
राजकपूर की फिल्म 'राम तेरी गंगा मैली' से भले ही एक्ट्रेस मंदाकिनी ने अपना फिल्मी डेब्यू किया हो, लेकिन क्या आपको पता है, अगर राज साहब ने दीपिका चिखलिया को वापस नहीं भेजा होता, तो शायद वो इस फिल्म की हीरोइन बन सकती थीं. जानें आखिर क्यों ऑडिशन से राज कपूर ने किया था इंकार, खुद बता रही हैं दीपिका..
मुझे फैल्यॉर और फॉर्गेटेन एक्ट्रेस नहीं बनना था
दीपिका के बारे में अक्सर ऐसी स्टोरीज आती रही हैं कि सीता का किरदार ही उनके करियर का अजाब बन गया था. सीता की इमेज को मेंटेंन रखने के लिए दीपिका को कई बड़ी फिल्मों से हाथ धोने पड़े थे. क्या उन्हें इस बात का मलाल रहेगा? जवाब में दीपिका कहती हैं, 'नहीं.. मलाल तो बिलकुल भी नहीं रहा.. हां, उस वक्त बहुत कुछ हुआ था. दरअसल बात यह है कि मैं इंडस्ट्री केवल एक फिल्म करने ही आई थी. मेरी यही प्लानिंग थी कि मैं एक फिल्म कर इसे टाटा, बाय-बाय कर दूंगी. मैंने पापा से यह टर्म और कंडीशन रखी थी. दरअसल मेरे पापा चाहते थे कि मैं पढ़-लिखकर कुछ बनूं. पहली फिल्म आई और वो उतनी भी नहीं चली कि लगे कि वाओ करियर में आगे कुछ किया जा सकता था. पापा ने कहा कि चलो ठीक है, अब तुम अपनी एजुकेशन कंप्लीट करने पर फोकस करो. पर डेस्टिनी ऐसी बनी कि मैं लगातार काम करने लगी. साथ ही मेरे लिए जो फेम की परिभाषा थी, वो थोड़ी अलग थी. मुझे न ही फेलियर कहलाना था और न ही मैं चाहती थी कि लोग मुझे भूलें. रामायण ने मुझे हमेशा के लिए याद रहने वाला किरदार बना दिया और मैंने सक्सेस भी उसी से पाई थी.'
मुझे देखकर कोई सीटी बजाए, ये गंवारा नहीं
दीपिका आगे कहती हैं, 'सिलसिला बढ़ता रहा. फिर मेरी शादी हो गई थी. मैं काम तो कर रही थी, लेकिन मुझे ये बिलकुल भी गवारा नहीं था कि कोई मुझे देखकर सीटी बजाए. मुझे बड़ा गुस्सा आता था, जब कोई ऐसी हरकतें करता था. मैं बर्दाश्त नहीं कर पाती थी. रास्ते पर जब लड़कियां चलती थीं, तो लोग उस वक्त बहुत सीटियां बजाते थे. एक्ट्रेसेज भी ऐसा करती थीं, वो स्क्रीन पर पहने कपड़ें पब्लिक प्लेसेज में पहना करती थी. सीटियां बजती रहती थीं. मैं अपने साथ ये नहीं होने देना चाहती थी. मैंने ऐसे ही काम का सेलेक्शन किया, जिसमें मुझे लोग सम्मान की नजरों से देखें. इस बात की तसल्ली है कि मैं हमेशा से रिस्पेक्ट चाहती थी और वही मिली.'
'राम तेरी..' में 'राम' का टाइटल सुनकर राजकपूर से मिलने चली गई थी
दीपिका ने हिंदी फिल्मों के शोमैन कहे जाने वाले राजकपूर के लिए भी ऑडिशन दिया था. मगर एक बहुत दिलचस्प वजह से उन्हें वापिस भेज दिया गया. ये किस्सा सुनाते हुए दीपिका बताती हैं, 'उस वक्त फिल्मों में किसिंग सीन्स आम होने लगे थे. मैं थोड़ी असहज हो जाती थी. प्रोजेक्ट्स रिजेक्ट करने की वजह भी यही होती थी कि मैं बोल्ड फिल्में न करूं. जब मुझे पता चला कि राज कपूर 'राम तेरी गंगा मैली' प्रोजेक्ट बना रहे हैं, तो मैं उनसे मिलने चली गई. मुझे लगा टाइटल राम से जुड़ा है, तो कोई पारिवारिक फिल्म होगी. मैं वहां ऑडिशन देने गई, राज कपूर सर वहां बैठे हुए थे. लेकिन मुझे बिना ऑडिशन लिए ही लौटा दिया गया. उन्होंने मेरे लिए मैसेज भिजवाया था कि अच्छे घर की लड़की ये किरदार नहीं कर पाएगी. मुझे लगा शायद उन्हें मैं अपनी फिल्म में नहीं चाहिए होऊंगी, इसलिए मुझे रिजेक्ट कर दिया. बहुत बुरा लगा था. लेकिन फिल्म देखने के बाद अहसास हुआ कि उन्होंने यह क्यों कहा था.