
जयदीप अहलावत के शो 'पाताल लोक' (2020) को इंडियन वेब सीरीज में एक पैमाने की तरह इस्तेमाल किया जाता है. ये इंडिया के बेस्ट पुलिस प्रोसीजरल शोज में से एक था जिसने कई यादगार किरदार जनता को दिए. 'पाताल लोक' का दूसरा सीजन पांच साल के लंबे इंतजार के बाद आया है. लेकिन शो का नया सीजन इस इंतजार का एक-एक मिनट पूरी तरह वसूल करवा देता है.
'पाताल लोक 2' के ट्रेलर में एक लाइन है, जब हाथीराम चौधरी (जयदीप अहलावत) को कहा जा रहा है कि 'हम गली क्रिकेट के लौंडे हैं और यहां वर्ल्ड-कप चल रहा है.' लेकिन हाथीराम इस वर्ल्ड-कप में खेलने के लिए ना सिर्फ पूरी तैयारी के साथ आया है, बल्कि वो 'मैन ऑफ द सीरीज' भी है.
नई पिच पर उतरते गेम के पुराने खिलाड़ी
सीजन 2 के ट्रेलर में एक और डायलॉग था- 'ये सिस्टम एक नाव की तरह है चौधरी. सबको पता है कि इसमें छेद है और तू उनमें से है जो इस नाव को बचाने की कोशिश में हैं.' इस बात पर एक लंबी चर्चा हो सकती है कि इंस्पेक्टर हाथीराम चौधरी नाव को बचा रहा है? या नाव में जो छेद है वो चौधरी जैसे लोग ही हैं? क्योंकि वो सिस्टम नहीं, दिल के हिसाब से चलते हैं.
चौधरी के बारे में पहले सीजन ने एक चीज पक्की कर दी थी कि ये लंबा-चौड़ा आदमी, असल में दिल से बहुत इमोशनल है. ये इमोशन ही दूसरे सीजन की गाड़ी को स्टार्ट करने वाली चाभी है. सात साल के बच्चे के साथ आई एक महिला, आउटर जमनापार थाने में एक अदद शिकायत दर्ज करवाने में जूझ रही है. दिहाड़ी पर काम करने वाले उसके पति, रघु पासवान की कोई खोज खबर नहीं है. वो परेशान है कि पति को कुछ हो गया तो बच्चे को कैसे पालेगी. तभी हाथीराम चौधरी की नजर उसपर पड़ती है और वो बच्चे को देखकर मामले पर कार्रवाई शुरू करता है.
पहले सीजन में चौधरी के जूनियर, इमरान अंसारी (इश्वाक सिंह) को आपने किसी एग्जाम की तैयारी करते देखा था. एग्जाम क्लियर हो गया है और अंसारी अब बड़ा पुलिस ऑफिसर बन चुका है. नागालैंड सदन में, नागालैंड डेमोक्रेटिक फोरम पार्टी के एक बड़े नेता जोनाथन थॉम का गला कटा मिला है. वो एक बड़ी समिट का हिस्सा बनने दिल्ली आया था, जो भविष्य में नागालैंड के विकास और वहां के लोगों को प्रगति की राह पर लाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. थॉम की हत्या की जांच अंसारी लीड कर रहा है और इस केस के तार नागालैंड में दशकों से जारी हिंसा से जुड़े हैं.
दूसरी तरफ, चौधरी को भी रघु के गायब होने का कनेक्शन नागालैंड से जुड़ता मिलता है. कहानी में ड्रग्स, नागालैंड की पॉलिटिक्स से जुड़े बड़े परिवार और वहां के अलग-अलग समुदायों का विवाद भी शामिल है. एक लड़की रोज लिजो (मेरेनला इमसोंग) इस कहानी का सेंटर पीस है और दोनों केस से उसका कनेक्शन है.
इस गुत्थी को सुलझाने नागालैंड पहुंचे चौधरी और अंसारी, अब एक ऐसी जगह पर हैं जहां का भूगोल-राजनीति-सामाजिक विज्ञान और गणित, सब उनकी समझ से बाहर है. इन्हें समझने के लिए उन्हें कुंजी बनकर मिले हैं नागालैंड पुलिस की ऑफिसर मेघना बरुआ (तिलोत्तमा शोम) और उनका जूनियर आइजैक ( बेंडांग वॉलिंग). क्या थॉम की मौत का जिम्मेदार दिल्ली को मान रहे ये दोनों चौधरी और अंसारी का साथ देंगे? क्या चौधरी, इस सारी गुत्थी में से रघु को खोज पाएगा? क्या ये गुत्थी सुलझेगी या फिर नागालैंड, चौधरी और अंसारी को निगल जाने वाला पाताल लोक साबित होगा? यही शो का मुद्दा है.
कैसा है 'पाताल लोक 2'?
पहला शो दिल्ली-मध्य प्रदेश-पंजाब के माहौल में सेट था, जो हिंदी ऑडियंस के लिए जाना-पहचाना है. लेकिन नागालैंड, दुखद रूप से, हिंदी ऑडियंस के लिए उतनी परिचित जगह नहीं है. वहां के पॉलिटिकल-सोशल कनफ्लिक्ट मीडिया में उस तरह से चर्चा में नहीं रहते कि वहां सेट इस कहानी को प्रेडिक्ट किया जा सके. ऐसे में हाथीराम चौधरी के सोचने का सिंपल तरीका और चीजों को समझने की उसकी कोशिश से 'पाताल लोक 2' की कहानी में वो सस्पेंस पैदा होता है जो कहानी से आपको बांधे रखता है.
शो की सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये नागालैंड के अपने कनफ्लिक्ट को स्क्रीन पर उतारते हुए, अपनी मेन कहानी को नहीं भूलता. ना ही ये शो ऑडियंस को अति-सरल तरीके से नागालैंड के मुद्दे समझाने की या उनपर एक 'आउटसाइडर' तरीके से कमेन्ट करने की कोशिश करता है. यहां किसी लेक्चर देते किरदार के जरिए नॉर्थ-ईस्ट के साथ होने वाले भेदभाव को एड्रेस करने की कोशिश नहीं है.
लेकिन जब भी दिल्ली में सेट किरदार, बाहर से ही नागालैंड को समझने का दावा करते दिखते हैं तो उन्हें हल्की सी झिड़की दे दी जाती है. जैसे- शो में एक सीन है जहां नागालैंड के पंगों पर परेशान होते चौधरी को नॉर्थ-ईस्ट का नक्शा दिखाकर एक सीनियर ऑफिसर पूछता है- 'पता है इसमें नागालैंड कहां है?' और चौधरी जवाब नहीं दे पाता. नागालैंड में क्या दिक्कते चल रही हैं ये एक्सप्लोर करने के लिए वहीं पर सेट किरदार बहुत हैं. डायरेक्टर अविनाश अरुण की इस काम के लिए खास तारीफ बनती है.
हाथीराम चौधरी या इमरान अंसारी लोकल लोगों, लोकल मुद्दों से सिम्पथी रखते हुए सिर्फ अपने केस पर फोकस करते हैं. इन दोनों की नजर में नई जगह के पंगों और पचड़ों को लेकर एक हैरानी है, जो बतौर ऑडियंस आपकी भी नजर बनती जाती है.
पहले सीजन की तरह, दूसरे सीजन में हाथीराम के अपने पारिवारिक मसले बहुत ज्यादा नहीं हैं. बल्कि इस बार पुलिसवालों की पर्सनल लाइफ की उलझनें और स्ट्रगल दिखाने के लिए कई किरदार हैं.
किरदारों की राइटिंग है इस शो की जान
'पाताल लोक' के पहले सीजन की सबसे बड़ी लिगेसी थे इसके किरदार. सुदीप शर्मा और राइटिंग टीम ने ऐसे किरदार लिखे थे, जो अच्छे हों या बुरे, आप उन्हें जानना-समझना चाहते हैं. ये चीज दूसरे सीजन की भी हाईलाइट है. कहानी में एक शार्प शूटर है डेनियल (प्रशांत तमांग) जो सीधा हॉलीवुड स्टाइल के रहस्यमयी किरदारों की याद दिलाता है.
नागालैंड के डेवलपमेंट के लिए चल रही सारी कोशिशों को लीड करने वाले अंकल केन (जानू बरुआ) हैं, जो शो के अंत में अपने पत्ते खोलते हैं और शॉक कर देते हैं. लेकिन आप उन्हें ब्लैक एंड वाइट में नहीं देख सकते. थॉम के बागी बेटे रुबेन (एल सी सेखोजे) को आप शुरू में समझ नहीं पाएंगे, मगर लास्ट में वो भी सरप्राइज करेगा. उसकी मां असेनला थॉम (रोजेल मेरो) की कई लेयर हैं और इन सबका कंट्रास्ट कमाल का इफ़ेक्ट पैदा करता है.
रोज की कहानी अपने आप में निराशा की परिभाषा है. मगर उसकी एक सहेली को भी आप याद रखेंगे. पिछले सीजन में चौधरी की नाक में दम करने वाला उसका सीनियर, विर्क (अनुराग अरोड़ा) एक नए रास्ते से कहानी में आता है और उसका किरदार इस बार आपको सरप्राइज करता है. आइजैक का किरदार आपको अंत में इमोशनल करेगा. हर किरदार आपको फील होगा, चाहे छोटा हो या बड़ा.
शानदार परफॉरमेंस की खान
किरदारों को यादगार बनाने के लिए दो चीजें सबसे जरूरी हैं- अच्छी राइटिंग और दमदार काम. 'पाताल लोक 2' की राइटिंग तो सधी हुई है ही और एक्टर्स ने इसे पूरी शिद्दत से निभाया है. नागालैंड में बेस्ड किरदार निभा रहे सभी एक्टर्स ने बहुत कमाल का काम किया है और इस शो को बांधे रखने में इन सभी का रोल सबसे बड़ा है. प्रशांत, वॉलिंग, रोजेल और जानू बरुआ जैसे दमदार एक्टर्स ने शो का लेवल बहुत ऊंचा किया है.
तिलोत्तमा शोम को देखकर आपको एक बार फिर ये याद आता है कि उन्हें कितना कम यूज किया जाता है जबकि वो कितनी बेहतरीन कलाकार हैं. इश्वाक सिंह से आपको एक बार फिर से कनेक्शन फील होता है. मगर 'पाताल लोक के परमानेंट निवासी' हाथीराम चौधरी के रोल में जयदीप अहलावत हमेशा परफेक्ट कास्टिंग और शानदार काम की मिसाल बने रहेंगे. वो जितना कम बोलते हैं, उनकी बॉडी लैंग्वेज उतनी ही ज्यादा असरदार है. अपनी कद-काठी से वो हाथीराम को जिस तरह स्वैग देते हैं, वो अद्भुत है. जयदीप ने हाथीराम को शो के दो ही सीजन में एक कल्ट फिगर बना दिया है.
कुल मिलाकर 'पाताल लोक' का दूसरा सीजन, एक नए इलाके में सेट कहानी और ढेर सारे नए किरदारों के बावजूद उस असर को और भी ऊपर ले जाता है जो पहले सीजन ने पैदा किया था. इसमें लेयर्स की भरमार है जो दिमाग को फंसाए रखती हैं. हाथीराम से आपको लगातार लगाव महसूस होता रहता है. नागालैंड की अनदेखी लोकेशंस शो को परफेक्ट मूड देती हैं.
कुछ लोगों को शो के मिडल में पेस थोड़ी स्लो होती हुई फील हो सकती है. लेकिन इसकी कमी अंत के 3 एपिसोड्स और क्लाइमेक्स के वक्त कहानी की स्पीड, एक्शन और थ्रिल से पूरी हो जाती है. फिनाले एपिसोड में जयदीप का काम एक अलग ही लेवल पर है, जो हमेशा उनके टैलेंट का बेहतरीन शोपीस बना रहेगा.