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इंडस्ट्री के सुपरस्टार AK संग काम कर रहे 'पंचायत के नए सच‍िव', 100 से ज्यादा करे एड अब मिली पहचान

पंचायत के तीसरे सीजन में एक नए सचिव की एंट्री हुई, इसे विनोद सूर्यवंशी ने निभाया है. हालांकि विनोद पहले भी कई प्रोजेक्ट्स का हिस्सा रहे हैं, लेकिन इस सीरीज के बाद लोग उन्हें पहचानने लगे हैं. विनोद ने आजतक को दिए एक्सक्लुसिव इंटरव्यू में बताया कि उनका ये सफर कैसा रहा.

विनोद सूर्यवंशी विनोद सूर्यवंशी
ऋचा मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 18 जून 2024,
  • अपडेटेड 11:35 AM IST

पंचायत सीरीज के तीसरे सीजन में नए किरदार की एंट्री हुई थी, जो थे नए सच‍िव. असल जिंदगी में नए सच‍िव का असली नाम है व‍िनोद सूर्यवंशी. आजतक डॉट इन से खास बातचीत में एक्टर विनोद ने बताया कि वो तकरीबन 10 साल से इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं. मुंबई शहर में रहने के बाद भी अपने सपनों को पूरा करना यहां आसान नहीं होता. तो कैसे पंचायत के नए सच‍िव की हुई सीरीज में एंट्री. कितना बदला एक ह‍िट सीरीज में काम करने से करियर, जानिए उनकी जुबानी. 

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पंचायत में कैसे हुई एंट्री

''व‍िनोद ने बताया कि मेकर्स का कॉल आया कि हम पंचायत में नए रोल को लेकर आ रहे हैं. किरदार छोटा है लेकिन शानदार है. ये सुनकर काम के ल‍िए राजी हो गया लेकिन सबसे मुश्किल था ब‍िहारी लहजे में बात करना. मैं महाराष्ट्र से हूं, ऐसे में अपने दोस्तों को पकड़कर मैंने उस तरह से बात करना सीखा. अगले दिन मैं ऑड‍िशन देने गया और रोल अपने नाम कर ल‍िया.''

पंचायत की सक्सेस कैसी है? 

''सच कहूं तो बहुत मजा आ रहा है. लोग सामने से पहचान रहे हैं. पहले मुझे बताना पड़ता था कि मैंने इस सीरीज में काम किया, फलाना शो किया है. लेकिन अब तो सब खुद पहचानते हैं. एक दिन मेट्रो से सफर कर रहा था तो कई लोगों ने घेर ल‍िया. मैं तो घबराहट में माफी मांगने लगा कि मैंने क्या किया है. तो पता चला कि वो लोग मेरे फैन है. सब गले लगकर मिले, मेरे काम की तारीफ की. ये सब देखना महसूस करना बहुत ही अच्छा है.''

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''मुंबई की इंडस्ट्री का ह‍िस्सा बनने से पहले सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी कर रहा था. कई जगहों पर जूनियर आर्ट‍िस्ट की जरूरत थी. मेरे दोस्त ने इस बात की जानकारी दी. सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी में रात को श‍िफ्ट थी. ऐसे में दिन में चला गया. जब सेट पर गया तो वहां का माहौल बहुत अच्छा लगा. काम ज्यादा था नहीं साथ में खाने को भी मिला. सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी में महीने के 10 हजार मिलते थे. ऐसे में गुजारा करना मुश्किल था. जब टीवी में शुरुआत की तो तीन महीने तक मेहनत के बाद पहला रोल मिला था.''

पहली कमाई कितनी थी? 

विनोद बताते हैं कि मेरी पहली कमाई बतौर जूनियर आर्ट‍िस्ट स‍िर्फ 500 रुपये, साथ में खाना भी मिलता था. आज इतने साल बाद काम करते हुए ये बढ़ गई है. मैंने 100 से ज्यादा एड में काम किया या, 10 से 12 वेब सीरीज की हैं. अभी एक रोल के अगर मैं रोजाना काम करूं तो डेली के 50 हजार मिलने लगे हैं. अब बैकअप भी तैयार कर ल‍िया है, कम से कम जो रोल पसंद नहीं आए तो डायरेक्टर को कह सकूं कि ये नहीं जम रहा है. 

इंडस्ट्री में होता है भेदभाव

''इंडस्ट्री में टाइपकास्ट वाली समस्या है. एक बार मैंने हवलदार का रोल कर ल‍िया तो वैसे ही रोल आने लगते हैं. कई बार रोल इसल‍िए छोड़ने पड़ते हैं. जूनियर आर्ट‍िस्ट के खाने का स‍िस्टम भी अलग होता है. उनको भेड़ बकरियों की तरह साइड में दबा देते हैं. उनको दरकिनार कर दिया जाता है. गाली देकर भी कई बार उनसे बात की जाती है. उनके खाने का स‍िस्टम भी अलग होता है. ए क्रू, बी क्रू, सी क्रू में खाने का बंटवारा रहता है. सी क्रू में जूनियर आर्ट‍िस्ट को खाना देते हैं. कई बार भीड़ इतनी होती है कि कई लोगों को खाना मिलता भी नहीं है. ये सब मैंने झेला है.''

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अगला प्रोजेक्ट है धमाकेदार 

विनोद ने बताया कि पंचायत के बाद कई प्रोजेक्ट मिले हैं. हालांकि मैं इस बारे में तो नहीं बता सकता क्यों कॉन्ट्रैक्ट में बंधा हूं. बस इतना कहूंगा कि इंडस्ट्री के सुपरस्टार AK के साथ मैं काम कर रहा हूं. इंडस्ट्री के करीबियों के बारे में बात करते हुए विनोद ने बताया कि व‍िजय सेतुपति के साथ काम किया है, उनका नंबर भी है पास में, लेकिन कभी उनको फोन करके काम नहीं मांगा. ऐसा करना मेरे नेचर में नहीं है.

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