
रिषभ शेट्टी की फिल्म 'कांतारा' को एक कल्ट का दर्जा मिल चुका है. फिल्म की कहानी कर्नाटक के एक खास क्षेत्र, टुलूनाडु के एक गांव के कहानी थी. लेकिन मेट्रो सिटीज से लेकर, उत्तर भारत के कस्बों में भी 'कांतारा' को खूब देखा गया. एजेंडा आजतक 2022 में फिल्म के एक्टर-डायरेक्टर ने बताया कि कहानी से लोगों का ये कनेक्शन क्यों बना.
रिषभ ने कहा कि शायद इंडियन ऑडियंस को सिनेमा स्क्रीन पर ऐसी कहानियों की कमी लग रही थी और वो अपने कल्चर को स्क्रीन पर देखा चाहते थे. उन्होंने कहा कि 'कांतारा' से जनता के जुड़ाव के पीछे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स का पॉपुलर होना और लोगों का नया कंटेंट देखना भी इसका एक कारण रहा.
स्क्रीन पर वेस्टर्न कंटेट एजेंडा ज्यादा हो गया था
एजेंडा आजतक में रिषभ ने बताया कि अब लोगों को जड़ों से जुड़ी कहानियां ज्यादा पसंद आ रही हैं. उन्होंने कहा, 'शायद फिल्म इंडस्ट्री में वेस्टर्न इन्फ्लुएंस ज्यादा था. ये सभी प्लेटफॉर्म आने के बाद लोगों को लगा कि ये जो वेस्टर्न दुनिया की कहानी है ये तो हमें वहां मिल रही है. लेकिन जो हमारे गांव की कहानी हो, हमारा रीजनल कंटेंट हो वो गांव में ही मिलता है. वो किसी प्लेटफॉर्म पर नहीं मिलता है आपको. तो ऐसी एक कहानी मैं लाया तो हमारे भारत की कहानी, हमारे रिचुअल्स और हमारा बिलीफ सिस्टम है, लोग मेरी फिल्म में उससे कनेक्ट कर रहे हैं.'
अपने पहनावे में भी संस्कृति से जुड़ाव बनाए रखते हैं रिषभ
रिषभ की फिल्म 'कांतारा' तो संस्कृति से जुड़ने का मैसेज देती ही है, लेकिन वो अपने पहनावे में भी धोती और लुंगी वगैरह ज्यादा पहने दिखते हैं. उनके पहनावे में भारतीयता का मैसेज है. इस पर रिषभ ने कहा, 'मुझे इस पर गर्व महसूस होता है. मेरे भारत की एक संस्कृति है ये, मेरे कर्नाटक की, मेरे गांव की. वो मतलब अंदर से मेरी पर्सनालिटी का केंद्र है.'
रिषभ ये भी कहते हैं कि 'कांतारा' की कहानी में जो माइथोलॉजी है वो खेतीबाड़ी के कल्चर से जुड़ी है. भारत के हर हिस्से में जो खेतिहर समाज है उनमें इस तरह के देवताओं की कहानी और ऐसी मान्यताएं मौजूद हैं. फिल्म देखते हुए जनता जब स्क्रीन पर ये सब देखती है तो उन्हें अपना कल्चर सामने देखकर गर्व महसूस होता है.