
2010 में दक्षिण भारत के एक न्यूज़ चैनल ने एक कंट्रोवर्शियल वीडियो दिखाया जिसमें नित्यानंद दिख रहे थे. उस बात को हुए 12 साल हो चुके हैं और नित्यानंद के ख़िलाफ़ कई और बातें सामने आ चुकी हैं. नित्यानंद एक मीम मटीरियल में तब्दील होकर अब भगोड़ा हो चुका है. कहा जाता है कि उसने अपना एक देश शुरू कर दिया है जहां की अपनी करेंसी है और जहां जाने के लिये वीज़ा नहीं लगता.
'माय डॉटर जॉइन्ड अ कल्ट'. इस नाम से अब डिस्कवरी प्लस पर एक डॉक्युमेंट्री आयी है जो उस नित्यानंद की कहानी के पन्ने पलटती है जिसे कभी स्वामी कहा जाता था. 3 हिस्सों में बंटी ये सीरीज़ हिंदी और अंग्रेज़ी, दोनों में उपलब्ध है. अमूमन ऐसी भारी भरकम फ़ॉलोविंग वाली शख्सियतों पर जब भी कोई ऐसी रिपोर्ट/फ़िल्म/सीरीज़ आती है तो बहुत हल्ला होता है और उनके समर्थक ऐसा दिखाने की कोशिश करते हैं कि ये अमुक व्यक्ति पर कीचड़ उछालने की कोशिश है. इस मामले में ये सीरीज़ सारे नंबर कमा लेती है क्यूंकि इसमें नित्यानंद के पूर्व फ़ॉलोवर्स ही हैं जो अपनी आपबीती बयान कर रहे हैं और आंखों-देखा हाल सुना रहे हैं.
कहानी शुरू होती है 2019 से. जब नित्यानंद के पूर्व फ़ॉलोवर और उसके बेहद करीबी रह चुके एक परिवार ने आरोप लगाया कि उनके 3 बच्चों को बगैर अनुमति, नित्यानंद बेंगलुरु से अहमदाबाद ले आया. बच्चों के पिता जनार्दन शर्मा हर कोशिश करने के बाद गुजरात पुलिस के पास पहुंचे और अपनी पत्नी के साथ अहमदाबाद के आश्रम के बाहर बच्चियों से मिलने पहुंचे. बच्चियों की मां पत्रकारों के सामने रो रही थीं. उनकी चीखें आपको परेशान करती हैं. लेकिन नित्यानंद के वकील आकर नित्यानंद और आश्रम का बचाव करते हैं.
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बिज़नेस की तरह चलाता था अपने कल्ट हो
यहां से कई कहानियां एक-एक करके आपके सामने आती रहती हैं. इन सभी में दो विदेशी फ़ॉलोवर्स भी आते हैं जो नित्यानंद के साथ जुड़े थे और अच्छे-खासे वक़्त तक उसके करीबी रहे. सारा लैंड्री का केस बहुत इंट्रेस्टिंग है. इस केस के ज़रिये ये भी मालूम चलता है कि कैसे नित्यानंद सोशल मीडिया को हथियार बनाकर अपनी फ़ॉलोविंग बढ़ाना चाहता था. साफ़ मालूम चलता है कि असल में वो अपने इस कल्ट को पूरे बिज़नेस माइंडसेट के साथ चला रहा था और अपने फ़ॉलोवर्स पर ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को जोड़ने का दबाव डालता था. सारा की यूट्यूब पर अच्छी-ख़ासी फ़ॉलोविंग थी. उस वक़्त पर उसके चैनल के लगभग 50 हज़ार फ़ॉलोवर्स थे. ऐसे में उससे 10 हज़ार लोगों को जोड़ने के लिये कहा गया जिन्हें कुछ हज़ार डॉलर भी देने होते थे. इस टार्गेट को पूरा न कर पाने पर सारा को ज़लील किया गया. उन्हें बताया गया कि वो कितनी नाकारा थीं और उन्हें आश्रम में रहने का कोई हक़ नहीं था.
दूसरे विदेशी फ़ॉलोवर, जो एक समय पर नित्यानंद का सिक्योरिटी गार्ड भी बन गया था, ने आश्रम में हो रहे शोषण के बारे में बताया. वो बताता है कि कैसे लोगों को दिन भर किसी ने किसी काम में लगाये रखा जाता था और उन्हें सांस लेने की भी फुरसत नहीं होती थी. हर किसी का यही कहना था कि आश्रम में लोग 3 से 4 घंटे सोते थे और हर कोई नींद की कमी से जूझ रहा था. उसने ये भी बताया कि आश्रम में लोगों को पीटा जाता था. काम में देरी होने पर, योग न करने पर, देर से उठने जैसे चीज़ों पर एक कमरे में बंद करके लोगों को पीटा जाता था और नित्यानंद बैठकर उस पिटाई को अपनी आंखों से देखता था.
सेक्शुअल हेरेसमेंट की कई कहानियां
इस पूरे समीकरण में सेक्शुअल हेरेसमेंट का ऐंगल सबसे ख़तरनाक दिखता है. सारा लैंड्री ने बताया कि जब वो कुछ वक़्त के लिये कनाडा गयी हुई थी, नित्यानंद ने उसे फ़ेसबुक पर मेसेज किया और कुछ बातचीत के बाद उसकी नंगी तस्वीरें मांगी. सारा के विरोध करने पर उसे नित्यानंद ने बताया कि उसके विकास के लिये वो उससे ये तस्वीरें मांग रहे थे. इसके अलावा सीरीज़ में समय-समय पर ऐसे इंटरव्यू भी दिखते हैं जिसमें विक्टिम्स अपनी आपबीती बता रहे होते हैं. सेक्शुअल हेरेसमेंट के विक्टिम्स में महिला और पुरुष, दोनों ही शामिल थे.
इस डॉक्युमेंट्री का मकसद सिर्फ़ नित्यानंद के काले चिट्ठे सभी के सामने लाना भर नहीं है. जब आप इसे देखते हैं तो मालूम पड़ता है कि कैसे लोग ऐसे बाबाओं या स्वामियों के झांसे में आ जाते हैं. आसाराम और राम रहीम दो और ऐसे उदाहरण हैं जिन्होंने एक बहुत बड़े कल्ट को जन्म दिया और आज तमाम आरोपों के ऐवज में जेल में कैद हैं. डेकन क्रॉनिकल के पूर्व ब्यूरो चीफ़ भगवान सिंह ये क़ुबूल करते हैं कि जब वो नित्यानंद से मिले थे, उन्हें वाकई ऐसा लगा था कि नित्यानंद में कोई शक्ति है जिससे वो खासे प्रभावित हुए थे. ये एक उदाहरण है कि कैसे पढ़े-लिखे लोग, लॉजिक रखने वाले लोग, ऐसे इंसानों के, उनके पूरे ताम-झाम के झांसे में आ जाते हैं. जानसी रानी ने अपनी 24 साल की बेटी को खो दिया. मौत के समय वो आश्रम में ही थी और कुछ वक़्त पहले ही उसने परेशान होकर मां को फ़ोन किया था और कहा था कि वो घर आना चाहती थी. उनकी बेटी बीएससी कर चुकी थी.
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इस सभी के अलावा ये भी समझ में आता है कि कैसे प्रशासन की लापरवाही या ठोस कदम उठाने से बचने की तबीयत के चलते समय निकल जाता है और अपराधी और भी विश्वास के साथ ग़लत कामों को अंजाम देता है. हम देखते हैं कि कानून, जिसे नित्यानंद जैसे अपराधियों को समाज से दूर रखना चाहिये, असल में नित्यानंद का एक बड़ा हथियार बन जाता है. आज भी कितने ही पत्रकार, व्हिसल-ब्लोअर अदालतों के चक्कर काटने पर मजबूर हैं क्यूंकि नित्यानंद या उसके साथियों (जैसे 'मां अचला') ने उनपर केस कर रखे हैं और अदालत में कार्रवाई चल रही है.
'माय डॉटर जॉइन्ड अ कल्ट'. ये डॉक्युमेंट्री उस समय का एक ज़रूरी दस्तावेज है जिसमें स्वघोषित बाबाओं का हर जगह बोलबाला है. इन सभी ने लाखों लोगों को अपने झांसे में लिया हुआ है और कितने ही परिवारों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होता जा रहा है. पीड़ित पूर्व फ़ॉलोवर्स के बयान लोगों की आंखें खोल सकते हैं और ये सीरीज़ ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को देखनी चाहिये.