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एक्टर अभय देओल पिछले काफी दिनों से चर्चा में बने हुए हैं. अपनी हर बात को बेझिझक रख रहे हैं. अब अभय ने सोशल मीडिया पर धर्मेंद्र संग एक फोटो शेयर किया है और अपना एक्सपीरियंस शेयर किया है.
अभय देओल ने शेयर की पोस्ट
अभय ने धर्मेंद्र संग फोटो शेयर करते हुए लिखा, 'मेरे अंकल, जिन्हें मैं प्यार से डैड कहता हूं. एक आउटसाइडर थे, जिन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में बड़ा नाम बनाया. मुझे खुशी है कि पर्दे के पीछे क्या होता है उस पर अब एक एक्टिव बहस चल रही है. नेपोटिज्म बस इसका एक छोटा सा हिस्सा है. मैंने अपने परिवार के साथ केवल एक फिल्म की, मेरी पहली फिल्म, मैं आभारी हूं कि मैंने ये सौभाग्य प्राप्त किया है. मैं अपने करियर का रास्ता बनाने के लिए काफी आगे तक आया, डैड ने हमेशा प्रोत्साहित किया. मेरे लिए वह प्रेरणा थे.'
'नेपोटिज्म हमारी संस्कृति में हर जगह है, चाहे वह राजनीति हो, व्यवसाय या फिल्म. मैं इसके बारे में अच्छी तरह से जानता था और इसने मुझे अपने पूरे करियर में नए निर्देशकों और निर्माताओं के साथ काम करने के लिए प्रेरित किया. इस तरह मैं ऐसी फिल्में बनाने में सक्षम हो गया, जिन्हें "Out of the box" माना जाता था. मुझे खुशी है कि उन कलाकारों और फिल्मों में से कुछ को जबरदस्त सफलता मिली.'
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अभय ने लिखा- 'नेपोटिज्म हर देश में है, भारत में नेपोटिज्म ने एक और आयाम लिया है. जाति दुनिया के अन्य हिस्सों की तुलना में यहां बड़ा रोल प्ले करती है. आखिरकार, ये "जाति" है जो ये तय करती है कि एक बेटा अपने पिता के काम को आगे चलाता है, जबकि बेटी से शादी करके, एक हाउस वाइफ होने की उम्मीद की जाती है.'
'अगर हम बदलाव के लिए सच में गंभीर हैं तो बाकी आयामों को छोड़कर हमें सिर्फ एक आयाम या एक इंडस्ट्री पर ही फोकस नहीं रखना होगा. ऐसा करना अपूर्ण होगा. हमें सांस्कृतिक बदलाव चाहिए. आखिर हमारे फिल्म निर्माता, राजनेता और व्यापारी कहां से आते हैं? वे सभी लोगों की तरह ही हैं. वे उसी प्रणाली के अंदर बड़े होते हैं जैसे हर कोई. वे अपनी संस्कृति का प्रतिबिंब हैं. हर जगह प्रतिभा चमकने का मौका चाहती है. जैसा कि कुछ हफ्तों में हमने पाया है कि कई सारे रास्ते हैं जिससे एक आर्टिस्ट या तो सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ता है या फिर उसे खींच कर नीचे गिरा दिया जाता है. '
आगे अभय ने लिखा- 'मुझे खुशी है कि आज अधिक अभिनेता सामने आ रहे हैं और अपने अनुभवों के बारे में बोल रहे हैं. मैं सालों से मेरे बारे में मुखर रहा हूं, लेकिन एक आवाज के रूप में मैं अकेले केवल इतना ही कर सकता था. जो इंसान बोलता है उसे बदनाम करना आसान है. और मुझे मैं समय-समय पर ये मिलता है. लेकिन एक समूह के रूप में ये मुश्किल हो जाता है. शायद ये हमारा टर्निंग मोमेंट है. #change #equalopportunity #nepotism #caste #jati #nuance #dialogue.'