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...कहते हैं कि संगीत का कोई धर्म नहीं होता...अगर वाकई में संगीत का धर्म नहीं होता, तो फिर फरमानी नाज के शिव भजन 'हर-हर शंभू' गाने पर इतना बवाल क्यों हो रहा है? एक और सावन का महीना चल रहा है और शिव भजन की हर ओर गूंज है. लेकिन एक्स इंडियन आइडल कंटेस्टेंट और सिंगर फरमानी नाज शिव भजन 'हर-हर शंभू' गाकर विवादों से घिर गई हैं. लेकिन क्यों?
फरमानी नाज के बारे में क्या बोले उलेमा?
उलेमा फरमानी नाज के भजन गाने को इस्लाम और शरीयत के खिलाफ बता रहे हैं. फरमानी नाज के शिव भजन गाने पर तो विवाद हर गुजरते दिन के साथ बढ़ रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि फरमानी नाज पहली ऐसी मुस्लिम सिंगर नहीं हैं, जिन्होंने भजन गाया है. फरमानी नाज से पहले कई दिग्गज और पॉपुलर मुस्लिम सिंगर भजन गा चुके हैं.
संगीत की दुनिया की शान माने जाने वाले मोहम्मद रफी ने भी कई भजन गए हैं. भजन गाने वालों में नुसरत फतेह अली खान और राहत फतेह अली खान जैसे महान सिंगर्स का नाम भी शामिल हैं.
दरअसल, कई क्लासिकल सिंगर्स ने संगीत को हमेशा संगीत के तौर पर ही देखा है. उन्होंने कभी संगीत को धर्म के तराजू में तोलकर गाने नहीं गाए. उस्ताद अली गुलाम ने ऑल इंडिया रेडियो के लिए हरि ओम गाया था, वहीं दूसरी ओर पंडित जसराज ने मेरे अल्लाह मेहरबान गाया था.
आइए आपको बताते हैं फरमानी नाज से पहले किस मुस्लिम सिंगर्स ने भजन गाए हैं...
- उस्ताद गुलाम अली खान- हरी ओम
- नुसरत फतेह अली खान- सांसों की माला पे और कोई बोले राम-राम
- राहत फतेह अली खान - सांसों की माला पे
- बैगम परवीन सुल्ताना - साईं राम सुमिरन करो, मेरे तो गिरधर गोपाल और भक्ती संगीत
- मोहम्मद रफी- ओ शेरोवाली, जय माता दी, ईश्वर अल्लाह तेरे नाम, सुख के सब साथी, बड़ी देर भई नंद राम जी की निकली सवारी, गणपति बप्पा मोरिया जैसे भजन और गीत गाए हैं.