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रणदीप हुड्डा की फिल्म ही नहीं, एक और कहानी में पर्दे पर लौट रहे हैं वीर सावरकर... स्वतंत्रता संग्राम का अनछुआ इतिहास आएगा नजर

रणदीप हुड्डा की फिल्म 'स्वातंत्र्यवीर सावरकर' का टीजर काफी चर्चा में है. भारत की आजादी के लिए बलिदान देने वाले क्रांतिकारियों में से एक वीर सावरकर की इस बायोपिक में, हुड्डा लीड हीरो भी हैं और डायरेक्टर भी. लेकिन सावरकर पर एक और बहुत एक्साइटिंग प्रोजेक्ट अनाउंस हुआ है, जिसके प्रोड्यूसर RRR स्टार राम चरण हैं. आइए बताते हैं इसके बारे में.

'द इंडियन हाउस' फिल्म का वीर सावरकर कनेक्शन 'द इंडियन हाउस' फिल्म का वीर सावरकर कनेक्शन
सुबोध मिश्रा
  • नई दिल्ली ,
  • 29 मई 2023,
  • अपडेटेड 2:29 PM IST

भारत के स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा रहे क्रांतिकारियों में से एक, वीर सावरकर का नाम इन दिनों खूब चर्चा में है. रविवार को देशभर में उनकी 140वीं जयंती मनाई गई. इस मौके पर बॉलीवुड एक्टर रणदीप हुड्डा ने अपनी सावरकर बायोपिक 'स्वातंत्र्यवीर सावरकर' का टीजर भी शेयर किया. फिल्म में हुड्डा अपनी ट्रेडमार्क परफेक्शन के साथ सावरकर के रोल में नजर आ रहे हैं. ये फिल्म इसलिए भी खास हैं क्योंकि इस बार रणदीप हुड्डा सिर्फ कहानी के हीरो ही नहीं हैं, बल्कि वो इसके डायरेक्टर भी हैं. 'स्वातंत्र्यवीर सावरकर' का टीजर बहुत पसंद किया जा रहा है और रणदीप हुड्डा की मेहनत की भी तारीफ हो रही है. 

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लेकिन ये अकेली फिल्म नहीं है जिसने सावरकर के जन्मदिन पर जनता की एक्साइटमेंट बढ़ाई है. एक और बड़ी फिल्म में पर्दे पर वीर सावरकर का किरदार नजर आने वाला है. इस फिल्म का नाम है 'द इंडिया हाउस.' ये एक पैन इंडिया फिल्म होगी और इसके प्रोड्यूसर RRR स्टार राम चरण हैं. उन्होंने अपना 'वी मेगा पिक्चर्स' के नाम से अपना नया प्रोडक्शन हाउस शुरू किया है और इस कंपनी से उनकी पहली फिल्म 'द इंडिया हाउस' होगी. इस प्रोजेक्ट को राम चरण और 'द कश्मीर फाइल्स' बनाने वाली टीम साथ मिलकर बना रहे हैं. 

'द इंडिया हाउस' में निखिल सिद्धार्थ (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

फिल्म की कास्ट 
'द इंडिया हाउस' के हीरो निखिल सिद्धार्थ हैं जिनकी फिल्म 'कार्तिकेय 2' पिछले साल पैन इंडिया हिट रही थी. अनाउंसमेंट वीडियो में ये रिवील किया गया है कि फिल्म में उनके किरदार का नाम शिवा है. उनके अलावा फिल्म में जिस दूसरे एक्टर का नाम कन्फर्म किया गया है वो अनुपम खेर हैं. उनके किरदार का नाम श्यामजी कृष्णा वर्मा है. अनाउंसमेंट वीडियो कहता है कि ये फिल्म भारतीय इतिहास के एक 'भुला दिए गए चैप्टर' पर बेस्ड है.

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निखिल सिद्धार्थ के किरदार को लेकर ज्यादा डिटेल्स शेयर नहीं की गई हैं. लेकिन इस फिल्म का भारतीय क्रांतिकारियों के इतिहास से बहुत गहरा कनेक्शन है. फिल्म के टाइटल में जिस इंडिया हाउस का जिक्र है, वो भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक बेहद महत्वपूर्ण भूमिका रखता था. और इस इंडिया हाउस की बात वीर सावरकर के बिना हो ही नहीं सकती. इसलिए निखिल सिद्धार्थ की फिल्म में वीर सावरकर का किरदार स्क्रीन पर दिखने की संभावना बहुत तगड़ी है. ऊपर से मेकर्स ने फिल्म अनाउंस ही सावरकर की जयंती पर की है, उन्हें ट्रिब्यूट देते हुए. 

'द इंडिया हाउस' और भारत के क्रांतिकारी 
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में इंडिया हाउस एक बहुत महत्वपूर्ण जगह रखता है. नॉर्थ लंदन में, हाईगेट के क्रॉमवेल एवेन्यू पर लाल रंग की एक विक्टोरियन बिल्डिंग आज भी है. 1905 से 1910 के बीच इसे इंडिया हाउस के नाम से जाना जाता था. निखिल सिद्धार्थ की फिल्म के अनाउंसमेंट वीडियो में भी ये बिल्डिंग नजर आती है. इंडिया हाउस वैसे तो ब्रिटेन में पढ़ रहे भारतीय छात्रों के लिए एक हॉस्टल जैसी जगह थी. लेकिन इसका असली मकसद इन छात्रों में राष्ट्रवाद की भावना को जगाना था.

अनाउंसमेंट वीडियो में इंडिया हाउस (क्रेडिट: यूट्यूब)

'द इंडिया हाउस' में अनुपम खेर, श्यामजी कृष्णा वर्मा का जो किरदार निभा रहे हैं, वो लंदन में एक लॉयर और जर्नलिस्ट थे. वर्मा ने ही देश की आजादी की लड़ाई को मजबूत बनाने के लिए इंडिया हाउस की शुरुआत की थी. अलग-अलग समय में भारत की आजादी के लिए काम कर रहे कई संगठनों ने उसे अपना ठिकाना बनाया. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी कई बड़ी हस्तियों का नाम इस जगह से जुड़ा, जिनमें मदन लाल ढींगरा, भीकाजी कामा, लाला हर दयाल पी एम बापट जैसे लोग थे. 1906 और 1909 में महात्मा गांधी भी अपनी लंदन यात्राओं के दौरान इंडिया हाउस गए थे. 

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श्यामजी वर्मा ने 'द इंडियन सोशियोलॉजिस्ट' नाम का एक अखबार भी शुरू किया था, जिससे वो बेधड़क अपने विचार लोगों तक पहुंचाते थे. वर्मा और इंडियन हाउस आजादी के लिए राजनीतिक हिंसा का समर्थन करते थे. उस दौर में एक बड़े अखबार के एडिटर वैलेंटाइन शिरोल ने इंडिया हाउस को 'भारत के बाहर सबसे खतरनाक संगठन' भी कहा था. इस अखबार की एक झलक भी 'द इंडिया हाउस' फिल्म के अनाउंसमेंट वीडियो में नजर आती है.

वीडियो में दिख रही अखबार की खबर (क्रेडिट: यूट्यूब)

आजादी के संघर्ष में हिंसा का समर्थन करने के कारण ब्रिटिश सरकार ने इंडिया हाउस पर नजर रखनी शुरू कर दी और बार-बार जांच के लिए ऑफिसर भेजे जाने लगे. ब्रिटिश सरकार का ये रवैया देखकर कृष्ण वर्मा को यकीन हो गया कि उन्हें कभी भी अरेस्ट किया जा सकता है. 1907 में वर्मा पेरिस चले गए और फिर कभी ब्रिटेन नहीं लौटे. उनके जाने के बाद इंडिया हाउस में उस किरदार की एंट्री हुई, जिसका नाम आज भी राजनीति में बड़ी डिबेट्स का हिस्सा रहता है- विनायक दामोदर सावरकर यानी वीर सावरकर. 

वीर सावरकर, इंडिया हाउस और आजादी की लड़ाई 
श्यामजी कृष्ण वर्मा के पेरिस जाने के बाद इंडिया हाउस की कमान संभाली वीर सावरकर ने. भारत में ही अपने जोरदार राष्ट्रवादी विचारों के लिए पहचान बना चुके सावरकर के अंडर, इंडिया हाउस की इमेज और विस्फोटक बन गई. यहां पर उन्होंने 'अभिनव भारत' संगठन की एक ब्रांच भी शुरू की और जल्दी ही इंडिया हाउस ब्रिटेन में भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन का सबसे बड़ा गढ़ बन गया. बताया जाता है कि इसी समय इंडिया हाउस में बॉम्ब-मेकिंग मैनुअल पहुंचा. किताबों और रिपोर्ट्स में दर्ज है कि इंडिया हाउस की संडे मीटिंग्स में सावरकर राष्ट्रवाद की फिलोसॉफी के साथ-साथ बम बनाने और हत्या की तकनीक जैसे टॉपिक्स पर भी लेक्चर देते थे. 

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कहा जाता है कि इंडिया हाउस ने कई ब्रिटिश अधिकारियों की हत्या का प्लान बनाया था और इसके लिए लंदन में ही एक जगह संगठन के सदस्यों को शूटिंग की ट्रेनिंग भी दी जाती थी. 1 जुलाई 1909 को मदनलाल ढींगरा ने लन्दन में ब्रिटिश इंडियन आर्मी के ऑफिसर और भारत की ब्रिटिश सरकार में बड़े अधिकारी रहे सर कर्जन वाईली की हत्या कर दी थी. इस हत्या के बाद ब्रिटिश पुलिस और जांच एजेंसियों ने इंडिया हाउस पर कड़ाई शुरू की. इसे बाद ही इस संगठन के सदस्य अलग-अलग देशों में फैल गए और वो जहां रहे, वहां भारतीय क्रान्ति को आगे बढ़ाते रहे. 

'द इंडिया हाउस' फिल्म 
फिल्म के अनाउंसमेंट वीडियो में 'द इंडियन सोशियोलॉजिस्ट' अखबार की एक हेडलाइन नजर आती है- 'A Blast That Set Thames On Fire'. यानी एक धमाका जिसने थेम्स में आग लगा दी. थेम्स में आग लगाना (Setting thames on fire) अंग्रेजी में एक एक्सप्रेशन है जिसका मतलब है कि लंदन को या ब्रिटेन को हिला कर रख देना. लंदन के इंडिया हाउस का डायरेक्ट-इनडायरेक्ट कनेक्शन, भारत की आजादी के लिए हुई कई क्रांतिकारी घटनाओं से जुड़ता है. 

अलीपुर बॉम्ब केस में, केवल 18 साल के युवा क्रांतिकारी खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी को ब्रिटिश सरकार द्वारा फांसी दिया जाना एक दिल दहला देने वाली घटना थी. इसी केस में पांडुरंग महादेव बापट भारत से भाग निकलने में कामयाब हुए और उन्होंने जाकर इंडिया हाउस में शरण ली थी. बताया जाता है कि बापट को ही रशियन क्रांतिकारियों से बॉम्ब मैनुअल मिला था जो उन्होंने बाकी क्रांतिकारियों तक पहुंचाया. एक समय तो बापट, लंदन में ब्रिटिश संसद को बम से उड़ा देने पर विचार कर रहे थे. 

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'द इंडिया हाउस' का प्लॉट इन्हीं घटनाओं के आसपास बुना हो सकता है. भारत के अंदर आजादी के लिए चल रहे क्रांतिकारी आंदोलनों का इतिहास तो फिर भी सभी हिंदुस्तानियों को ठीकठाक पता होता है. लेकिन भारत के बाहर से ये आंदोलन किस तरह चल रहे थे और इन्होंने देश के अंदर घट रही ब्रिटिश विरोधी घटनाओं को कैसे आकार दिया, इस बारे में लोगों को बहुत कम जानकारी होती है. ऐसे में 'द इंडिया हाउस' वाकई एक एक्साइटिंग प्रोजेक्ट साउंड कर रहा है. यहां देखिए 'द इंडिया हाउस' का अनाउंसमेंट वीडियो:

फिल्म के पीछे 'द कश्मीर फाइल्स' और 'कार्तिकेय 2' जैसी फिल्में बना चुके लोग हैं, जो बहुत सीमित बजट में टेक्निकली सॉलिड फिल्में बना चुके हैं. इसके डायरेक्टर वम्सी कृष्णा हैं जो दो बार नेशनल अवार्ड जीत चुके हैं. राम चरण जैसे बड़े स्टार का हाथ फिल्म के पीछे होने से इसका वजन और बढ़ेगा. ऊपर से 'द इंडिया हाउस' का पैन इंडिया प्रोजेक्ट होना भी एक मजेदार चीज है. फिल्म की रिलीज डेट और बाकी डिटेल्स अभी अनाउंस नहीं की गई हैं. लेकिन फिलहाल ये कहा जा सकता है कि अगर 'द इंडिया हाउस' को टीम ने अच्छे से हैंडल किया, तो ये एक धमाकेदार फिल्म निकलेगी. 

 

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