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Paava Kadhaigal: समाज की 'तथाकथित' प्रतिष्ठा का रियलिटी चेक, बेहतरीन उदाहरण है ये सीरीज

नेटफ्ल‍िक्स की लेटेस्ट रिलीज 'Paava Kadhaigal' समाज के उसी मान-सम्मान के मुद्दे पर बनी सीरीज है, जहां इंसान को अपने रुतबे के आगे शायद ही कुछ और दिखता हो. और जहां समाज में रहने के लिए लोगों द्वारा बनाए पैरामीटर में, प्यार के लिए कोई जगह नहीं. चार कहान‍ियों को बयां करती ये वेब सीरीज हमारे समाज का रियलिटी चेक है. आइए जानें इसका रिव्यू.

Paava Kadhaigal (कालीदास जयराम-कल्कि‍ केकलां) Paava Kadhaigal (कालीदास जयराम-कल्कि‍ केकलां)
प्रिया शांडिल्य
  • नई द‍िल्ली ,
  • 27 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 10:32 AM IST
फिल्म:Paava Kadhaigal
4/5
  • कलाकार : कालीदास जयराम, शांतनु भाग्यराज, अंजली, कल्क‍ि केकलां, पद्म कुमार, स‍िमरन बग्गा, गौतम मेनन, प्रकाश राज, साई पल्लवी, हर‍ि कृष्णन
  • निर्देशक :सुधा कोंगरा, विग्नेश श‍िवन, गौतम मेनन, वेत्रीमारन

हमने समाज बनाया और समाज में रहने के लिए कुछ नियमों को आकार दिए. अब जब बात समाज की आती है तो इसमें इंसान को अपने मान-प्रतिष्ठा का ख्याल सबसे पहले आता है. इस प्रतिष्ठा के लिए इंसान क्या-क्या नहीं करता है. कभी-कभी तो इंसान समाज में अपने रुतबे को बनाए रखने के लिए, इंसान‍ियत की सीमाओं को भी लांघ जाता है. नेटफ्ल‍िक्स की लेटेस्ट रिलीज 'Paava Kadhaigal' समाज के उसी मान-सम्मान के मुद्दे पर बनी सीरीज है, जहां इंसान को अपने रुतबे के आगे शायद ही कुछ और दिखता हो. और जहां समाज में रहने के लिए लोगों द्वारा बनाए पैरामीटर में, प्यार के लिए कोई जगह नहीं. चार कहान‍ियों को बयां करती ये वेब सीरीज हमारे समाज का रियलिटी चेक है. आइए जानें इसका रिव्यू.

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Thangam  

हमारे समाज के मुताबिक महिला और पुरुष, दो ही जेंडर हैं, इसके अलावा कोई तीसरा जेंडर समाज का हिस्सा नहीं है. Thangam उसी तीसरे जेंडर यानी किन्नर की जिंदगी और सोसायटी में उसकी अहमियत पर बनी है. यह सीरीज एक किन्नर की जिंदगी पर आधार‍ित है जो दूसरों ही नहीं बल्क‍ि खुद अपने पर‍िवार के लिए भी एक पाप और बोझ समझा जाता है. लड़की की तरह उसकी चाल-ढाल, बोलना, पसंद-नापसंद लोगों को कतई पसंद नहीं है. उसके पिता भी उसे प्यार नहीं करते, लेक‍िन गांव का एक लड़का उसे अलग नहीं समझता. उस किन्नर को उस लड़के से प्यार हो जाता है, पर वो लड़का किन्नर की बहन को पसंद करता है. अपने प्यार को कुर्बान कर वो किन्नर अपनी बहन की शादी उस लड़के से करवा देता है. 

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इस कहानी का निर्देशन सुधा कोंगरा ने किया है. इस सीरीज में एक्टर कालीदास जयराम ने किन्नर का बेहतरीन किरदार निभाया है. पान से अपने होंठो को लाल रंग देना उसे बहुत पसंद है. कालीदास के अलावा फिल्म में शांतनु भाग्यराज और भवानी श्री मुख्य किरदार में हैं. एक किन्नर की संघर्षपूर्ण जिंदगी को सुधा ने बखूबी पर्दे पर उतारा है. छोटी सी मगर किन्नर की जिंदगी की पूरी कहानी को बयां करती है सुधा कोंगरा की यह थंगम. 

Love Panna Uttranum 

गांव का एक आदमी समाज में अपनी प्रतिष्ठा, मान को बनाए रखने के लिए हर जाति के लोगों को बराबरी का दर्जा देता था. वो अंतर-जातीय विवाह करवाकर एक उदाहरण देता है कि उसके लिए सभी बराबर हैं. लेक‍िन लोगों के सामने अपने इस पहलू के पीछे उसका असली पहलू कुछ और ही होता है. वो अंतर-जातीय शादी करने वालों को मौत के घाट उतार देता है. उस आदमी की दो बेट‍ियां होती है. एक बेटी गांव में ही और दूसरी अपने पिता की इन क्रूर हरकतों से दूर शहर में रहती है. गांव में जो बेटी रहती है उसे अपने ड्राइवर से प्यार हो जाता है. उसके पिता को जब यह बात पता चलती है तो वो भारी मन से शादी के लिए मान जाता है पर बाद में वो उसकी हत्या करवा देता है. वहीं दूसरी बेटी इन सब बातों से अनजान एक साल बाद बहन की खुश‍ियों में शामिल होने आती है. उसके साथ उसकी दोस्त कल्क‍ि केकलां और एक पुरुष दोस्त आते हैं. घर पहुंचने पर उसे पता लगता है कि उसकी बहन को मार दिया गया है, तो वो अपने आप को बचाने के लिए लेस्ब्य‍िन होने का नाटक करती है. प‍िता को जब ये पता चलती है तो वो अपनी बेटी के दोनों दोस्तों को वहां जाने का मौका देता है पर बेटी को घर पर ही बंद कर लेता है. काफी समय बाद बेटी अपने पिता को उनकी गलतियों का एहसास करवाती है और समाज में जाती-धर्म की सच्चाई से रुबरू करवाती है. 

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विग्नेश श‍िवन द्वारा न‍िर्देश‍ित इस सीरीज में अंजली, कल्क‍ि केकलां और पद्म कुमार अहम भूमिका में हैं. कहानी में जेंडर और कास्ट, समाज के दो अहम पहलुओं को एक साथ पिरोया गया है. कैसे समाज में अपनी जगह बनाए रखने के लिए अपनी बराबरी की जाति से ही शादी करना आवश्यक है, ठीक वैसे ही जैसे इस बंधन के लिए एक लड़का और लड़की का ही होना आवश्यक है. यह हमारे समाज की एक कभी ना बदलने वाली सच्चाई है. 

Vaanmagal 

एक सुखी पर‍िवार होता है. दो बेट‍ियां और एक बेटा. एक दिन कुछ बदमाश छोटी लड़की को उसकी बड़ी बहन समझकर उठा लेते हैं. लेक‍िन उस छोटी सी लड़की को देखने के बावजूद उनकी वहश‍ियत कम नहीं होती और वो उस बच्ची का रेप कर देते हैं. बाद में पर‍िवार वालों को जब इस बात का पता चलता है तो वे डर जाते हैं. बच्ची के पिता और भाई पुलिस के यहां चलने की जिद करते हैं, पर उसकी मां बदनामी के डर से पुलिस के यहां जाने से मना कर देती है. इस बदनामी का डर बच्ची की मां को इतना सताता है कि वो अंत में अपनी ही बेटी को मार देती है. 

इस कहानी का निर्देशन गौतम मेनन ने किया है. सीरीज में सिमरन, गौतम मेनन और आद‍ित्य भास्कर मुख्य भूमिका में हैं. कहानी का मूल सार यही है कि अपने गांव-घर और सामज में मान-सम्मान के लिए एक व्यक्त‍ि अपनों की बल‍ि चढ़ाने से भी पीछे नहीं हटता. कैसे अपनी बेटी के साथ हुए कुकर्म को दुनिया की बदनामी से बचाने के लिए एक मां दिल पर पत्थर रखकर अपनी ही बच्ची का गला घोंट देती है, यह इस कहानी में दिखाया गया है. इस कहानी में वजह रेप और उसके बाद बदनामी के डर है, पर जरा गौर से देखें तो इनसे ऊपर समाज में उन्हें अपनी इज्जत का ज्यादा ख्याल है, जिसके लिए उसने ये कदम उठाया. 

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Vetrimaaran 

जाति-धर्म के मोह में बंधा समाज, कभी-कभी इन बेड़‍ियों में इतना जकड़ जाता है, कि उसे समाज में अपनी मान और प्रतिष्ठा, अपनों की खुश‍ियों से ज्यादा बड़ी लगने लगती है. इस कहानी में भी ऐसा ही कुछ है. एक बेटी अपने गांव में इन्हीं जाति के भेदभाव को देखती है. उसे एहसास होता है कि वह भी किसी अन्य जाति के लड़के से प्यार करती है और घरवाले कभी उसकी शादी उस लड़के से नहीं करवाएंगे. वह घर से भाग जाती है. जब उसके प‍िता को पता चलता है कि उसकी बेटी मां बनने वाली है तो वह सिर झुकाए उसके पास जाता है और गोदभराई की रस्म अदा करने उससे वापस गांव आने का अनुरोध करता है. बेटी को लगता है कि उसके प‍िता ने अब उन्हें अपना लिया है, वह आंख मूंदकर उनपर भरोसा करती है और गोदभराई की रस्म के लिए अपने मायके जाती है. पर रस्म से एक दिन पहले उस लड़की के पिता, पानी में जहर देकर अपनी ही बेटी और उसके होने वाले बच्चे को मार देते हैं. बेटी के भाग जाने से गांव-घर में जो इज्जत उन्होंने खोई थी वह उसका बदला लेना चाहता था. 

वेत्रीमारन द्वारा निर्देश‍ित यह कहानी भी सामाज‍िक प्रतिष्ठा से जुड़ी है. सीरीज में प्रकाश राज, साई पल्लवी और हर‍ि कृष्णन मुख्य भूमिका में हैं. अन्य जाति में शादी करने पर इंसान कैसे खुद को समाज से अलग-थलग महसूस करने लगता है. समाज के ठेकेदार भी इस कार्य में बराबर के हिस्सेदार होते हैं. कैसे उनकी यह मानस‍िकता, इतना क्रूर रूप ले सकती है कि उन्हें अपनी इज्जत के आगे अपने बच्चे तक नहीं दिखाए देते हैं. 

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रियलिटी चेक है 'Paava Kadhaigal'

कुल मिलाकर 'Paava Kadhaigal' एक रियलिटी चेक समाज में व्याप्त खोखली प्रतिष्ठा और रुतबे का. यह सीरीज इंसानों की बस्ती में छ‍िपे उन पहलुओं को दिखाती है जो हमारे बीच मौजूद तो है पर लोग उसे समाज में अपनी इज्जत के लिए या तो नजरअंदाज करते हैं या फिर उसपर पर्दा डाल देते हैं. किन्नर और लेस्बियन होने में कोई नहीं बुराई है और हां ये भी हमारे समाज का पर‍िपूर्ण हिस्सा है. पर लोग इसे पाप समझकर इसपर पर्दा डालते हैं. वहीं जाति और धर्म, समाज में हमारी प्रतिष्ठा का कैसे स्थान तय करते हैं, यह सोचने वाली बात है. सबसे अहम मुद्दा ''रेप'' जैसे अपराध को जानने के बाद कोई कैसे इसे इज्जत से ज्यादा तवज्जो दे सकता है.

 
 

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