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कांतारा: परशुराम के क्षेत्र से जंगल के लोगों और देवताओं की कहानी, हिंदी में भी लेकर आ रहे हैं KGF के मेकर्स

KGF फ्रैंचाइजी के मेकर्स होम्बाले फिल्म्स की नयी कन्नड़ फिल्म 'कांतारा' बहुत चर्चा में है. फिल्म भले कन्नड़ भाषा में हो, लेकिन अच्छे सिनेमा के लिए इंटरनेट पर भटकते जिन हिंदी भाषी दर्शकों ने 'कांतारा' का ट्रेलर देखा, उनकी आंखें खुली रह गईं. अब ये फिल्म हिंदी में भी आने वाली है. आइए बताते हैं 'कांतारा' के संसार में ऐसा क्या है.

'कांतारा' ट्रेलर (क्रेडिट: यूट्यूब) 'कांतारा' ट्रेलर (क्रेडिट: यूट्यूब)
सुबोध मिश्रा
  • नई दिल्ली ,
  • 08 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 9:30 AM IST

जंगल और जंगल के देवता अपने आप में ऐसा रहस्यमयी टॉपिक है, जिसपर बात करते कितने ही घुमक्कड़ों ने अपने ट्रिप की रातें गुजार दी हैं. जंगल के ट्रिप पर निकले दोस्त हों, हल्की सी ठंड वाली रात हो, हाथ में चाय (या निज श्रद्धानुसार कोई अन्य पेय) हो और जंगल में रहने वालों, उनके देवताओं पर बात होने लगे तो पूरी रात छोटी पड़ जाती है. ऐसी कहानियों में जो अदृश्य है, यानी कि दिखता नहीं उसे महसूस करने का एक थ्रिल भी होता है, और उसके दिख जाने का डर भी.

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साउथ से निकली ऐसी ही एक फिल्म थिएटर्स में खूब माहौल बना रही है, इसका नाम है 'कांतारा'. रॉकिंग स्टार यश के साथ KGF बना चुके होम्बाले फिल्म्स की ये नयी फिल्म है. रिषभ शेट्टी 'कांतारा' के डायरेक्टर और लीड एक्टर हैं. 

'कांतारा' ट्रेलर (क्रेडिट: यूट्यूब)

साउथ में शानदार बिजनेस 
30 सितंबर को जब थिएटर्स में 'पोन्नियिन सेल्वन-1' (PS-1) और 'विक्रम वेधा' की रिलीज का शोर हो रहा था, उसी दिन 'कांतारा' भी बहुत लिमिटेड स्क्रीन्स पर रिलीज हुई थी. इसमें से अधिकतर थिएटर्स कर्नाटक के थे. पहले दिन इसका इंडिया कलेक्शन 2.30 करोड़ रुपये रहा और अगले 7 दिनों में इसका कलेक्शन किसी भी दिन 4.40 करोड़ रुपये से नीचे नहीं गया. ऐसा इसलिए भी हुआ कि 'कांतारा' के लगभग हर रिव्यू में इसकी जमकर तारीफ हुई है.

अभी तक इंडिया में 42.90 करोड़ रुपये और वर्ल्डवाइड करीब 55 करोड़ रुपये का ग्रॉस कलेक्शन कर चुकी 'कांतारा' के शोज में, शुक्रवार यानी आठवें दिन 66% से ज्यादा की ऑक्यूपेंसी रही. जबकि शुक्रवार को 'PS-1' की ऑक्यूपेंसी 30% की रेंज में रही और 'विक्रम वेधा' के शोज करीब 12% ही भरे. इसी से अंदाजा लगा लीजिए कि जनता 'कांतारा' को कितना पसंद कर रही है. 

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दक्षिण कन्नड़, परशुराम और 'कांतारा' 
'कांतारा' के मूल में शब्द है कांतार. इस शब्द का अर्थ हुआ घना, रहस्यमयी जंगल. तुलसीदास ने विनयपत्रिका में इस संसार को कांतार लिखा है. तो 'कांतारा' एक जंगल और वहां रहने वालों की कहानी है. कर्नाटक के जिस दक्षिण कन्नड़ जिले से रिषभ आते हैं और जो उनकी कहानियों में एक किरदार की तरह मौजूद रहता है, वो तुलू नाडु क्षेत्र में आता है. यहां के लोग तुलू भाषा बोलते हैं और यहां की अपनी एक बहुत समृद्ध संस्कृति और इतिहास रहा है. तुलू नाडु को एक अलग राज्य बनाने की मांग भी उठती रही है. 

इस इलाके का एक बड़ा कनेक्शन उस माइथोलॉजी से रहा है जो उत्तर भारत में भी बहुत प्रचलित है. भगवान विष्णु के छठे अवतार कहे जाने वाले परशुराम की कथा तो आपने भी सुनी ही होगी. तो क्षत्रियों को इस धरती से नष्ट कर देने वाली बात से आगे का मामला ये हुआ कि परशुराम ने क्षत्रिय रहित धरती, ऋषि कश्यप को दान दी और भगवान शिव का ध्यान करने सह्याद्री चल दिए. भगवान शिव उनकी तपस्या से खुश होकर प्रकट हुए और बोले कि वो कादली यानी कदलीवन में अवतार लेंगे और परशुराम वहीं पहुंच कर ध्यान करें.

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'कांतारा' ट्रेलर (क्रेडिट: यूट्यूब)

परशुराम ने वहां जा कर देखा कि धरती तो समुद्र में समा चुकी है. उन्होंने समुद्र के देवता से कहा कि जमीन वापिस करें, उन्हें ध्यान करना है. समुद्र ने जमीन देने से इनकार कर दिया, तो अपने क्रोध के लिए ही पहचाने जाने वाले परशुराम कहां शांत रहने वाले थे. उन्होंने अपना फरसा पूरे बल के साथ हवा में फेंककर चला दिया. कथाओं में कहा जाता है कि जहां-जहां तक परशुराम का फरसा गया, समुद्र ने वो जमीन छोड़ दी और इस तरह उस जगह पर अस्तित्व में आई 'परशुराम सृष्टि' जिसे तुलू नाडु भी कहा जाता है. तो 'कांतारा' की कहानी इसी तुलू नाडु इलाके के जंगल और वहां रहने वाले लोगों की है. 

क्या है 'कांतारा' की कहानी?
तुलू नाडु के जो तटीय इलाके हैं वहां 'भूत कोला' नाम का एक धार्मिक अनुष्ठान प्रचलित है, जिसमें आत्माओं की पूजा की जाती है और उन्हें खुश रखा जाता है ताकि वो सम्पन्नता लाने में सहयोग करें, विनाश न करें. यहां आत्मा और भूत का अर्थ अंग्रेजी के स्पिरिट वाले सेन्स में है, किसी प्रेत-पिशाच वाले नेगेटिव सेन्स में नहीं. 'भूत कोला' में इन आत्माओं को पशु रूप में पूजा जाता है. तो 'कांतारा' की कहानी में ऐसा ही एक देवता है, जिसका नाम है पंजुरली. जंगली सूअर के रूप वाले इस देवता को भारतीय संस्कृति पर पकड़ रखने वाले कुछ स्कॉलर, भगवान विष्णु के वराह अवतार से भी जोड़ते हैं. 

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'कांतारा' ट्रेलर (क्रेडिट: यूट्यूब)

'भूत कोला' को एक लोक नाटक भी कहा जा सकता है. लोक संस्कृति में इसे परफॉर्म करने वाले अधिकतर एक ही परिवार से जुड़े लोग होते हैं जो एक दूसरे से सीख के इस कला में पारंगत होते हैं. 'कांतारा' के मुख्य पात्र शिवा (रिषभ शेट्टी) का परिवार 'भूत कोला' परफॉर्म करने वाला है. शिवा खुद तो भूत कोला नहीं करता और न धर्म-अनुष्ठान वगैरह को बहुत मानता ही है, लेकिन वो अपने लोगों और संस्कृति से बहुत प्यार करता है. तुलू संस्कृति में बड़ा महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले एक खेल 'कंबाला' (बैलों की दौड़) में शिवा चैम्पियन है. 

'कांतारा' ट्रेलर (क्रेडिट: यूट्यूब)

जंगल में बसे शिवा के गांव को ये जमीन, कई सौ साल पहले इलाके के राजा ने दी थी. राजा अपने महल में देवता को स्थापित करना चाहता था और जब एक बड़े से पत्थर के रूप में देवता उसे मिले तो उन्हें महल तक ले जाने के लिए उसे और लोग चाहिए थे. गांव के देवता ने शर्त रखी कि राजा गांव वालों को जमीन दे दे तो वो पत्थर को महल तक पहुंचाने में मदद करेंगे. लेकिन इस शर्त को कभी तोड़ा नहीं जाएगा, यानी जमीन वापिस नहीं ली जाएगी. 

राजा ने शर्त मानी और गांववालों को जमीन मिली. कई पीढ़ी बाद अब राजा के वंशज जमीन वापिस लेना चाहते हैं और इस लिए देवता उनसे खफा है. कहानी में एक फ़ॉरेस्ट ऑफिसर भी है जो बस किसी भी तरह जंगल का संरक्षण करना चाहता है और उसे लगता है कि गांववाले और उनके रहने के तौर तरीके से जंगल को नुक्सान पहुंच रहा है.

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'कांतारा' ट्रेलर (क्रेडिट: यूट्यूब)

उधर जंगल और गांव की रक्षा करने वाला देवता राजा के वंशजों से नाराज है, उधर फ़ॉरेस्ट ऑफिसर गांवालों से नाराज है. इधर गांव वाले आशंका में हैं कि देवता नाराज है तो कुछ बड़ी विपत्ति आने वाली है. इस पूरी पिक्चर में सबकुछ शांति से वापिस नॉर्मल कैसे होगा, यही 'कांतारा' की कहानी का मुद्दा है. और इसमें कहानी के हीरो शिवा का क्या रोल है, यही आपको स्क्रीन पर देखना है. तब तक देखिए 'कांतारा' का कन्नड़ ट्रेलर:

हिंदी में कब आ रही है 'कांतारा'?
'कांतारा' जल्द ही हिंदी में भी आने वाली है. मेकर्स 9 अक्टूबर को इसका हिंदी ट्रेलर ऑनलाइन शेयर करने वाले हैं. उम्मीद है कि 'कांतारा' के हिंदी ट्रेलर के साथ रिलीज डेट भी बताई जाएगी. फिल्म के कन्नड़ ट्रेलर को देखकर आप आराम से समझ सकते हैं कि इसे बड़ी स्क्रीन पर देखना एक महसूस करने लायक अनुभव क्यों होने वाला है. 'कांतारा' की सिनेमेटोग्राफी और साउंड बहुत शानदार है और बहुत सारे लोगों के लिए एक ऐसा संसार स्क्रीन पर उतरने वाला है, जो उन्होंने पहले शायद ही कभी देखा हो. 

ऊपर से 'कांतारा' की कहानी का माइथोलॉजी एक रहस्यमयी लेकिन रोमांचकारी चीज लग रहा है. फिल्म की पूरी कहानी से एक मिस्ट्री वाला फील आ रहा है जिसे थिएटर में देखने पर वाकई बहुत मजा आ सकता है. ऊपर से फिल्म में हर एक एक्टर के काम की बहुत तारीफ भी खूब हो रही है.  

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रिषभ शेट्टी को 2018 में आई उनकी फिल्म 'रामन्ना राय' को 'बेस्ट चिल्ड्रन्स फिल्म' का नेशनल अवार्ड भी मिल चुका है. रिषभ, '777 चार्ली' वाले रक्षित शेट्टी और 'गरुड़ गमन वृषभ वाहन' वाले राज शेट्टी कन्नड़ सिनेमा में दक्षिण कन्नड़ सिनेमा को वापिस जगह दिलाने में मेहनत कर रहे हैं. इन तीनों की कहानियों में दक्षिण कन्नड़ समाज का रिप्रेजेंटेशन बहुत अच्छे से होता है. हिंदी सिनेमा देखते आ रहे दर्शकों को 'कांतारा' स्क्रीन पर एक अद्भुत अनुभव दे सकती है.

 

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