
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर आजकल एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वाले चैटबॉट ग्रोक का बड़ा शोर है. दिलचस्प ये है कि एक तरफ तो रियल जिंदगी में लोगों से घुलने-मिलने की बजाय लोगों का डिजिटल दुनिया में वक्त खपाना चर्चा का मुद्दा बना रहता है. जबकि दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर टाइम काटने पहुंची जनता भी अब AI से इंटरेक्शन में खर्च हो रही है. ऊपर से मनपसंद जवाब सुनने की हम इंसानों की आदत इतनी खराब है कि अब लोग ग्रोक जैसे AI से भी अपनी धुन पर गाने का दबाव बनाने लगे हैं.
कोई चाहता है कि ग्रोक उसके चहेते नेता को बाकियों से अच्छा बता दे. तो कोई ग्रोक से, खुद को नापसंद सेलेब्रिटी के कांड गिनाने को कह रहा है. इस पूरे खेल के बीच ये भी हो जाता है कि जब ग्रोक मन मुताबिक जवाब नहीं देता तो लोग ग्रोक को ही गरिया देते हैं. AI से अपनी धुन पर गाना गवाने की इस जिद के बीच क्या आपने सोचा है कि असल में किसी कंप्यूटर ने पहली बार गाना कब गाया था और वो गाना क्या था? आइए बताते हैं...
जब पहली बार कंप्यूटर ने गाया गाना
आर्टिफिशियल तरीके से इंसानी आवाज क्रिएट करना स्पीच सिंथेसिस कहा जाता है. आज आपके मोबाइल फोन जिस तरह टाइप किए हुए टेक्स्ट को इंसानी आवाज में पढ़ देते हैं, यानी 'टेक्स्ट टू स्पीच' वाला फंक्शन करते हैं, वो भी स्पीच सिंथेसिस का ही हिस्सा है.
इंसानी आवाज की नकल करने वली मशीनें बनाने की कोशिश इंसानों ने सदियों पहले शुरू कर दी थी. मगर आज की तरह कंप्यूटर पर आधारित टेक्स्ट टू स्पीच स्पीच सिस्टम्स की शुरुआत पहली बार 1950 के आसपास हुई. IBM 740 नाम का एक मेनफ्रेम कंप्यूटर पॉपुलर होने लगा था क्योंकि ये पेंचीदा गणनाएं करने वाला तब अकेला कंप्यूटर था. अमेरिका की एक रिसर्च एंड डेवलपमेंट कंपनी बेल लैब्स के वैज्ञानिकों ने 1961 में पहली बार इसी कंप्यूटर से प्रोग्रामिंग के जरिए इंसानी आवाज में गाना गवाया था. इस गाने का नाम था 'डेजी बेल'. इस गाने को इसकी प्यारी धुन और पॉपुलैरिटी की वजह से चुना गया था जो इसने पिछली सदी से कमानी शुरू की थी. यहां सुनें कंप्यूटर का गाया 'डेजी बेल':
130 साल पुराना गाना है 'डेजी बेल'
1890s के अंत में फ्रैंक डीन, इंग्लैंड के एक जानेमाने गीतकार हुआ करते थे और हैरी डाकर के नाम से गीत लिखा करते थे. जब वो पहली बार अमेरिका गए तो अपने साथ एक बाइसाइकिल लेकर गए थे. इस साइकिल के लिए उन्हें भारी इम्पोर्ट ड्यूटी भरनी पड़ी थी. इसपर उनके एक साथी गीतकार ने मजाक करते हुए कहा, 'खुशकिस्मती की बात है जो आप दो लोगों के लिए बनी साइकिल (bicycle built for two) नहीं लेकर आए, वरना डबल ड्यूटी भरनी पड़ती.'
कहा जाता है कि डाकर को इस वाक्यांश 'bicycle built for two' की लय इतनी पसंद आई कि उन्होंने इसे इस्तेमाल करते हुए एक गाना लिख डाला जिसे उन्होंने 'डेजी बेल' नाम दिया. उन्होंने ऑलमोस्ट 130 साल पहले, 1892 में लंदन की पॉपुलर सिंगर केटी लॉरेंस से 'डेजी बेल' गाने की रिक्वेस्ट की. केटी ने गाना गाया तो वो बहुत पॉपुलर हुआ.
यूनाइटेड स्टेट्स में ये गाना पहली बार टोनी पास्टर ने गाया था. लेकिन जब जेनी लिंडसे ने इसे यूएस में गाया, तो गाने की पॉपुलैरिटी अलग ही लेवल पर पहुंच गई. 1893 में डेजी ब्लू पहली बार रिकॉर्ड हुआ और फिर इतना पॉपुलर होता चला गया कि इस गाने के रेफरेंस कई दूसरे गानों और फिल्मों में भी आए. 'डेजी ब्लू' की इस पॉपुलैरिटी की वजह से ही इसे कंप्यूटर के गाने के लिए भी चुना गया.
फिल्म में कैसे पहुंचा कंप्यूटर के गाने का सीन
संयोग से जब बेल लैब्स में कंप्यूटर गा रहा था, तब साइंस-फिक्शन राइटर ऑर्थर सी. क्लार्क अपने एक दोस्त से मिलने इस कंपनी में पहुंचे हुए थे. इसे देखकर वो इतने इम्प्रेस हुए कि जब उन्होंने फिल्म '2001: अ स्पेस ओडिसी' का स्क्रीनप्ले लिखा, तो फिल्म में कंप्यूटर के गाने का ये सीन रीक्रिएट किया. 1968 में रिलीज हुई '2001: अ स्पेस ओडिसी' एक आइकॉनिक साइंस-फिक्शन फिल्म है.
डायरेक्टर स्टैनले क्यूबरिक की इस फिल्म में एक स्पेस मिशन की कहानी है जिसमें स्पेसशिप के सारे ऑपरेशन इंसान की तरह रियेक्ट करने वाले एक कंप्यूटर, HAL से कंट्रोल होते हैं. कहानी में HAL अपनी मर्जी से काम करने लगता है और स्पेसशिप के वैज्ञानिकों की जान खतरे में डाल देता है.
HAL पर काबू पाने के लिए वैज्ञानिकों में से एक जब उसके प्रोसेसर में घुसकर सर्किट डिसकनेक्ट करने लगता है, तो ये कंप्यूटर भी इंसानों की तरह गिड़गिड़ाने लगता है. इसी सीक्वेंस में वो इस वैज्ञानिक को गाना भी गाकर सुनाता है. और ये गाना है 'डेजी बेल'.