
पैसे कमाना किसे नहीं पसंद? कौन ऐसा है जो अपनी जिंदगी में ढेर सारा पैसा या ऐश और आराम नहीं चाहता? लेकिन आपके और हमारे जैसे लोगों को आराम की जिंदगी कमाने में सालों लग जाते हैं. वहीं दुनिया में कई ऐसी लोग भी हैं जिन्हें आराम की जिंदगी में कई पीढ़ियां लग जाती हैं. फिल्म सीरियस मेन के अय्यन मणि यानी नवाजुद्दीन सिद्दीकी भी उन्हीं लोगों में से हैं.
क्या है फिल्म की कहानी?
अय्यन के पिता अनपढ़ थे, खेतों में काम करते थे. अय्यन पढ़ा-लिखा है लेकिन बड़ा आदमी बनने के लिए वो शायद ही कुछ कर सकता है. इसलिए वो अपने बच्चे को बड़ा आदमी बनाने के सपने देख रहा है. छोटी जात का होने के कारण अय्यन ने अपनी पूरी जिंदगी गालियां ही खाई हैं. वो नेशनल फंडामेंटल रिसर्च सेंटर के साइंटिस्ट डॉक्टर अरविंद आचार्य का पर्सनल असिस्टेंट है. डॉक्टर आचार्य उससे कभी इज्जत या प्यार से बात नहीं करते. अपनी पूरी जिंदगी मोरॉन, इम्बेसिल और नॉबहेड जैसी गालियां खाने के बाद उसने भी बॉस और उनके जैसे अमीर और बड़े लोगों के नाम सीरियस मैन रख दिए हैं.
अय्यन के घर बेटे का जन्म होता है और वो अपने बेटे आदि (अक्षत दास) को बड़ा आदमी बनाने की कोशिश में लग जाता है. अय्यन एक बेहद चालाक आदमी है, जो अपने ऑफिस से सुनकर आई बातें अपने बेटे को सिखाता है. उसका बेटा उसकी चलती फिरती गुड़िया है या कहें कि उसका ह्यूमन रोबॉट है तो गलत नहीं होगा. अय्यन उसे जो बोलने के लिए बोलता है और बोलता है. इसके चलते उसे लोकल पॉलिटिशियन से भी प्यार मिल रहा है और आदि अपने स्कूल का भी टॉपर बन गया है. लेकिन अय्यन और आदि का ये फ्रॉड कितने समय तक चल पाएगा?
नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने जीता दिल, अक्षत भी नहीं पीछे
अय्यन मणि के किरदार में नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने कमाल किया है. उनका किरदार काफी चालाक और धूर्त है और उसे नवाज में बखूबी निभाया है. अय्यन एक ऐसा पिता है जो अपने बेटे के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए कोई भी बड़ा काम कर सकता है. लेकिन अपने बेटे को समझने में वो पीछे रह जाता है. बड़ा आदमी बनने की उसकी भूख उसपर हावी है. नवाजुद्दीन उस भूख और बेकरारी को बखूबी पर्दे पर उतारते हैं. उनकी आंखें कमाल का काम करती हैं.
फिल्म में अय्यन मणि की पत्नी का किरदार इंदिरा तिवारी ने निभाया है. इंदिरा का किरदार अपने पति और बेटे के स्कैम से अनजान है. वो बेटे को बाकी दुनिया की तरह सही में जीनियस समझती है. उनका अपना काम अच्छे से किया है. नवाज के साथ उनकी केमिस्ट्री काफी अच्छी थी. आदि मणि के किरदार में अक्षत दास ने बढ़िया काम किया है. अपने पिता के सपनों के बोझ तले दबा एक 9 साल का बच्चा, जो चीजों को सीखने से ज्यादा रट्टा मारने पर ध्यान दे रहा है. उसके पास और कोई चारा भी नहीं है. उसका एक कदम, एक बात, एक गलत इंसान को लगी उसके बेवकूफ होने की भनक उसका और उसके पिता के खेल का काम तमाम कर सकती है. आदि के टैलेंटेड होने से उसके परेशानी में अपना माथा पीटने तक हर सीन में अक्षत बहुत अच्छे लगे हैं. उनकी एक्टिंग आपको सच्ची लगती है और आप उनसे जुड़कर आदि के लिए बुरा महसूस भी करते हो.
फिल्म में नसीर, श्वेता बासु प्रसाद और संजय नार्वेकर जैसे सितारे सपोर्टिंग कास्ट में हैं. इन सभी ने अपना काम अच्छे से किया है. डायरेक्टर सुधीर मिश्रा ने सीरियस मेन के जरिए छोटी जात के लोगों के साथ होने वाली बातों पर प्रकाश डाला है. कैसे बड़ा और पढ़ा-लिखा आदमी कुछ भी बोलकर निकल जाए और उसे कुछ नहीं कहा जाता वैसे छोटा आदमी नहीं कर सकता और यही बात फिल्म में दिखाई गई है. इस व्यंग्य की शुरुआत उन्होंने बहुत अच्छे से की थी, लेकिन एक समय पर आकर ये फिल्म आप पर हावी होने लगती है. अचानक से बहुत भारी लगने लगती है. फिर भी इसकी परफॉरमेंस और अलग कहानी इसे देखने लायक बनाते हैं. इस फिल्म की एडिटिंग, इसमें लाइटिंग का इस्तेमाल और सिनेमेटोग्राफी काफी अच्छी है. और हां, इस फिल्म का गाना रात है काला छाता अपने आप में अनोखा ही है.