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Movie Review: विक्रम भट्ट की 'राज रीबूट' में 'राज' जैसा कुछ नहीं

विक्रम भट्ट का नाम आते ही आपके जहन में एक सवाल तुरंत दिमाग में चलने लगता है कि‍ आखिरकार अब किस तरह से वो डराने वाले हैं, और इस बार विक्रम भट्ट अपनी सफल फिल्म 'राज' की चौथी किश्त लेकर आए हैं, वैसे तो पिछले सालों में विशेष फिल्म्स की तरफ से कोई भी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अच्छा करतब नहीं दिखा पाई है, क्या 'राज रीबूट', कामयाब फिल्म साबित हो पाएगी? आइए फिल्म की समीक्षा करते हैं.

'राज रीबूट' 'राज रीबूट'
पूजा बजाज
  • मुंबई,
  • 16 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 2:31 PM IST

फिल्म का नाम: 'राज रीबूट'
डायरेक्टर: विक्रम भट्ट
स्टार कास्ट: इमरान हाशमी, कृति खरबंदा, गौरव अरोड़ा
अवधि: 2 घंटा 07 मिनट
सर्टिफिकेट: A
रेटिंग: 2 स्टार

विक्रम भट्ट का नाम आते ही आपके जहन में एक सवाल तुरंत दिमाग में चलने लगता है कि‍ आखिरकार अब किस तरह से वो डराने वाले हैं, और इस बार विक्रम भट्ट अपनी सफल फिल्म 'राज' की चौथी किश्त लेकर आए हैं, वैसे तो पिछले सालों में विशेष फिल्म्स की तरफ से कोई भी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अच्छा करतब नहीं दिखा पाई है, क्या 'राज रीबूट'  कामयाब फिल्म साबित हो पाएगी? आइए फिल्म की समीक्षा करते हैं:

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कहानी
यह कहानी शादीशुदा कपल शायना खन्ना (कृति खरबंदा) और रेहान खन्ना (गौरव अरोड़ा) की है, जिन्होंने रोमानिया में ही एक दूसरे से प्यार किया और शादी की, फिर मुम्बई चले गए, लेकिन कुछ सालों के बाद शायना की जिद पर रेहान फिर से रोमानिया आकर नौकरी करता है, इसी बीच कुछ ऐसे राज खुलते हैं, जिन्हें रेहान और शायना एक दूसरे से छुपाते रहते हैं. रोमानिया आकर जिस घर में शायना और रेहान रहते हैं उस में बार-बार शायना को किसी की आहट सुनाई और दिखाई देती है. और जब भी वो ये बात रेहान से शेयर करती है, रेहान उसकी बात को अनसुना ही करता है. कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब आदित्य श्रीवास्तव (इमरान हाशमी ) की एंट्री होती है. कई सारे राज खुलने लगते हैं और आखिरकार फिल्म को अंजाम मिलता है.

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स्क्रिप्ट
फिल्म की स्क्रिप्ट भी खुद विक्रम भट्ट ने लिखी है और फिल्मांकन के दौरान उनके अंदाज को आप भली भांति स्क्रीन पर देख भी सकते हैं. गिरीश धमीजा के लिखे हुए कुछ संवाद अच्छे भी लगते हैं. लोकेशंस कमाल की हैं, लेकिन फर्स्ट हाफ काफी धीमा है, और वहीं सेकंड हाफ में भी काफी लंबे सीन हैं जो एक हॉरर फिल्म को बोर फिल्म बनाने लगता है. मनोज सोनी की सिनेमैटोग्राफी लाजवाब है. पिछली 2-3 फिल्मों की ही तरह इस बार भी विक्रम भट्ट, कहानी से एक बार फिर मात खा गए. एक दो सीन ऐसे हैं जहां डर भी लगता है लेकिन पूर्ण रूप से यह फिल्म डरावनी कम और इमोशनल ज्यादा नजर आती है.

अभिनय
फिल्म में कृति खरबंदा का अभिनय काफी अच्छा है वहीं इमरान हाशमी अपने अहम किरदार को बखूबी निभाते नजर आते हैं.गौरव अरोड़ा की ये दूसरी फिल्म है लेकिन पिछली फिल्म के बाद उनके भीतर के अच्छे बदलाव पर्दे पर जरूर नजर आते हैं. बाकी सह-कलाकारों का काम भी सहज है.

कमजोर कड़ी
फिल्म की कमजोर कड़ी इसकी कहानी है. फर्स्ट हाफ खींचा हुआ है और इंटरवल के बाद का हिस्सा काफी हिला डुला है.

संगीत
फिल्म का संगीत रिलीज से पहले ही हिट है, फिल्म के गानों को जीत गांगुली ने बखूबी सजाया है और अरिजीत सिंह की आवाज में सुनने में ये गाने और भी मजेदार लगते हैं.

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क्यों देखें
अगर विक्रम भट्ट की फिल्मों को पसंद करते हैं, तो ही थिएटर तक जाएं.

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