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Review: NO ज्ञान, Only मुस्कान....दिलचस्प कॉमेडी राइड का एहसास कराती है Jogira Sara Ra Ra

Jogira Sara Ra Ra Review: नवाजुद्दीन सिद्दीकी और नेहा शर्मा की फिल्म जोगीरा सारा रा रा की सबसे बड़ी खासियत यह है कि फिल्म कोई ज्ञान देने की बात नहीं करती है. फिल्म में नवाज को रोमांस करता देखना दिलचस्प रहा है.

जोगीरा सारा रा रा पोस्टर जोगीरा सारा रा रा पोस्टर
नेहा वर्मा
  • मुंबई,
  • 26 मई 2023,
  • अपडेटेड 1:29 PM IST
फिल्म:जोगीरा सारा रा रा
3/5
  • कलाकार : नवाजुद्दीन सिद्दीकी, नेहा शर्मा, संजय मिश्रा, जरीना वहाब, विश्वनाथ चैटर्जी, रोहित चौधरी 
  • निर्देशक :कुशान नंदी

एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी अपनी फिल्म जोगीरा सारा रा रा में इमेज से हटकर रोमांटिक किरदार में नजर आते हैं. फिल्म में नवाज का यह नया अंदाज दर्शकों को लुभाने में कितना कामयाब होता है. जानने के लिए पढ़ें ये रिव्यू.. 


कहानी 
बरेली के रहने वाले जोगी (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) इवेंट प्लानर हैं. वो शादी ब्याह के साथ-साथ रोका, कॉरपोरेट हर तरह के इवेंट्स के लिए पहचाने जाते हैं. भले जोगी शहर में घूम-घूमकर शादियां करवाते हैं, लेकिन शादी में होने वाले स्यापे देखकर जोगी ने कसम खा ली है कि वो जिंदगी में कभी शादी नहीं करेंगे. इसी बीच जोगी को डिंपल (नेहा शर्मा) की शादी की भी जिम्मेदारी मिलती है. उधर रेलवे में सरकारी नौकरी कर रहे लल्लू (मिमोह चक्रवर्ती) से डिंपल की शादी तय होती है. वहीं प्यार में धोखा खा चुकी डिंपल शादी नहीं करना चाहती हैं. नतीजतन डिंपल जोगी को ही कुछ जुगाड़ लगाकर शादी तुड़वाने को कहती हैं.

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जोगी और डिंपल तमाम तरह के जुगाड़ कर इस शादी को कैंसिल करवाने में लगे हुए हैं. इसी बीच डिंपल की किडनैपिंग हो जाती है. कहानी वहां से टर्न होती है, जब जोगी पर डिंपल से शादी करने का प्रेशर आ जाता है. अब यहां जोगी अपनी शादी तुड़वाने में क्या जुगाड़ लगाता है, यही कहानी का सार है. क्या जोगी अपने इरादों में सफल हो पाता है? कौन करता है डिंपल की किडनैपिंग? जोगी के शादी न करने वाली कसम के पीछे क्या राज है? यह सब जानने के लिए थिएटर की ओर रुख करें. 


डायरेक्शन 
बाबुमोशाय बंदूकबाज के बाद कुशान नंदी नवाज संग अपनी दूसरी फिल्म जोगीरा सारा रा लेकर आए हैं. कुशान और नवाज की ट्यूनिंग स्क्रीन पर भी साफ दिखती है. फिल्म में स्मॉल टाउन का फ्लेवर साफ झलकता है. कहानी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां कोई ज्ञान देने की कोशिश नहीं की गई है बल्कि सिचुएशन को कॉमेडी का फ्लेवर देकर उसे मजेदार बनाया गया है. कई ऐसे सीन्स व वनलाइनर्स हैं, जिसे सुनकर आप खुद की हंसी रोक नहीं पाएंगे. खासकर एक कैरेम सीन आता है, जहां चाचा चौधरी बने संजय मिश्रा कलर्स के हिसाब के किरादरों को आइडेंटिफाई करते हैं, वो मजेदार बन पड़ा है.

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इसके अलावा जब नवाज के चिल्लाने पर उनकी बहन वीडियो बनाने लगती हैं और कहती हैं कि ट्रोलिंग हो जाएगी, आज के मौजूदा सिचुएशन को बड़े ही मजेदार तरीके से पेश करती है. फिल्म का फर्स्ट हाफ थोड़ा स्लो है, कुछ सीन्स खींचे हुए लगते हैं. अगर उसपर एडिटिंग की कैंची चलती, तो शायद फिल्म क्रिस्प होने पर और भी मजेदार बन पड़ती. सेकेंड हाफ में ट्विस्ट के साथ फिल्म एक पेस पर निकल पड़ती है और एक बेहतरीन कॉमेडी राइड का एहसास दिलाती है. ओवरऑल देखें, तो कहानी में कुछ नयापन नहीं है लेकिन उसकी राइटिंग इसे दिलचस्प बनाती है. इसकी राइटिंग का श्रेय राइटर गालिब असद भोपाली को जाता है, जिन्होंने छोटे शहर की नब्ज को बखूबी टटोला है. 

 

टेक्निकल एंड म्यूजिक 
एक छोटे शहर को जितना कन्विंसिंग बनाया जा सकता था, वो पूरी मेहनत फिल्म में दिखी है. सिनेमैटोग्राफर सौरभ वाघमारे ने बरेली को कैमरे पर खूबसूरती से कैद किया है. जोगी का घर हो या चाचा चौधरी (संजय मिश्रा) का अड्डा, फ्रेम पर सबकुछ कन्विंसिंग लगता है. चूंकि फिल्म कॉमेडी है, तो इसके कलर टोन पर ब्राइट रंगों का भी पूरा ध्यान रखा गया है, जिससे फिल्म एक लाइट हार्टेड फ्लेवर का एहसास दिलाए. वीरेंद्र घरसे ने एडिटिंग टेबल पर थोड़ी और मेहनत की होती, तो शायद फिल्म और दिलचस्प हो जाती. म्यूजिक कंपोजर तनिष्क बागची ने अपनी जिम्मेदारी पूरी निष्ठा के साथ निभाई है. गानों में पेपीनेस और आज की लिंगो पर ख्याल रखा गया है. खासकर निक्की तंबोली और नवाज की जुगलंबदी वाला आइटम सॉन्ग मजेदार लगता है. 

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एक्टिंग 
फिल्म में जोगी बने नवाजुद्दीन सिद्दीकी को देखकर ऐसा लग रहा था कि उन्होंने एक्टर के तौर पर एक बहुत बड़ा रिस्क लिया है कि उन्होंने इसमें एक्टिंग ही नहीं की है, वो इतने रियल लगे हैं. मसलन डायलॉग्स व लाइन्स उन्होंने किसी किरदार में ढलकर नहीं बल्कि नवाज बनकर ही डिलीवर किए हैं. हमेशा से इंटेंस किरदारों के लिए पहचाने जाने वाले नवाज को यूं कॉमिक सिचुएशन में देखना फैंस के लिए ट्रीट हो सकता है. वहीं नेहा शर्मा डिंपल किरदार में जंची हैं. उन्होंने स्मॉलटाउन लड़की के ग्राफ को अच्छे से बैलेंस किया है.

हां कुछ जगहों में उनकी एक्टिंग थोड़ी लाउड लगती है लेकिन उतनी लिबर्टी उन्हें माफ है. लल्लू के रूप में मिमोह चक्रवर्ती का काम शानदार रहा. अपने इस किरदार के लिए मिमोह की फिजिकली मेहनत भी दिखी है. फिल्म देखने के बाद मिमोह की मासूमियत पर आप दिल दे बैठेंगे. यहां संजय मिश्रा सही खेल गए, मानों उन्होंने इसकी गारंटी ली हो कि वो जब भी स्क्रीन पर आएंगे, दर्शकों को हंसाए बिना नहीं जाने वाले हैं. उनका काम ऑन टॉप रहा है. दोस्त के रूप में रोहित चौधरी के काम को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. इंस्पेक्टर बने विश्वनाथ चैटर्जी ने अपना काम पूरी ईमानदारी से निभाया है. ओवरऑल फिल्म की कास्टिंग कमाल की रही, जो कहानी में मिश्री की तरह घुलती नजर आती है.  

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क्यों देखें 
एक साफ सुथरी एंटरटेनमेंट ड्रामा के लिए इस फिल्म को मौका दिया जा सकता है. गारंटी है कि फिल्म में ऐसे कई मोमेंट्स होंगे, जहां आप खुद की हंसी रोक नहीं पाएंगे. नवाजुद्दीन सिद्दीकी को हमेशा डार्क कैरेक्टर में देखने वाले फैंस के लिए उनका यह अवतार ट्रीट है. टोटल पैसा वसूल फिल्म है, इस वीकेंड प्लान बना सकते हैं. 
 


 

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