
अगर जेम्स कैमरून फिल्म बना रहे हैं, तो इतना तय है कि उसका स्केल बहुत ग्रैंड होने वाला है और कहानी आपको सीट से चिपकाए रखेगी. 'द टर्मिनेटर' (1984), 'एलियंस' (1986) और 'टाइटैनिक' (1997) जैसे शाहकार बना चुके कैमरून ने पिछले 27 सालों में 'अवतार' फ्रैंचाइजी के अलावा कोई बड़ी फीचर फिल्म ही नहीं बनाई है.
मगर अब कैमरून अपने जादूई संसार से बाहर आने को तैयार हैं और उनका अगला प्रोजेक्ट इसी रियल संसार की सबसे भयानक घटनाओं में से एक पर बेस्ड है. और इस प्रोजेक्ट की डिटेल्स के साथ कैमरून का नाम सुनकर ही आपका दिमाग सीधा ये सोचने लगेगा कि उनके विजन के साथ बड़े पर्दे पर ये कहानी लगेगी कैसी!
क्या है जेम्स कैमरून का नया प्रोजेक्ट?
जेम्स कैमरून ने हाल ही में डेडलाइन के साथ अपने अगले प्रोजेक्ट की डिटेल्स शेयर की हैं और इनका तगड़ा कनेक्शन पिछले साल के सबसे चर्चित हॉलीवुड प्रोजेक्ट्स में से एक 'ओपेनहाइमर' से भी है.
'ओपेनहाइमर' की कहानी साइंटिस्ट जे. रॉबर्ट ओपनहाइमर की लाइफ पर बेस्ड थी जिन्होंने दूसरे वर्ल्ड वॉर में अमेरिका को, दुनिया के पहले न्यूक्लियर बम बनाने में मदद की थी. वही बम जो अमेरिका ने जापान के दो शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए थे. लेकिन फिल्म में सिर्फ कहानी का अमेरिकन हिस्सा ही था. उन दो एटॉमिक बमों की वजह से जापान पर क्या बीती, उसकी कहानी 'ओपेनहाइमर' में नहीं थी.
फिल्म के प्रमोशन पर जब डायरेक्टर क्रिस्टोफर नोलन से इस बारे में सवाल किया गया तो इस बात की उम्मीद जताई कि कोई और डायरेक्टर कहानी के उस पहलू को बड़ी स्क्रीन पर लेकर आएगा. तो ये जिम्मा अब 'अवतार' डायरेक्टर जेम्स कैमरून संभालने जा रहे हैं. कैमरून ने चार्ल्स पेलेग्रीनो की आने वाली किताब 'घोस्ट्स ऑफ हिरोशिमा' के राइट्स खरीद लिए हैं, जो जापान पर एटॉमिक बम गिराए जाने की 80वीं एनिवर्सरी पर, अगस्त 2025 में आएगी.
साथ ही कैमरून ने पेलेग्रीनो की 2015 में आई किताब 'लास्ट ट्रेन फ्रॉम हिरोशिमा' के राइट्स खरीदे हैं. उन्होंने कहा है कि जैसे ही वो 'अवतार'के प्रोडक्शन से फ्री होंगे, इन दोनों किताबों को एक थिएट्रिकल फिल्म की शक्ल देने पर जुट जाएंगे. फिल्म का नाम होगा 'लास्ट ट्रेन फ्रॉम हिरोशिमा'.
कैमरून ने इस आदमी को दिया है फिल्म बनाने का वादा
कैमरून की अगली फिल्म, दूसरे वर्ल्ड वॉर के दौरान एक जापानी आदमी की रियल कहानी पर आधारित होगी जो जापान पर गिराए गए दोनों एटॉमिक बमों से बचकर निकला. उन्होंने बताया कि वो इस सब्जेक्ट पर कई सालों से फिल्म बनाना चाहते हैं मगर इसे बनाने के तरीके पर स्ट्रगल कर रहे थे.
कैमरून ने डेडलाइन को बताया, 'मैं सुतोमू यामागुची (Tsutomu Yamaguchi) से उनके निधन से कुछ ही दिन पहले मिला, जो हिरोशिमा और नागासाकी दोनों के सर्वाइवर थे. वो हॉस्पिटल में थे. वो अपनी कहानी की मशाल हमारे हाथों में सौंप रहे थे, तो मुझे ये करना ही पड़ेगा. मैं इससे भाग नहीं सकता.' कैमरून और पेलेग्रीनो ने यामागुची को ये वादा किया था कि उनके यूनीक और भयानक अनुभव को आने वाली पीढ़ियों तक जरूर पहुंचाया जाएगा.
कौन हैं सुतोमू यामागुची?
जापान में कम से कम 160 लोग ऐसे थे जो हिरोशिमा और नागासाकी, दोनों शहरों में एटम बम गिरने से प्रभावित हुए. लेकिन जापान की सरकार के अनुसार सुतोमू यामागुची अकेले व्यक्ति हैं, जो दोनों एटम बमों से बच निकले.
जापान के एक मरीन इंजिनियर रहे सुतोमू, ऑरिजिनली नागासाकी के रहने वाले थे. मगर एक बिजनेस ट्रिप पर वो और उनके दो साथी अपनी कंपनी के काम से करीब तीन महीने के लिए हिरोशिमा में थे. 6 अगस्त 1945 को वो तीनों हिरोशिमा से वापस निकल रहे थे और रेलवे स्टेशन जाने के रास्ते में सुतोमू को याद आया कि वो अपना एक जरूरी कागज भूल आए हैं.
सुतोमू उस जगह वापस लौटे, जहां वो ठहरे हुए थे और जब वापस लौटने लगे तो अमेरिका ने पहला एटम बम गिरा दिया. जिस जगह वो बम गिराया गया, सुतोमू वहां से बस 3 किलोमीटर दूर थे. सुतोमू ने आसमान में अमेरिका के वो जहाज देखे थे जिनसे बम गिराया गया. धमाके के वक्त उन्हें आसमान में एक रौशनी कौंधती दिखी और धमाके के बाद उन्हें थोड़ी देर के लिए दिखना बंद हो गया.
धमाके की आवाज से उनके कान के पर्दे फट गए. रेडिएशन से उनके शरीर का ऊपरी आधा हिस्सा जल गया. जख्मी हालत में सुतोमू रात भर तो हिरोशिमा के एक एयर-शेल्टर में रुके और फिर नागासाकी चले गए. नागासाकी में उनका ट्रीटमेंट हुआ और भारी जख्मों के बावजूद उन्होंने 9 अगस्त को सुबह काम के लिए रिपोर्ट किया.
रिपोर्ट्स बताती हैं कि जब वो काम पर पहुंचे तो लोगों को बताने लगे कि कैसे एक बम ने पूरा हिरोशिमा शहर तबाह कर दिया. ये सुबह 11 बजे की बात है. सुतोमू की बातें सुनकर उनके सुपरवाइजर ने उन्हें 'पागल' कहा और कुछ ही सेकंड में अमेरिका ने नागासाकी पर भी एटम बम गिरा दिया. इस बार भी वो बम गिरने की जगह से ठीक 3 किलोमीटर दूर थे!
उस वक्त सुतोमू 29 साल के थे. उनकी पत्नी और दो बच्चे भी जीवन भर एटम बम गिरने के चलते हुई बीमारियों से जूझते रहे. सुतोमू की बेटी ने बताया था कि उन्होंने 12 साल का होने तक अपने पिता को लगातार पट्टियों में ही लिपटे देखा था. बुढ़ापे में भी सुतोमू को रेडिएशन के कारण हुई बीमारियां घेरने लगीं. 93 साल की उम्र में, 4 जनवरी 2010 को जब सुतोमू का निधन हुआ तो उन्हें पेट का कैंसर था.
सुतोमू की कहने के जरिए अब कैमरून उस एटम बम का दूसरा पक्ष दिखाने जा रहे हैं, जिसका एक पक्ष 'ओपेनहाइमर' में दिखाया गया था. कैमरून की बात करें तो उनकी अगली फिल्म 'अवतार 3' 2025 में रिलीज होगी.