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पिछले दिनों नेपाल में हुए विमान हादसे ने पूरी दुनिया को शॉक्ड कर दिया है. बता दें, नेपाल में यह पहली बार नहीं हुआ है. इससे पहले भी नेपाल के जॉमसम इलाके में 2012 में एक प्लेन क्रैश हुआ था. इस हादसे में पॉप्युलर चाइल्ड एक्ट्रेस तरुणी सचदेव ने अपनी जान गंवाई थी. इस प्लेन में तरुणी के साथ उनकी मां गीता सचदेव ट्रैवल कर रही थी.अपनी बेटी और पत्नी को खो चुके हरिश सचदेव ने जब नेपाल प्लेन त्रासदी की खबर सुनी, तो उनके जख्म दोबारा हरे हो गए हरिश हमसे बातचीत कर वो अपना हाल ए दिल बयां करते हैं.
हरिश बताते हैं, जब मैंने प्लेन क्रैश की खबर सुनी, तो मुझे बहुत गुस्सा आया है. ये अभी भी अलर्ट नहीं हो रहे हैं, पता नहीं कितनों की जानें गई हैं और कितनों की जान लेना चाहते हैं. इनके प्लेन्स ही काफी पुराने हैं.अपने फायदे के लिए ये किसी की जान तक का नहीं सोचते हैं. मेरी बेटी और बीवी भी ठीक इसी तरह मुझसे दूर हो गई है. आज भी इस तरह के हादसे सुनकर मुझे सिहरन होने लगती है. मैं अभी उन सभी परिवार वालों के दुख को महसूस कर पा रहा हूं, जिन्होंने इस हादसे में अपनों को खोया है. भगवान उन्हें हिम्मत और इस दुख से उबरने की शक्ति दे.
उसने मेसेज किया था,अगर प्लेन क्रैश हो जाए...
उस मनहूस दिन को याद कहते हुए हरिश कहते हैं, मैं मुंबई में था और मेरी पत्नी और बेटी वहां दर्शन के लिए नेपाल गए थे. यकीन मानिए, मेरी बेटी को जाने का बिलकुल भी मन नहीं था. बल्कि उसका प्लान गोवा जाने का था. उसने मुझसे कहा भी कि पापा गोवा चलते हैं और वहां मैं पैराग्लाइडिंग करूंगी. हालांकि मेरी वाइफ अपने टीम के साथ दर्शन के लिए जा रही थी, तो उसने बेटी को भी अपने साथ ले लिया. शायद मेरी बेटी को इस बात की भनक लग गई थी कि कुछ तो बुरा होने वाला है. वो प्लेन पर चढ़ते ही अपनी एक सहेली को मेसेज करती है कि 'मान लो अगर प्लेन क्रैश हो जाती है, तो मैं बता दूं कि आई लव यू...' हालांकि इस बात की खुशी है कि उसने अपनी आखिरी ख्वाहिश पैराग्लाइडिंग पूरी कर ली थी. उसकी मम्मी ने फोन पर बताया था कि वो पोखरा में पैराग्लाइडिंग कर रही है और काफी खुश है.
फोन, पैसे तक उठा कर ले गए
हरिश आगे कहते हैं, मुझे इस बात की बहुत चोट पहुंचती है कि लोग लाशों के बीच भी सामान कैसे उठा ले जाते हैं. मेरी पत्नी कैश, सोने के जेवरात, नया फोन लेकर गई थी. कुल मिलाकर 4 लाख का सामान होगा, मुझे कुछ भी वापस नहीं मिला. हालांकि जिसने अपनी बीवी और बच्चे को खो दिया है, उसके लिए इसके क्या ही मायने होंगे. लेकिन मैं उन लोगों का लालच देखकर दुखी हो गया था. इस पूरे हादसे में बस मुझे मेरी बेटी का फोन और एक डीवीडी कैसेट ही मिल पाया था. हालांकि अपनों की बॉडी और सामान के लिए मैं नेपाल में काफी भटका था. इस दौरान मैंने सोचा था कि मुझे एंबेसी से मदद मिलेगी, लेकिन कोई सपोर्ट नहीं था. मेरे दोस्त मनीषा कोईराला के फैमिली से वाकिफ था. तो उनके परिवार से हमें वहां नेपाल में बहुत मदद मिली थी.मुझे बेटी और पत्नी के मौत के बाद नेपाल सरकार की ओर से 7 लाख रुपये का मुआवजा मिला था.
जिंदगी यूं बदली है कि सबकुछ छोड़ दिया
हरिश बताते हैं, उस हादसे के बाद मुझमें मेरा कुछ नहीं बचा था. मैं ब्लैंक हो गया था. मेरा कोई अपना नहीं था. मैं जिन लोगों के साथ नेपाल पहुंचा था, उन्होंने मुझे संभाल लिया. मैं वहां से आने के बाद अपनी वाइफ की तरह भक्ति में लग गया. मैं स्पीरिचुएलिटी में पूरी तरह से हूं. मैंने घर पर ही मंदिर बना ली है और मैं वहीं पूजा-साधना में लगा रहता हूं. आज मैं अपनी स्पीरिचुएलिटी की वजह से सरवाइव कर पाया हूं. अब जब तक जिंदगी है, बस उसे भक्ति में ही गुजारना है.