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सलमान खान ने अपने फैंस को भारत की रिलीज के साथ ईद का तोहफा दे दिया है. इस फिल्म में वो सब है जो एक मनोरंजन करने वाली मसाला फिल्म में होना चाहिए. या यूं कहें सलमान खान ने एंटरटेनमेंट का पूरा पैकेज बनाकर भारत का तोहफा तैयार किया है. ये फिल्म सलमान के फैंस के लिए तो ब्लाकबस्टर है, इसमें दो राय नहीं है. लेकिन अली अब्बास जफर के डायरेक्शन में बनी फिल्म असल में कैसी है,पढ़ें रिव्यू.
सलमान खान की भारत शुरू होती है आजादी के दिन 15 अगस्त 1947 से. इस दिन जन्म होता है भारत का (सलमान खान का जन्मदिन). अब जब बर्थडे है तो सेलिब्रेशन भी होगा, तो इस सेलिब्रेशन की शुरुआत होती है अटारी बॉर्डर पर पूरे परिवार के साथ जाकर, चलती ट्रेन के पीछे भागते हुए केक काटने से. लेकिन केक काटने से पहले भारत सुनाता है घर के बच्चों को अपनी कहानी, बस यहीं से कहानी चल पड़ती है.
ये कहानी है भारत-पाकिस्तान के उस बंटवारे की जिसमें भारत यानी सलमान ने अपने स्टेशन मास्टर पिता (जैकी श्रॉफ) और छोटी बहन को खो दिया. 10 साल का भारत दोनों की तलाश शुरू करता है और वो 70 साल का हो जाता है. इस बीच भारत की जर्नी, सर्कस से अरब और माल्टा से होते हुए हिंदुस्तान तक आती है. इस बीच उसे मिलते हैं कई किरदार, जो कहानी में अहम मोड़ लाते हैं जैसे मैडम सर (कटरीना कैफ), विलाइती (सुनील ग्रोवर), आसिफ शेख.
कहानी में कितना दम
फिल्म सलमान खान की हो तो सिनेमा के तमाम कायदे सलमान की मौजूदगी के आगे उनके प्रशसंकों को कम नजर आते हैं. वैसे फिल्म की कहानी पर पैनी नजर डालें तो एक शख्स भारत के इर्द-गिर्द ही सारे किरदार लिखे गए हैं. हालांकि सलमान की पिछली फिल्म रेस 3 की तुलना में भारत की कहानी सुलझी हुई है. इस बार फिल्म में एक्शन जीरो है और इमोशनल ड्रामा भरपूर है. ड्रामा कहीं कहीं बहुत ज्यादा हो गया जो यथार्थ नजर नहीं आता. जैसे सलमान का अरब पहुंचना और फिर माल्टा में दिखना. एक ही आदमी के सर्कस से लेकर नेवी तक का सफर फिल्मी ज्यादा नजर आता है. खैर स्क्रिप्ट में एंटरटेनमेंट का फुल मसाला है. और कहानी को भी उसी के लिहाज से बुना गया है. अब सलमान हैं तो सब मुमकिन है. फिल्म में डायलॉग्स अच्छे हैं, कॉमेडी का तड़का भी जबरदस्त है.
अदाकारी
सलमान खान की अदाकारी की बात की जाए तो वे प्रभावित करते हैं. पूरी फिल्म में सलमान रौब देखने लायक है. लेकिन 70 साल के बूढ़े सलमान को देखना काफी फनी है. इस लुक में सलमान को देखकर हंसी ज्यादा आती है. सफेद दाढ़ी बाल लगाने से कोई बूढ़ा हो सकता है क्या? कटरीना का रोल उनकी पुराने रोल्स की तुलना में अच्छा है. मगर फिल्म में जो असली पंच है वो हैं सुनील ग्रोवर. सुनील की कॉमिक टाइमिंग जबरदस्त है. वे कई बार फिल्म बचाते नजर आते हैं. आसिफ शेख का रोल भले ही छोटा हो, लेकिन पॉवरफुल है. तब्बू, सोनाली कुलकर्णी ने भी अपने किरदारों के साथ बखूबी इंसाफ किया है.
अली अब्बास जफ़र के निर्देशन की इसलिए भी तारीफ करनी चाहिए कि उन्होंने भारत की कहानी को बोझिल नहीं होने दिया है. संपादन और लोकेशन कई जगह प्रभावी हैं.
कुल मिलाकर सलमान के प्रशंसकों को भारत की कहानी बेहद पसंद आएगी. ईद पर फिल्म का रिलीज होना निर्माताओं के लिए फायदेमंद सौदा है. बॉक्स ऑफिस पर भारत बंपर कमाई करे तो हैरान नहीं होना चाहिए.