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फेयरनेस की 'देवी' यामी गौतम को एक सांवली लड़की का खुला खत

यामी का मतलब क्या होता है यह नहीं जानती पहले सोचा यम की बीवी का नाम होगा फिर अपनी गवई सोच पर हिकारत हुई आप हमारी तरह गांव की तो हैं नहीं कि नाम तय करने का हिसाब कमल से कमली और विमल से विमला की तर्ज पर होगा, आप तो अंग्रेजीजदा हाई-फाई लड़की हैं. खूबसूरत भी बला की हैं. दरअसल ये बला ही हमारे लिए मुश्किल पैदा कर रहा है.

यामी गौतम यामी गौतम
दीपिका शर्मा
  • मुंबई,
  • 28 नवंबर 2016,
  • अपडेटेड 6:25 PM IST

यामी का मतलब क्या होता है यह नहीं जानती पहले सोचा यम की बीवी का नाम होगा फिर अपनी गवई सोच पर हिकारत हुई आप हमारी तरह गांव की तो हैं नहीं कि नाम तय करने का हिसाब कमल से कमली और विमल से विमला की तर्ज पर होगा, आप तो अंग्रेजीजदा हाई-फाई लड़की हैं. खूबसूरत भी बला की हैं. दरअसल ये बला ही हमारे लिए मुश्किल पैदा कर रहा है.

जब ट्विटर पर उड़ा यामी गौतम की 'फेयरनेस' का मजाक

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न्यूज देखती होंगी तो हर दूसरे रोज किसी नेता को बोलते सुना ही होगा आपने कि भारत के आधे से ज्यादा लोग गांवों में रहते हैं, तो मैं भी इन्हीं लोगों में शुमार हूं. मैं तो कभी आपके शहर में दखल देने नहीं आई लेकिन आप मुई टीवी के रास्ते हमारे कमरे और हमारे आदमियों के दिमागों में आ गई हैं. हमने अपनी देहरी नहीं लांघी तो आपसे भी उम्मीद थी कि अपने तक या अपने जैसों तक रहतीं. आज आपका जन्मदिन है लेकिन मेरा लहजा शिकायती है, आप ये खत पढ़ेंगी तो शायद हैरत में पड़ेंगी कि ये गंवार मुझे भला-बुरा क्यों कह रही है. तो सुनिए मैडम, मैं भी आप ही की तरह एक लड़की हूं, हां शहरी नहीं हूं. न ही आपकी तरह गोरी हूं. पढ़ी लिखी हूं, गांव के स्कूल में पढ़ाती भी हूं लेकिन फिर भी आपके कारण मेरी जिंदगी दूभर हो चुकी है. आपके गोरेपन ने मेरी खुशियों पर कालिख मल दी है.

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मैं सांवली हूं और सिर्फ इसलिए मेरी शादी में दिक्कतें आ रही हैं. आपने हिंदी साहित्य तो शायद ही पढ़ा होगा लेकिन पुराने गानों को भी सुनेंगी तो समझेंगी कि भारत में सांवला होना खूबसूरत होने का पर्याय था. जब गोरी सी हिरोइन कहती है, 'मोरा गोरा अंग लइ ले मोहे श्याम रंग दइ दो' तो हम इठला जाते हैं अपने भाग्य पर. हम तो जिनको पूजते हैं वो कृष्ण भी सांवले थे. सांवली सलोनी कितना प्यारा लगता है बरक्स गोरी-चिट्टी के. आप गोरी हैं इसमें कोई बुरी बात नहीं है लेकिन आपने सांवले लोगों का बड़ा अपमान किया है. उनमें व्यर्थ सी सनक जगा दी है गोरा होने की. आप फेयरनेस की देवी बन कर उभरी हैं. आपको एहसास भी नहीं होगा कि जब हमें हमारा प्रेमी गोरेपन की क्रीम खरीद कर देता है तो जी चाहता है यह डब्बा उस लंपट के मूंह पर दे मारूं. गांव के गोबर-गणेशों को भी अपने लिए गोरी लड़की चाहिए.

आपने हमसे सुंदर होने का हक छीन लिया है. कोई हमारी तारीफ भी अहसान जताते हुए करता है, गोरी तो नहीं है पर सुंदर है. हमने सदियों से बिना किसी अर,पर, अगर, मगर के अपने रूप पर गुमान किया है. बात सिर्फ रूप की भी नहीं है बात सम्मान की है. श्याम जो देवत्व का रंग था अब लानत भेजने के काम आता है. काला बुरा है और सफेद सुंदर, ये सोच ही अमानवीय है. जहां सबसे ज्यादा गोरे रहते हैं वहां भी यह कहना अपराध है, लेकिन गोरों के खिलाफ जंग लड़ने वाले इस देश में सांवलेपन के साथ हो रहे जुल्म-ओ-सितम के लिए आप भी जिम्मेदार हैं मैडम. अपने जन्मदिन के मौके पर कुछ अच्छा करिए और देश को कह दीजिए कि गोरेपन की जो महिमा आपने गाई है वह सिर्फ पैसों के लिए की गई अदाकारी है. सुंदरता आपके होने में है न कि किसी के जैसा हो जाने में.

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सद्बुद्धि की कामना के साथ
आपकी सलोनी

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