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बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार की फिल्म 'रुस्तम' रिलीज हो गई है. पेश है उनसे हुई खास बातचीत के मुख्य अंश:
'रुस्तम' का किरदार निभाना मुश्किल था?
नहीं, मेरे लिए मुश्किल नहीं था क्योंकि मुझे तो बस किरदार निभाना था. राइटर हमेशा किरदार लिखने में मुश्किल का सामना जरूर करता है.
फिल्म किसे ज्यादा पसंद आएगी?
ये फिल्म औरतों को ज्यादा पसंद आएगी. स्क्रिप्ट काफी अलग है, पहली बार एक महिला, रिलेशनशिप में चीट करती है और फिर कम बैक करने की कोशिश करती है. देखिएगा ये फिल्म कई सारे डिवोर्स को भी रोक पाने में सक्षम रहेगी.
आप आजकल देशभक्त वाली फिल्में ज्यादा कर रहे हैं, कहीं आपको मनोज कुमार तो नहीं समझा जाए?
देखिए मनोज कुमार साहब ने कई सारी महान फिल्में की हैं. ऐसे इंसान से मेरी तुलना किया जाना गलत रहेगा. मुझे नहीं लगता कि मनोज कुमार साहब ने 'हाउसफुल 3' और 'ढिशूम' जैसी फिल्में की थी, तो उनके साथ तुलना करना सही नहीं है. मैंने बहुत सारी अलग-अलग तरह की फिल्में की हैं और मैं नहीं चाहता कि मुझे कोई एक ही तरह की फिल्मों के लिए 'टैग' करे.
आपके 'ढिशूम' के किरदार को काफी सराहा गया है.
जी मुझे लगता है कि समाज के लोग अब हर तरह के रोल को स्वीकार कर रहे हैं. अगर इस तरह के और भी रोल मिलते रहेंगे, तो जरूर करता रहूंगा.
अरशद के बाद अब आप 'जॉली एलएलबी' कर रहे हैं?
जी देखिए ऐसा होता है कि कई बार किसी और को भी मौका मिलता है. मेरी 'वेलकम' फिल्म की सीक्वल कोई और कर गया. किसी भी रोल पर किसी का जन्मसिद्ध अधिकार नहीं होता, जैसे 'हेरा फेरी' की अगली फिल्म मेरी जगह कोई और कर रहा है. तो ऐसा होता रहता है. मैं अपने हिसाब से उस किरदार को निभाता हूं.
इंडस्ट्री में किसी चीज का मलाल रहा है?
नहीं, मैं खुश हूं कि इस इंडस्ट्री का हिस्सा हूं. मुझे कोई मलाल नहीं है, कोई भी मेरे जैसा करियर चाहेगा. अगर मैं कोई मलाल रखूंगा तो मुझसे बुरा इंसान कोई नहीं होगा क्योंकि भगवान ने मुझे जो कुछ भी दिया है उसमें मलाल की कोई संभावना नहीं है.
खुद के भीतर की कोई ऐसी बात, जिस पर आपको काम करना है?
अभी तो मुझे बहुत सारी एक्टिंग करनी है, अपनी आवाज पर काफी काम करना है.
क्या रुस्तम 'नानावटी केस' से प्रेरित है?
नहीं, यह अलग-अलग 4 असल जिंदगी की घटनाओ पर आधारित है.
आपकी फिल्मों का बिजनेस 300-400 करोड़ का क्यों नहीं होता?
क्योंकि मैं साल में 4 फिल्में करता हूं.
आप नसीरुद्दीन शाह के 'राजेश खन्ना' पर किए गए कॉमेंट के बारे में क्या कहेंगे?
मैं 25 साल से इंडस्ट्री में हूं और इस बात पर यकीन रखता हूं कि जिनके घर शीशे के हो, वो दूसरों के घर पत्थर नहीं फेंका करते. किसी बड़े विद्वान ने कहा है कि अपने बिजनेस से मतलब रखना चाहिए. मैं कौन होता हूं किसी पर भी कमेंट करने वाला. सबकी अपनी-अपनी राय होती है. वो अपने मन की बात कह सकते हैं. लेकिन अब वो बात खत्म हो चुकी है. नसीर साहब ने माफी भी मांग ली है. मैं नहीं चाहता कि अब उस बात को ज्यादा तूल दिया जाए.
फिल्म में घाटे और फायदे को कैसे देखते हैं?
हमारी फिल्म 26 करोड़ में बनी है और प्रमोशन में पैसे लगे हैं. अब जो भी कमाई होगी वो प्रोड्यूसर के तौर पर मेरी होगी. अगर फिल्म चलेगी तो मुझे मिलेगा और अगर कम चलेगी, तो कम मिलेगा. मगर फ्लॉप नहीं होगी, बस यही सोच रखता हूं, यही कारण है साल में 3-4 फिल्में करता हूं.
किस तरह की फिल्म अभी करना बाकी है?
मैंने हॉरर कॉमेडी फिल्म 'भूल भूलैया' की थी. अभी और भी ऐसी हॉरर कॉमेडी फिल्में करना चाहूंगा क्योंकि ऐसी फिल्में कम बनती हैं और सिर्फ महमूद साब ही ऐसी फिल्मों के माहिर थे.
इतने बड़े स्टार हैं, फिर भी जमीन से जुड़े हैं?
मैंने 14 फिल्में फ्लॉप भी दी थी, लेकिन सफलता और असफलता मुझे जमीन से जुड़ना ही सीखाती है.