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विरोध से दोस्ती तक, आमिर खान-नरेंद्र मोदी के रिश्ते में ऐसे दिखे हैं उतार-चढ़ाव

आमिर खान ने पीएम मोदी के फैसलों की आलोचना भी की है. उनके कुछ फैसलों का समर्थन भी किया है. पर नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद दोनों के रिश्ते में जबरदस्त बदलाव देखने को मिला.

आमिर खान और नरेंद्र मोदी सोर्स पीटीआई आमिर खान और नरेंद्र मोदी सोर्स पीटीआई
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 15 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 10:15 AM IST

आमिर खान और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच एक अलग तरह का रिश्ता है जो आमतौर पर किसी सेलेब्रिटी और राजनेता के बीच देखने को नहीं मिलता. हाल ही में बॉलीवुड सितारों ने सोशल मीडिया पर देशवासियों से वोट डालने की अपील की थी. मोदी ने खास तौर पर आमिर और सलमान की फिल्म अंदाज़ अपना अपना का रेफरेंस लेते हुए कहा था कि आप जैसे सितारों को लोगों को वोट डालने के लिए मोटिवेट करना चाहिए.

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आमिर खान ने भी पीएम के इस ट्वीट का रिप्लाई किया था और कहा था कि वोट डालना किसी भी लोकतंत्र में बहुत बड़ी जिम्मेदारी है. आमिर से उनके 54वें बर्थ डे पर पूछा गया कि क्या वे आम चुनावों में बीजेपी को सपोर्ट करेंगे तो आमिर  ने साफ किया था कि वे किसी भी पॉलिटिकल पार्टी को सपोर्ट नहीं करते हैं.

आमिर खान और नरेंद्र मोदी के बीच उतार-चढ़ाव देखने को मिलते रहे हैं. 15 अप्रैल 2006 को आमिर ने जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर रहीं एक्टिविस्ट मेधा पाटेकर का समर्थन किया था. मेधा उस समय गुजरात सरकार के एक फैसले का विरोध कर रही थी जिसमें ये कहा गया था कि सरदार सरोवर बांध की लंबाई बढ़ाई जाएगी.  उस दौरान आमिर की फिल्म रंग दे बसंती रिलीज़ होने वाली थी और वे अपनी पूरी टीम के साथ मेधा का समर्थन करने पहुंचे थे. आमिर की नर्मदा बचाओ आंदोलन में सक्रियता देखकर कई लोग हैरान हुए थे.

इससे पहले आमिर ने साल 2002 में गुजरात दंगों के लिए मोदी की आलोचना की थी. उन्होंने कहा था कि एक चीफ मिनिस्टर होने के नाते मोदी स्थिति को अपने काबू में नहीं कर पाए. सैंकड़ों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. जाहिर है, आमिर का ये बयान गुजरात सरकार को नागवार गुजरा और गुजरात में साल 2006 में आई उनकी फिल्म फना को अनाधिकारिक रुप से बैन कर दिया गया. इसके अलावा 2007 में आई उनकी फिल्म तारे जमीं पर को भी गुजरात में काफी विरोध का सामना करना पड़ा था. आमिर ने साफ किया था कि वे नर्मदा बांध के कंस्ट्रक्शन के विरोध में नहीं हैं लेकिन वे चाहते हैं कि जिन लोगों को इस बांध के बनने के चलते अपनी जमीन से हाथ धोना पड़ा है, उनकी रिहायश के लिए सरकार जरूरी इंतजाम करें. उन्होंने ये भी कहा था कि वे किसी से माफी नहीं मांगेंगे क्योंकि उन्हें अपनी बात रखने का हक है.  

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हालांकि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद दोनों के रिश्ते में बदलाव देखने को मिला. साल 2014 में मोदी के पीएम बनने के एक महीने के भीतर आमिर खान ने उनसे मुलाकात की और इस मुलाकात की तस्वीरों को सोशल मीडिया पर शेयर भी किया. उन्होंने पीएम के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट स्वच्छ भारत अभियान में भी अपना सपोर्ट देने की बात कही थी.

इसके बाद साल 2015 में अपने विवादित बयान के बाद आमिर खान कई लोगों के निशाने पर आ गए थे. एनडीए सरकार के पावर में आने के बाद देश में असहिष्णुता से जुड़ी कई घटनाएं देखने को मिली. इसी को लेकर आमिर खान ने बयान दिया था कि देश के फिलहाल जैसे हालात हैं, मेरी पत्नी के मुताबिक वे बहुत सेफ फील नहीं कर रही हैं. आमिर के इस बयान पर उन्हें जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ा था. सोशल मीडिया पर आमिर के द्वारा प्रमोट किए जा रहे ब्रैंड स्नैपडील को भी इसका दंश झेलना पड़ा. हालांकि फिल्म रंग दे बसंती के 10 साल पूरे होने पर उन्होंने साफ किया था कि उनके बयान का गलत मतलब निकाला गया और लोगों ने इस मसले को जरुरत से ज्यादा तूल दिया और उन्होंने ये भी कहा था कि मीडिया के कुछ हिस्से ने उनके बयान को ट्विस्ट दिया. उन्होंने साफ किया था कि हमारे देश की खूबसूरती ही अनेकता में एकता है. आमिर ने कहा था कि जो लोग देश में नेगेटिविटी फैला रहे हैं, उनसे मेरी हाथ जोड़कर गुजारिश है कि वे ऐसा ना करें.

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इसके बाद से आमिर पीएम मोदी के साथ कई मौकों पर मुलाकात कर चुके हैं. वे महाराष्ट्र सरकार के साथ पानी के एक प्रोजेक्ट में भी एक्टिव हैं.  वे एक बार पीएमओ में भारतीय फिल्म इंडस्ट्री देश के आर्थिक हालातों में कैसे योगदान दे सकती है, इस पर चर्चा कर चुके हैं. इसके अलावा जनवरी 2019 में मुंबई में भी नेशनल म्यूज़ियम ऑफ इंडियन सिनेमा के उद्घाटन पर दोनों की मुलाकात हुई थी. ये देखना दिलचस्प होगा कि आमिर और मोदी के रिश्ते में लोकसभा चुनाव के बाद क्या बदलाव आएंगे.

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