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Tiku Weds Sheru Review: कुछ नया ऑफर नहीं करती नवाजुद्दीन सिद्दीकी-अवनीत कौर की फिल्म

बड़े पर्दे पर कई बार जूनियर आर्टिस्ट्स की जिंदगी पर फिल्में बनाई जा चुकी हैं. उनकी जिंदगी की मुश्किलों को हमने कई बार बड़े पर्दे पर देखा है. अब नवाजुद्दीन सिद्दीकी की फिल्म टीकू वेड्स शेरू भी रिलीज हो गई है. इसमें क्या है खास और कैसी है अवनीत कौर और नवाज की परफॉरमेंस पढ़िए हमारे रिव्यू में.

नवाजुद्दीन सिद्दीकी, अवनीत कौर नवाजुद्दीन सिद्दीकी, अवनीत कौर
पल्लवी
  • नई दिल्ली,
  • 24 जून 2023,
  • अपडेटेड 11:47 AM IST
फिल्म:टीकू वेड्स शेरू
1.5/5
  • कलाकार : नवाजुद्दीन सिद्दीकी, अवनीत कौर
  • निर्देशक :साई कबीर

बॉलीवुड में कई बार स्ट्रगलिंग और जूनियर आर्टिस्ट्स की जिंदगी पर फिल्में बनाई जा चुकी हैं. उनकी जिंदगी की मुश्किलों को हमने कई बार बड़े पर्दे पर देखा है. ऐसे में जब नवाजुद्दीन सिद्दीकी की फिल्म टीकू वेड्स शेरू का ट्रेलर आया तो सभी के मन में सवाल था कि आखिर इसमें नया क्या होगा. पढ़िए हमारा रिव्यू और जानिए.

क्या है फिल्म की कहानी?

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ये कहानी है शिराज अफगानी उर्फ शेरू (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) की, जो फिल्म इंडस्ट्री का जूनियर आर्टिस्ट है. शेरू खुद को बड़ा स्टार बनते देखना चाहता है, लेकिन उनके सितारे उसका साथ नहीं दे रहे. क्योंकि वो जूनियर आर्टिस्ट है, तो उसकी खास इज्जत भी नहीं है. उसे जहां कहा जाए तो बैठता है, जहां कहा जाए खड़ा होता है. अगर वो ऐसा ना करे तो उसे डांट सुनने को मिलती है या फिर प्रोजेक्ट से ही बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है. एक आर्टिस्ट के तौर पर शेरू आसानी से रिप्लेस हो सकता है. इंडस्ट्री से खास सफलता ना मिलने की वजह से वो साइड में ड्रग्स और लड़कियों का धंधा करता है.

दूसरी तरफ है टीकू (अवनीत कौर), जो भोपाल की तेज-तर्रार और बिगड़ैल लड़की है. टीकू अपने टॉक्सिक घर को छोड़कर बड़ी सुपरस्टार बनना चाहती है. उसे अपना बिग टिकट मिलता है शेरू के साथ, जो फिल्म फाइनैन्सर होने का झूठ उसके परिवार से बोलता है. दोनों की शादी होती है और शेरू को दहेज में पैसे मिलते हैं. इन पैसों से वो अपने पीछे पड़े गुंडों का लोन चुकाकर छुटकारा पाता है. इसके बाद शुरू होती है शेरू और टीकू की प्रेम कहानी. दोनों की इस कहानी में तूफान तब आता है जब टीकू के सामने इंडस्ट्री का काला सच आ जाता है और शेरू को ड्रग्स बेचने के मामले में जेल हो जाती है.

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डायरेक्टर साई कबीर की इस फिल्म में ना तो अच्छा फ्लो है और ना ही इसके सीन्स अच्छे से बंधे हुए हैं. दो स्ट्रगल करने वालो की लव स्टोरी तक ठीक है. लेकिन इसके आगे ये फिल्म खुद स्ट्रगल करती है. फिल्म का स्क्रीनप्ले इसके साथ न्याय नहीं करता. इस फिल्म से आपको कुछ भी नया नहीं मिलता, जो आपने पहले ऐसी कहानियों में ना देखा होगा.

नवाज-अवनीत का काम है बढ़िया

नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने अपने किरदार को अच्छे से निभाया है. अपने चमकीले कपड़ों और बिंदास अंदाज के साथ नवाज शेरू के किरदार में एकदम सही फिट होते हैं. उनकी डायलॉग डिलीवरी के भी क्या कहने. फिल्म में वो एक डायलॉग बोलते हैं- हम जब मिलते हैं दिल से मिलते हैं, वरना ख्वाब में भी मुश्किल से मिलते हैं. नवाज के मुंह से ये डायलॉग सुनकर अच्छा लगता है. फिल्म में अपने रोल को उन्होंने सही अंदाज में निभाया है. 

अवनीत कौर का डेब्यू काफी अच्छा रहा. उनकी बढ़िया परफॉर्मेंस बताती है कि इंडस्ट्री को एक और अच्छा आर्टिस्ट मिल गया है. एक तेज तर्रार लड़की के रूप में अवनीत का काम कमाल है और एक टूटी हुई महिला के रूप में भी वो अपने आप को अच्छे से संभालती हैं. फिल्म के कुछ सीन्स में अवनीत शाइन करती हैं, उन्हें रोता देख आपके दिल में भी दर्द होता है. दोनों एक्टर्स ने काम जरूर अच्छा किया है लेकिन उनकी जोड़ी और रोमांस फिर भी अटपटा ही लगता है. अच्छी परफॉरमेंस के अलावा इस फिल्म में कुछ भी खास और नया नहीं है.

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