
इंडियन आइडल शो इन दिनों सुरीले गानों से ज्यादा कंट्रोवर्सी के चलते चर्चा में है. रियलिटी शो में चल रहे ड्रामा पर पहले इंडियन आइडल अभिजीत सावंत कहते हैं, 'आजकल मेकर्स को प्रतिभागियों के टैलेंट से ज्यादा इस बात में दिलचस्पी है कि वो जूते पॉलिश कर पाता है या नहीं... या फिर वो कितना गरीब है या इसकी कहानी कितनी ट्रेजेडी से भरी है.
गरीबी-ट्रेजेडी से भुनाई जा रहीं कहानियां
आप रीजनल के रियलिटी शोज देखें, जहां दर्शकों को शायद ही पता होगी कि उनके फेवरेट कंटेस्टेंट का बैकग्राउंड क्या है. रीजनल वाले केवल सिंगिंग पर फोकस करते हैं लेकिन यहां प्रतिभागियों की ट्रैजिक कहानियों को भुनाया जाता है. अब शो में लव इंट्रेस्ट वाली बातें परोसी जा रही हैं. यह प्रतिभागियों पर निर्भर करता है कि वे अपनी पर्सनल चीजों को पब्लिक करने में कितने सहज हैं. यह पूरी तरह उनका निर्णय होता है. मुझे याद है एक बार मैं परफॉर्मेंस के वक्त गाने की लिरिक्स भूल गया था. उस वक्त मैंने बीच में ही गाना छोड़ दिया. वहां मौजूद जज ने आपस में निर्णय लिया और फिर कहा कि मुझे मौका मिलना चाहिए. अगर यही वाकया आज होता, तो मैं गारंटी के साथ कहता हूं. बिलकुल टीवी स्टाइल में इसे बिजली कौंध रही हो जैसे कई शॉक्ड इफेक्ट के साथ परोसा जाता. हालांकि इसमें मेकर्स के साथ-साथ पब्लिक भी जिम्मेदार है. हिंदी भाषी पब्लिक हर वक्त मसाले की तलाश में होती है.'
किशोर कुमार एपिसोड विवाद पर अभिजीत की राय
वहीं किशोर कुमार एपिसोड में हुए विवाद पर प्रतिभागियों के सपोर्ट में अभिजीत कहते हैं, 'मुझे इसकी जानकारी नहीं है लेकिन किसी भी सिंगर की किशोर कुमार जैसे लीजेंड से तुलना करना गलत है. हर किसी का अपना स्टाइल व अंदाज होता है. सिंगर्स के तौर पर हम अपने-अपने स्टाइल से उन्हें ट्रिब्यूट कर सकते हैं.'
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कोरोना में कैसे चल रही है आर्टिस्ट्स की रोइ-रोटी?
बता दें, अभिजीत सावंत की आखिरी बॉलीवुड फिल्म ढिशूम थी. पिछले पांच साल से उन्हें फिल्मों में गाने का मौका नहीं मिला है. स्टेज शोज आदि कर अभिजीत अपनी कमाई का जरिया बना लेते हैं. लेकिन कोरोना ने वो भी छीन लिया है. अभिजीत बताते हैं, कोरोना की वजह से हम कोई स्टेज शोज नहीं कर पाए हैं. एक सिंगर फिल्म से ज्यादा स्टेज शोज पर ही अपनी रोजी-रोटी चलाता है. वो भी बंद हो जाने की वजह से परेशानी बढ़ गई है. पिछले साल तो कुछ वर्चुअल शोज कर थोड़ी बहुत बात बन भी गई थी लेकिन इस साल तो वो भी नहीं है. इसपर हम सिंगर को कोविड रेट का हवाला देकर एक्सप्लॉइट किया जाता है.
कोविड रेट के नाम पर आपको फीस से 70 से 80 प्रतिशत तक का समझौता करना पड़ता है. कई बार मेरी परेशानी देखकर मेरे आस-पास व लोग कहते हैं कि सिंगिंग छोड़ दे और कुछ बिजनेस पर ध्यान दे. काफी नेगेटिविटी फैल चुकी है. चाहे कुछ भी हो, मैं इस प्रोफेशन को नहीं छोड़ सकता और अपनी मेहनत की कमाई को दांव में लगाकर एक स्टूडियो खोला है और अब सिंगल म्यूजिक पर अपना फोकस कर रहा हूं. सब कुछ ऊपर वाले पर छोड़ दिया है. अब वो ही रास्ता दिखाएंगे.