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Review: शानदार टेकऑफ के बाद अजय देवगन की फिल्म 'रनवे 34' की क्रैश लैंडिंग

अजय देवगन और अमिताभ बच्चन स्टारर फिल्म रनवे 34 आखिरकार रिलीज हो गई है. इस मिस्ट्री थ्रिलर फिल्म के चर्चे लंबे समय से हो रहे थे. एक्टिंग के साथ-साथ अजय ने इसका निर्देशन भी किया है. ऐसे हमने रनवे 34 को देखा और अब बता रहे क्या है इसमें खास और किस वजह से हो सकती है ये फेल. पढ़ें हमारा रिव्यू.

फिल्म रनवे 34 में अजय देवगन, अमिताभ बच्चन, रकुल प्रीत सिंह फिल्म रनवे 34 में अजय देवगन, अमिताभ बच्चन, रकुल प्रीत सिंह
नेहा वर्मा
  • मुंबई,
  • 29 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 4:22 PM IST

बॉलीवुड की हमेशा से रियल इंसीडेंट सब्जेक्ट में दिलचस्पी रही है. अजय देवगन की रनवे भी 2015 में हुए दोहा-कोच्ची की इमरजेंसी लैंडिंग पर आधारित है. फिल्म का नाम पहले मे डे रखा गया था लेकिन दर्शकों के बीच नाम के कंफ्यूजन की वजह से इसे रनवे 34 कर दिया गया. 

कहानी 

विक्रांत खन्ना (अजय देवगन) अपनी को-पायलट तान्या (रकुलप्रीत) संग दोहा से कोच्ची की उड़ान भरता है. स्काइलाइन 777 की इस फ्लाइट में विक्रांत, सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर, एक अस्थमा पेशेंट मां और उसकी बेटी, एक मां और अपने दो महीने का बच्चा, एविएशन जर्नलिस्ट जैसे 150 पैसेंजर्स के साथ अपनी उड़ान तय करता है. हालांकि इस फ्लाइट का सफर उस वक्त भयावह हो जाता है, जब खराब मौसम की वजह से इसकी लैंडिंग में दिक्कतें आने लगती हैं. अपने को-पायलट के सजेशन को न मानते हुए विक्रांत न केवल अपना लैंडिंग डेस्टिनेशन बदलता है बल्कि इस दौरान मे डे (MayDay) का भी मैसेज भेजता है. सेफ लैंडिंग होने के बावजूद विक्रांत पर जांच बैठती है. इस जांच के दौरान विक्रांत के साथ क्या-क्या होता है, इसके लिए आपको ये फिल्म देखनी होगी. 

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डायरेक्शन 

अजय देवगन फिल्म शिवाय की रिलीज के 6 साल बाद डायरेक्शन में लौटे हैं. फिल्म का मजबूत पक्ष उसका टेक्निकल पहलू है. कहानी आपको फर्स्ट हाफ तक पूरी तरह बांधे रखती है. छोटे से कॉकपिट में 6 कैमरा सेटअप के साथ शूटिंग और फिल्म का ओपनिंग शॉट जहां कैमरा रनवे से लेकर एयर ट्रैफिक कंट्रोलर तक पैन किया जाता है, वो वाकई अजय के डायरेक्शन को लेकर पैशन को दर्शाता है. फ्लाइट की लैंडिंग तक आप अपनी सांसें रोके रखते हैं. फर्स्ट हाफ जहां अपने थ्रिल की वजह से आपको रोमांचित करता है, तो वहीं सेकेंड हाफ का कोर्ट रूम ड्रामा थोड़ा बोर कर देगा. आमने-सामने खड़े दो उम्दा एक्टर अमिताभ बच्चन और अजय देवगन की बहस भी जरूरी रोमांच पैदा नहीं कर पाती. सेकेंड हाफ में कहानी में कुछ बिखराव है. यहां राइटिंग का कमजोर पक्ष साफ नजर आता है. फिल्म का वीएफएक्स, असीम बजाज की सिनेमैटोग्राफी और अमर मोहिले का बैकग्राउंड म्यूजिक इसका मजबूत पक्ष है. 

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एक्टिंग 

डायरेक्शन का भार संभालने के बावजूद अजय देवगन ने एक्टिंग से कोई समझौता नहीं किया है. वे पूरी फिल्म में काफी स्टाइलिश लगे हैं. इनवेस्टिगेशन ऑफिसर के रूप में नारायण वेदांत (अमिताभ बच्चन) अपने पुराने स्टाइल में जमे हैं. हां लेकिन उनका जरूरत से ज्यादा क्लिष्ट हिंदी बोलकर उसे ट्रांसलेट करना बिल्कुल भी नहीं पचता है. रकुलप्रीत ने अपने किरदार में जान फूंक दी है. बोमन ईरानी, अंगीरा घर और अकांक्षा सिंह ने भी अपने किरादर के साथ पूरा न्याय किया है. 

क्यों देखें-अजय देवगन के फैंस उनके डायरेक्शन और एक्टिंग के साथ-साथ रनवे पर लैंडिंग के रोमांच के लिए यह फिल्म देख सकते हैं.

 

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