कपूर एंड संस'

करन जौहर के प्रोडक्शन में शकुन बत्रा ने 'कपूर एंड संस' बनाई है. आइए जानें कैसी है फिल्म...

'कपूर एंड संस' 'कपूर एंड संस'
नरेंद्र सैनी
  • नई दिल्ली,
  • 18 मार्च 2016,
  • अपडेटेड 1:38 PM IST

रेटिंगः 3 स्टार
डायरेक्टरः शकुन बत्रा
कलाकारः फवाद खान, सिद्धार्थ मल्होत्रा, आलिया भट्ट, ऋषि कपूर, रजत कपूर और रत्ना पाठक

करण जौहर की खासियत शहरी जीवन और उससे जुड़ी समस्याओं और रिश्तों के जटिलताओं की कहानियां बनाने की है. इस बार भी वे शकुन बत्रा के साथ मिलकर कुछ ऐसा ही करते नजर आते हैं. हर परिवार के कुछ राज होते हैं. कुछ कमियां होती हैं और कुछ परेशानियां होती है, कुछ खुशियां भी होती हैं.

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ऐसा ही है कपूर खानदान भी, 'कभी खुशी कभी गम' वाला. शकुन बत्रा ने एक परिवार को गढ़ा है जो अपनी कमियों और खासियतों के साथ सामने आता है. फिल्म नए दौर का फैमिली ड्रामा है. शकुन और राइटर आयशा देवित्रे ढिल्लों की यह एक अच्छी कोशिश है. लेकिन विषय अच्छा होते हुए भी स्क्रिप्ट के मामले में कहीं यह बात चुभती है कि जैसे खुशियों और गमों की कतरनें जोड़ दी गई हों.

कहानी में कितना दम
'कपूर एंड संस' की कहानी दो भाइयों फवाद खान और सिद्धार्थ मल्होत्रा की है. उन्हीं के साथ जुड़ा उनका कपूर खानदान भी है. दोनों भाइयों को अपने दादा की तबियत से जुड़ी खबर मिलती है तो वे कुन्नूर अपने घर पहुंचते हैं. वहीं उनकी मुलाकात आलिया भट्ट से होती है.

इस तरह से रिश्तों का नया ताना-बाना सामने आ जाता है. दादा ऋषि कपूर का किस्सा भी बीच-बीच में आ जाता है. रजत कपूर और रत्ना पाठक भी रिश्तों को लेकर जूझते हुए नजर आते हैं. कुल मिलाकर एक परिवार के बीच प्यार, तकरार और भावनाओं के उतार-चढ़ाव की कहानी है.

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जिसमें दो भाइयों के बीच के अलग-अलग मूड्स को दिखाने की कोशिश की गई है चाहे वह जलन हो या फिर बहुत ही ज्यादा प्यार. हालांकि फिल्म में कहीं-कहीं कॉमेडी को जबरदस्ती ठूंसने की कोशिश साफ नजर आती है. फिर ड्राइविंग सीट पर दूसरे स्टियरिंग वाला सीन गोलमाल सीरीज से उड़ाया गया है.

स्टार अपील
फिल्म में फवाद खान की एक्टिंग काबिलेतारीफ है. उन्होंने दिखा दिया है कि टीवी पर एक्टिंग कर-कर के अपनी कला में महारत हासिल कर चुके हैं. उन्होंने अपने कैरेक्टर के हर मूड को बखूबी परदे पर उतारा है. दूसरे भाई सिद्धार्थ मल्होत्रा की एक्टिंग अब भी काफी कच्ची है. वे परदे पर देखने में स्मार्ट तो लगते हैं लेकिन एक्टिंग में अभी उन्हें काफी मेहनत करनी है.

दादा के किरदार में ऋषि कपूर ठीक है, दर्शकों को गुदगुदाने की काफी कोशिश भी करते हैं लेकिन उनका मेकअप आंखों में खटकता है. इतना पैसा बेकार ही गया. रतना पाठक और रजत कपूर तो अच्छे कलाकार हैं ही. फिल्म में आलिया भी हैं. उनको ज्यादा मौका नहीं मिला है और एक्टिंग के मामले में उन्हें अब भी काफी पापड़ बेलने हैं.

कमाई की बात
'कपूर एंड संस' एक परिवार की कहानी है और यह आत्मा से पूरी तरह शहरी और मल्टीप्लेक्स ऑडियंस के लिए बनाई गई फिल्म है. इसमें फवाद और सिद्धार्थ मल्होत्रा जैसे स्क्रीन पर खूबसूरत दिखने जैसे चेहरे हैं और आलिया भट्ट भी हैं. यानी युवाओं से कनेक्शन की भरपूर कोशिश है.

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फिल्म का बजट 40-50 करोड़ रुपये के बीच बताया जा रहा है. ऐसे में फिल्म को काफी मशक्कत करनी पड़ेगी. अगले हफ्ते जॉन अब्राहम की 'रॉकी हैंडसम ' फिल्म के लिए चुनौती साबित हो सकती है. कुल मिलाकर वन टाइम वॉच है 'कपूर एंड संस'.

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