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फिल्मों के सेट से सियासत के मंच तक... मायावी दुनिया रचने के महारथी थे नितिन देसाई

'लगान' और 'देवदास' जैसी फिल्मों के लिए सेट डिजाइन करने वाले आर्ट डायरेक्टर नितिन देसाई ने बुधवार को खुदकुशी कर ली थी. नितिन देसाई सिर्फ फिल्म डायरेक्टर ही नहीं, बल्कि राजनेताओं की भी पसंद हुआ करते थे. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से लेकर उद्धव ठाकरे तक की रैलियों के मंच तैयार किए थे.

नितिन देसाई. (फाइल फोटो) नितिन देसाई. (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 03 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 6:07 PM IST

बॉलीवुड के मशहूर आर्ट डायरेक्टर नितिन देसाई नहीं रहे. बुधवार को उन्होंने खुदकुशी कर ली. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी उनकी फांसी लगाकर आत्महत्या करने की वजह ही सामने आई है. 

नितिन देसाई का शव उनके ही एनडी स्टूडियो में लटका मिला था. उनका स्टूडियो मुंबई से सटे रायगढ़ के कर्जत इलाके में था. 

उनकी कंपनी एनडी आर्ट वर्ल्ड प्राइवेट लिमिटेड पर 252 करोड़ रुपये का कर्ज था. उन्होंने 2016 और 2018 में ECL फाइनेंस से 185 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था. जनवरी 2020 से कर्ज का भुगतान करने में दिक्कत आ रही थी.

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रायगढ़ जिले की उरां विधानसभा से निर्दलीय विधायक महेश बालदी ने दावा किया है कि नितिन देसाई आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे और शायद इसी वजह से उन्होंने ये कदम उठाया. 

अपने 30 साल के करियर में नितिन देसाई ने विधु विनोद चोपड़ा, संजय लीला भंसाली, राजकुमार हिरानी और आशुतोष गोवारीकर जैसे डायरेक्टर्स के साथ काम किया था. उन्होंने 'देवदास', 'स्वदेस', 'जोधा अकबर', 'प्रेम रतन धन पायो', 'परिंदा' और 'लगान' जैसी फिल्मों का सेट तैयार किया था. इसके अलावा कई मराठी फिल्मों और टेलीविजन शो के सेट भी डिजाइन किए थे. इतना ही नहीं, नितिन देसाई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे तक के लिए सेट डिजाइन किए थे.

जब 'कमल' से निकले थे मोदी

एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नितिन देसाई के बीच अच्छी दोस्ती थी. बताया जाता है कि जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो नितिन देसाई ने उनके लिए मंच डिजाइन किया था.

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दरअसल, गुजरात का मुख्यमंत्री बनने बाद 2004 में मोदी जब पहली बार मुंबई आए तो यहां एक बड़ी रैली की. इस रैली के लिए मंच नितिन देसाइ ने ही डिजाइन किया था. इसमें मोदी को 'कमल' से मंच पर उठाया गया था. ये कमल हाइड्रॉलिक था. 

कमल इसलिए चुना गया था, क्योंकि ये बीजेपी का चुनाव चिन्ह है. उस रैली में जब कमल मंच के बराबर था तो उसकी पंखुड़ियां खुलीं और फिर उसमें मोदी निकले थे.

इसके बाद देसाई ने महाराष्ट्र में मोदी की कई रैलियों के लिए मंच डिजाइन किया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2009 में मोदी की पुणे में एक रैली थी. उस रैली में देसाई ने सात पंखुड़ियों वाला कमल डिजाइन किया था. दिसंबर 2013 में भी मोदी की रैली के लिए देसाई ने एक बड़ा मंच तैयार किया था.

इतना ही नहीं, 2014 में जब महाराष्ट्र में बीजेपी की सरकार बनी तो देवेंद्र फडणवीस के शपथ ग्रहण समारोह की जिम्मेदारी भी नितिन देसाई को ही मिली. तब देसाई ने मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में रायगढ़ किले की तरह मंच डिजाइन किया था.

नितिन देसाई और पीएम मोदी. (फोटो क्रेडिट- ट्विटर)

ठाकरे के लिए भी तैयार किया था मंच

2019 के विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र में शिवसेना-कांग्रेस और एनसीपी के गठबंधन वाली महाविकास अघाड़ी की सरकार बनी. उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने. 

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शिवसेना इस शपथ ग्रहण समारोह खास बनाना चाहती थी. इसलिए शपथ ग्रहण समारोह का मंच तैयार करने की जिम्मेदारी नितिन देसाई को मिली.

ठाकरे के शपथ ग्रहण समारोह के लिए नितिन देसाई और उनकी टीम ने छत्रपति शिवाजी का भित्तिचित्र बनाया था. साथ ही पूरे कार्यक्रम स्थल मराठा साम्राज्य की थीम पर सजाया गया था.

और भी कई सारे सेट तैयार किए थे

नितिन देसाई राजनेताओं की पहली पसंद थे. सरकारी कामों में उनकी मदद ली जाती थी. 2016 में अरब सागर में एक टापू पर छत्रपति शिवाजी स्मारक का भूमि पूजन होना था. इसका काम भी नितिन देसाई को ही सौंपा गया.

इस बारे में बीजेपी नेता चंद्रकांत पाटिल ने कहा था कि हर किसी को चिंता थी कि चट्टानी इलाके में भूमि पूजन कैसे होगा. तब नितिन देसाई को फोन किया गया. उनकी टीम ने आठ दिनों तक लगातार काम किया था.

पाटिल ने बताया था, तब नितिन देसाई ने लालगबाचा राजा के लिए इस्तेमाल होने वाली एक ट्रॉली खरीदी, उस पर छत्रपति शिवाजी की मूर्ति रख दी और इसे टापू पर रख दिया. ताकि ऐसा लगे कि छत्रपति शिवाजी की पूजा कर रहे हैं.

बताया जाता है कि महाराष्ट्र की झांकियां तैयार करने में भी नितिन देसाई की मदद ली जाती थी. 

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जोधा अकबर फिल्म के सेट को आगरा किले की तर्ज पर डिजाइन किया गया था.

कौन थे नितिन देसाई?

नितिन देसाई का जन्म 9 अगस्त 1965 को महाराष्ट्र के कोंकण जिले के दापोली में हुआ था. उन्होंने 1987 में आर्ट डायरेक्टर के तौर पर अपना करियर शुरू किया था.

1987 में गोविंद निहलानी की शॉर्ट सीरीज 'तमस' में असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर काम शुरू किया था. ये सीरीज बंटवारे पर आधारित थी.

बतौर आर्ट डायरेक्टर उनकी पहली फिचर फिल्म 1993 में आई 'भूकंप' थी. लेकिन उन्हें पहचान 1994 में विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म '1942: अ लव स्टोरी' से मिली थी.

इसके बाद उन्होंने 'परिंदा', 'खामोशी', 'माचिस', 'बादशाह', 'डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर', और 'राजू चाचा' जैसी फिल्मों के सेट भी डिजाइन किए. उन्होंने 2008 में आई 'स्लमडॉग मिलियनेयर' के लिए भी दो सेट डिजाइन किए थे.  

साल 2005 में नितिन देसाई ने मुंबई से सटे रायगढ़ के कर्जत में अपना एनडी स्टूडियो खोला. ये स्टूडियो 37 एकड़ में फैला हुआ है. स्टूडियो में बड़े फिल्मी सितारों के लिए बंगले भी बने हुए हैं.

आर्ट डायरेक्टर के तौर पर उन्हें चार नेशनल अवॉर्ड्स भी मिल चुके हैं. उन्हें 'लगान', 'देवदास', 'हम दिल दे चुके सनम' और 'डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर' के लिए ये सम्मान मिले थे.

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