Advertisement

Review: ऑस्कर विनिंग फिल्म से प्रेरित, कन्फ्यूजिंग है 'मॉनसून शूटआउट'

नवाजुद्दीन सिद्दीकी की फिल्म मॉनसून शूटआउट  की कहानी कहने का ढंग शायद सभी को पसंद ना आये. यह दर्शकों को कन्फ्यूज करती है. फिल्म फेस्टिवल्स के टिपिकल दर्शकों के लिए अच्छी है. लेकिन आम दर्शकों को ऐसा फ्लेवर हजम करने में अभी काफी समय लगेगा.

फिल्म मॉनसून शूटआउट का सीन फिल्म मॉनसून शूटआउट का सीन
हंसा कोरंगा
  • नई दिल्ली,
  • 15 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 12:05 PM IST

फिल्म का नाम: मानसून शूटआउट

डायरेक्टर: अमित कुमार

स्टार कास्ट: नवाजुद्दीन सिद्दीकी, विजय वर्मा, नीरज कबि, तनिष्ठा चैटर्जी, गीतांजलि, सृजिता डे

अवधि: 1 घंटा 32 मिनट

सर्टिफिकेट: U/A

रेटिंग: 2.5 स्टार

डायरेक्टर अमित कुमार ने रोबर्ट एनरिको की ऑस्कर विनिंग फिल्म 'An Occurrence at Owl Creek Bridge' से प्रेरित होकर इंसान और उसके निर्णय पर आधारित फिल्म बनाने का फैसला किया था. कुछ ऐसी ही फिल्म है 'मानसून शूटआउट'. जिसमें इंसान की सोच 'ये होता तो क्या होता' वाले जोन में दिखाई गईहै. आइए फिल्म की समीक्षा करते हैं

Advertisement

कहानी

फिल्म की कहानी शूटर शिवा (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) की है जो कॉन्ट्रैक्ट किलर है और एरिया के लोकल गुंडे सागर के लिए काम करता है. वह लोगों की सुपारी लेता है. उसी समय पुलिस डिपार्टमेंट को आदि कुलश्रेष्ठ (विजय वर्मा) ज्वॉइन करता है. पहले दिन ही आदि की मुलाकात खान सर (नीरज कबि) से होती है, वो काम के दांव पेंच सीखता है. आदि अपने पिता के बताये गए सिद्धांत पर काम करता है. जो सच, झूठ और उसके बीच होने वाले क्रियाकलापों के मद्देनजर है. फिल्म में भी जब शिवा को शूट करने के लिए आदि जाता है तो उसके दिमाग में पिता के बताई हुई बातें चलती हैं. उसी आधार पर तीन अलग-अलग तरह से कहानी चलती है. आखिर में एक परिणाम आता है, जिसे जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी.

Advertisement

REVIEW: टाइम पास है फुकरे रिटर्न्स, पहली जैसी बात नहीं

कमजोर कड़ियां

फिल्म की कहानी कहने का ढंग शायद सबको पसंद ना आये, क्योंकि इंसान के सोचने के तरीके के मद्देनजर इसका फिल्मांकन किया गया है. जो कन्फ्यूज भी कर सकती है. दर्शक के तौर पर आपके सामने सवाल उठता है कि अभी तो ये इंसान जिंदा था. फिर अचानक से मौत कैसे हो गयी. फिल्म फेस्टिवल्स के टिपिकल दर्शकों के लिए अच्छी है. लेकिन भारतीय दर्शकों को ऐसा फ्लेवर हजम करने में अभी काफी समय लगेगा. वहीं फिल्म का स्क्रीनप्ले बहुत बढ़िया हो सकता था. क्योंकि वन लाइनर बहुत अच्छे हैं. लेकिन उसे फिल्माने में मेकर्श सफल नहीं हो पाए हैं.

आखिर फिल्म को क्यों देख सकते हैं

फिल्म की सिनेमेटोग्राफी कमाल की है. जिसके लिए सिनेमेटोग्राफर राजीव रवि की तारीफ होनी चाहिए. आर्ट वर्क और प्रोडक्शन डिजाइन भी बहुत बढ़िया है. नवाजुद्दीन ने जबरदस्त एक्टिंग का मुजाहिरा पेश किया है और उनके वन लाइनर आपको हसाते भी हैं. नीरज कबि जैसे माहिर अभिनेता की मौजूदगी को और भी कैश किया जाता तो दिलचस्पी और बढ़ सकती थी. विजय वर्मा ने अच्छा काम किया है. फिल्म के बाकी कलाकार तनिष्ठा चैटर्जी, गीतांजलि, सृजिता डे ने भी सहज अभिनय किया है. फिल्म की सबसे अच्छी बात इसका गाना 'पल' है, जिसे अरिजीत सिंह ने बहुत ही अच्छे से गाया है.

Advertisement

Review: कमजोर कहानी और बोरियत से भरी है सनी लियोनी की 'तेरा इंतजार'

बॉक्स ऑफिस

फिल्म का बजट 5 करोड़ से कम बताया जा रहा है. फिल्म की एक खास तरह की ऑडियंस भी है. जो शायद इसका रिव्यू पढ़कर या वर्ड ऑफ माउथ के हिसाब से ही देखना पसंद करे.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement