
बॉलीवुड की कुछ ही ऐसी ही फिल्में रहती हैं जिनको लेकर बज जबरदस्त बन जाता है. रोहित शेट्टी की कोई फैमिली एंटरटेनर फिल्म हो, तो ऐसा होना और ज्यादा लाजिमी लगता है. अक्षय कुमार की सूर्यवंशी तो काफी पहले ही रिलीज हो जानी थी. लेकिन कोरोना ने रिलीज डेट को लगातार पोस्टपोन किया. फिल्म की मार्केटिंग के लिहाज से तो ये भी सही ही रहा. सूर्यवंशी का जितना इंतजार बढ़ा, लोगों की बेचैनी भी बढ़ती गई. असर ये हुआ कि मॉर्निंग शो भी हाउसफुल जा रहे हैं. लेकिन आगे जाएंगे कि नहीं, ये हमारा रिव्यू बताएगा...
कहानी
1993 में मुंबई सीरियल ब्लॉस्ट से दहल उठा था. 400 किलो RDX ने मायानगरी की तस्वीर हमेशा के लिए बदलकर रख दी. तब इंस्पेक्टर कबीर श्रॉफ ( जावेद जाफरी) ने सिर्फ दो दिन के अंदर कई आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. लेकिन एक डर लगातार बना रहा- 1000 किलो RDX लाए, इस्तेमाल हुआ 400 किलो तो बचा हुआ 600 किलो कहा है? अब सूर्यवंशी की कहानी इसी 600 किलो RDX के इर्द-गिर्द घूमती है. इंटेलिजेंस ने खबर दे दी है कि इस बार आतंकियों के निशाने पर मुंबई है और फिर 1993 जैसे ब्लॉस्ट करने की तैयारी है. मुंबई को बचाना है, मासूम लोगों को सुरक्षित करना है, इसलिए ATS इंस्पेक्टर सूर्यवंशी ( अक्षय कुमार) को बुला लिया जाता है.
अब सूर्यवंशी के काम करने का स्टाइल कुछ ऐसा है कि उसे सिर्फ अपनी ड्यूटी से मतलब रहता है. परिवार है, एक पत्नी है जो डॉक्टर है ( कटरीना कैफ), बेटा भी है, लेकिन सूर्यवंशी का सारा वक्त आतंकियों को पकड़ने में चला जाता है. ऐसे में हर मिशन में उसका सक्सेस रेट काफी ज्यादा रहता है. इस बार भी उसे मुंबई को आतंकियों से बचाना है. कैसे करेगा, बदले में कितनी कुर्बानियां दी जाएंगी, क्या मुंबई सुरक्षित हो पाएगा या नहीं....149 मिनट में रोहित शेट्टी की फिल्म इन सवालों के जवाब देगी.
दिमाग घर पर छोड़ गए, फिर भी धोखा!
रोहित शेट्टी की फिल्म थी, लिहाजा सोचकर गए थे कि दिमाग घर पर छोड़ना है, फिजिक्स भूल जानी है और सिर्फ एन्जॉय करना है. इस माइंडसेट से थिएटर के अंदर गए थे, लेकिन बाहर नहीं आ पाए. सूर्यवंशी की कहानी उसकी सबसे कमजोर कड़ी निकली है. कमजोर इसलिए क्योंकि कहानी है ही नहीं. इस फिल्म के सिर्फ दो सिरे हैं- पहला अक्षय कुमार और दूसरा वो आतंकवादी. दोनों की किसी भी तरह भिंड़त करवानी है, अक्षय को जितवाना है और हैपी एंडिंग हो जानी है. अब अगर रोहित शेट्टी कुछ मिर्च-मसाला डालते, कहानी पर थोड़ा काम करते तो शायद ये पहलू भी फिल्म के फेवर में चले जाते. लेकिन ऐसा नहीं किया गया और ये फिल्म एकदम सपाट खत्म हो ली.
अक्षय कुमार मिसफिट, बाकी स्टार्स का क्या हाल?
सूर्यवंशी का एक्टिंग डिपार्टमेंट भी निराश कर गया है. कहने को अक्षय कुमार लीड में हैं, लेकिन इस किरदार में वो उतना जंचे नहीं. ट्रेलर देख जरूर कुछ उम्मीद जागी थी. उनकी पुरानी खिलाड़ी वाली फिल्में भी याद आई थीं. लेकिन फिल्म देख ऐसा लगा कि उनके किरदार के साथ काफी खेला जा सकता था. सिंघम वाला किरदार इसलिए चला क्योंकि उसके कई शेड्स थे, सिंबा इसलिए पसंद किया गया क्योंकि उसकी एक अलग पहचान थी. लेकिन अक्षय कुमार और उनकी सूर्यवंशी वाले किरदार को अलग पहचान नहीं दी गई. ना कोई ऐसा डायलॉग है और ना ही कोई सिग्नेचर स्टेप. ऐसे में ये किरदर दमदार नहीं कहा जा सकता.
आतंकियों के सरगना बने जैकी श्रॉफ भी कुछ फीके लगे हैं. स्क्रीन टाइम तो कम दिया ही गया है, किरदार भी कहानी के लिहाज से कमजोर लगता है. दूसरे आतंकियों के रोल में कुमुद मिश्रा, अभिमन्यु सिंह, निकितिन धीर भी ठीक-ठाक कहे जाएंगे. कमाल कर गए नहीं कह सकते, बस औरत काम कर लिया है. रोहित शेट्टी की फिल्म है, इसलिए फीमेल लीड को कोई जगह नहीं दी गई. कटरीना कैफ को सिर्फ एक रीमेक गाने में डांस करवाया गया है. गाना दो से तीन मिनट का है, वहीं उनका स्क्रीन टाइम भी है. बाकी फिल्म में वे आती-जाती रहती हैं. पुलिस इंस्पेक्टर के रोल में जावेद जाफरी फिर भी बढ़िया कहे जाएंगे. हमेशा उन्हें कॉमेडी फिल्मों में देखते हैं, ऐसे ये रोल कुछ हटकर है और उन्होंने अच्छा काम किया है.
रोहित शेट्टी से क्या चूक हुई?
रोहित शेट्टी को लेकर कहा जाता है कि उन्हें वो सीक्रेट मालूम है जिससे एक औसत कहानी वाली फिल्म को भी सुपरहिट बनाया जा सकता है. लेकिन सूर्यवंशी के साथ ऐसा होगा, मुश्किल लगता है. फिल्म की सबसे बड़ी USP एक्शन सीन्स रहने थे, लेकिन फिल्म में वो भी ज्यादा एंटरटेन नहीं कर पाए हैं. वैसे इस बार तो पिछली फिल्मों की तुलना में गाड़ियां भी कम उड़ी हैं, ऐसे में वो एलीमेंट भी मिस करेंगे. अब फिल्म के वो आखिरी तीस मिनट जब सूर्यवंशी को सिंघम (अजय देवगन) और सिंबा ( रणवीर सिंह) का साथ मिलता है. ये सूर्यवंशी की सबसे बड़ी हाइलाइट है लेकिन एग्जीक्यूशन इतना अच्छा नहीं है. इन तीनों के साथ में आने से एक्साइटमेंट बढ़ता जरूर है, लेकिन एक्शन सीन्स कम इंटेनसिटी के हैं जिस वजह से बड़ा धमाका नहीं हो पाता. बीच-बीच में तीनों की जुगलबंदी पसंद आ सकती है.
ऐसे में सूर्यवंशी एक फैमिली वाली फिल्म तो है, लेकिन सभी को एंड तक बांधकर नहीं रख पाती. और वैसे भी जिस मसाले की दरकार आपको रहेगी, वो रोहित शेट्टी की सूर्यवंशी नहीं देने वाली. अब इंतजार कीजिए सिंघम 3 का जब अजय देवगन पाकिस्तान में जाकर दहाड़ लगाएंगे...