
'हा हा हा हा हा
हा हा हा हा
हा हा'
यह हंसी एक 'जोकर' की है, वह जोकर जिससे आप उम्मीद रखते हैं कि वह आपको हंसाएगा लेकिन इस हंसी ने दुनिया को एक गंभीर सोच में डाल दिया है. जिस फिल्म का काफी अरसे से इंतजार था आखिर वह आ ही गई, इतिहास एक बार फिर दोहरा रहा है क्योंकि 'जोकर' एक बार फिर हंस रहा है.
दशकों पहले जोकर का किरदार जब दुनिया के सामने आया तो किसी ने सोचा ना था कि यह एक 'कल्ट' बन जाएगा और जब हीथ लेजर जोकर बने तो एक कल्ट इतिहास बन गया और हर किसी ने कहा कि ऐसा जोकर न कभी था न कभी हो सकता है.
इस बार वाकिन फिनिक्स जोकर बने हैं, एक ऐसा जोकर जो दुनिया से निराश है और स्टैंड अप कॉमेडियन बनना चाहता है. लेकिन इसमें भी उसे निराशा हाथ लगती है क्योंकि जैसी वह उम्मीद रखता है वह कभी पा ही नहीं पाता है. यह निराशा उस जोकर को अहिंसा से हिंसा की तरफ ले जाती है और तब जाकर एक नाकाम स्टैंडअप कॉमेडियन जोकर बनता है जो किसी की नजर में हीरो है लेकिन प्रशासन की नजर में एक कातिल.
यह फिल्म 2009 में आई 'द डार्क नाइट' की तरह नहीं है जिसमें एक बैटमैन है और वह एक जोकर को पकड़ना चाहता है जो चोर भी है और कातिल भी. यह फिल्म एक संदेश है जो एक जोकर ही देना चाहता है यह संदेश दुनिया के लिए है खासकर अमेरिका के लिए और अमेरिका के गन कल्चर के लिए, वहां के समाज के लिए.
'आई हैव ए मेडिकल कंडीशन'
फिल्म में ऑर्थर फ्लेक यानी जोकर बात-बात पर हंसता है और जब हंसी आती है तो थिएटर में एक सन्नाटा-सा छा जाता है क्योंकि दर्शक यह सोचने पर मजबूर हो जाते हैं यह हंसी, हंसी वाली हंसी है या फिर डराने वाली हंसी. और इसी सोचने के बीच जोकर का जवाब आता है 'आई हैव ए मेडिकल कंडीशन'!
Joker Review: हंसी और हिंसा के बीच डार्क सिहरन पैदा करता है ये जोकर
अहिंसा से हिंसा की ओर बढ़ते हुए जोकर कई सारे मसलों पर रोशनी डालता है जो इस वक्त अमेरिका में, वहां के समाज में और या यूं कहें कि दुनिया के कई हिस्सों में है और जो खतरनाक है. यह कहानी 80 के दशक की है जिस दौर में अमेरिका में ब्लैक बनाम व्हाइट की लड़ाई चरम पर थी लेकिन इसी कहानी में आज के समय को भी जोड़ा गया है जिसमें गन कल्चर को लेकर विवाद जारी है. अमेरिका में एक बड़ा तबका है जो गन कल्चर का पुरजोर विरोध करता है लेकिन मौजूदा वक्त में सत्ताधारी रिपब्लिकन पार्टी खासकर डोनाल्ड ट्रंप के कट्टर समर्थक भी हैं.
अमेरिका से अलग हटकर देखें तो इस फिल्म में जोकर आपको यह भी बता रहा है कि दुनिया में गुस्सा बढ़ा है. हर कोई हर किसी से नाराज है, छोटी-सी बात पर झगड़े हो जाते हैं कोई किसी दूसरे इंसान पर ध्यान नहीं देता है ना ही उसकी तकलीफ समझने की कोशिश करता है. ज्यादा गुस्सा बढ़ता है तो लिंचिंग भी होती है. अमेरिका में भी इस तरह के मामले सामने आए हैं और भारत में भी ऐसा देखने को मिला है कि किसी भी छोटी सी बात पर भीड़ हावी हो जाती है और किसी मासूम की जान चली जाती है यह जो कर आपको इन्हीं बातों में उड़ जाता है और दिमाग में जोर डालने की कोशिश करवाता है.
'जब आप एक मेंटली डिस्टर्ब आदमी को बर्बाद हो चुके समाज में लाकर छोड़ते हैं तो आपको वही मिलता है जो आप डिज़र्व करते हैं.' यही लाइफ़ है. ~ जोकर
फिल्म के शुरुआती रिव्यू जब सामने आए तो अमेरिकी प्रशासन को इसी बात का डर था जिस गन कल्चर की वजह से इस साल अमेरिका में 300 से ज्यादा जानें जा चुकी हैं. उसी मुद्दे को एक बार फिर इस तरह से उठाया गया है कि उसकी चर्चा दुनिया भर में है. कहीं मुद्दा भड़क ना जाए, आग सुलग ना जाए. इसी वजह से अमेरिका के थियेटरों के बाहर पुलिस तैनात की गई है.
अगले साल अमेरिका में चुनाव है और चुनावी कैंपेन के दौरान अगर इस फिल्म का जिक्र होता है या यह फिल्म खुद ही एक मुद्दा बन जाती है तो आपको कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए. इस जोकर से मिलना जरूरी है, यह जोकर हीथ लेजर की याद दिलाए या ना दिलाए लेकिन आपके मन में एक नए जोकर के किरदार को जिंदा जरूर करेगा.
शायर जीशान साहिल ने मसखरे यानी जोकर पर एक नज़्म लिखी थी उस नज़्म की यह कुछ लाइनें बहुत कुछ कह जाएंगे...
'शायर और मसख़रे साथ साथ चलते हैं
चलते चलते मसख़रा ज़ोर ज़ोर से हंसता है
शायर रोता है
और हमदोनों की आवाज़ें साथ साथ सुनते हैं
और भूल जाते हैं ध्यान ही नहीं देते'