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#कश्मीरीपंडितः 27 साल बाद भी हम रिफ्यूजी, पर नहीं उठाए हथियार- अनुपम खेर

एक्टर अनुपम खेर ने कश्मीरी पंडितों के घाटी से विस्थापन की 27वीं बरसी पर एक कविता समर्पित की है. इसे उन्होंने एक वीडियो के जरिए शेयर किया है...

अनुपम खेर अनुपम खेर
मेधा चावला
  • नई दिल्ली,
  • 19 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 3:09 PM IST

कश्मीर घाटी के पंडितों के विस्थापन को 27 साल हो गए. इसकी बरसी पर बॉलीवुड एक्टर अनुपम खेर ने कश्मीरी पंडितों के लिए एक कविता शेयर की है. उन्होंने इस कविता को अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर किया है.

साथ ही उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा - 27 साल हो गए, हम कश्मीरी पंडित अपने ही देश में अब भी शरणार्थी हैं. यह कविता उनके उस खामोश विरोध की प्रतीक है. इसे शेयर करें. बता दें कि अनुपम खेर खुद एक कश्मीरी ब्राह्मण हैं. मुस्लिम बहुल जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडित अल्पसंख्यक हैं.

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अनुपम खेर ने किया जायरा को सपोर्ट, बताया रोल मॉडल

जिस कविता को अनुपम खेर ने वीडियो में शेयर किया है, उसे कश्मीरी कवि डॉ. शशि शेखर तोशखानी ने लिखा है. वीडियो में अनुपम खेर कहते हैं- 'फैलेगा-फैलेगा हमारा मौन समुद्र में नमक की तरह, नसों के दौड़ते रक्त में घुलता हुआ पहुंचेगा दिलों की धड़कनों के बहुत समीप, और बोरी से रिसते आटे सा देगा हमारा पता.

उन्होंने यह भी कहा कि ये आवाजें अब और खामोश नहीं रहेंगी. देखें अनुपम का ट्वीट :

 इससे पहले अनुपम ने दंगल गर्ल जायरा वसीम को भी अपना सपोर्ट किया था. जम्मू-कश्मीर की सीएम महबूबा मुफ्ती से मुलाकात करने पर दंगल गर्ल जायरा वसीम ने फेसबुक पर माफी मांगी थी. उनको सपोर्ट करते हुए अनुपम खेर ने ट्वीट किया था- जायरा भले ही डरी हुई हैं लेकिन उन्होंने इस पोस्ट के जरिए साहस का परिचय दि‍या है.

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