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हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में 40 साल से भी ज्यादा का समय बीता चुकी बेहतरीन अदाकारा शबाना आजमी आज भी उसी ऊर्जा से काम में तत्पर हैं, हाल ही में शबाना आजमी की फिल्म 'नीरजा' रिलीज हुई है और फिल्म को काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिला है और फिल्म में शबाना की एक्टिंग की जमकर सराहना की जा रही है. शबाना आजमी से फिल्म को लेकर हुई खास बातचीत के पेश हैं कुछ अंश:
'नीरजा' फिल्म के सफर के बारे में बताएं?
हमने पिछले साल अप्रैल में इस फिल्म की शूटिंग शुरू की थी और उसके एक साल पहले मुझे 'नीरजा भनोट अवॉर्ड' देने के लिए चंडीगढ़ बुलाया गया
था. वहां मेरी मुलाकात रमा भनोट से हुई थी जो नीरजा की मां हैं और मुझे वो बेहद अच्छी लगी थी और उनके साथ मेरा तुरंत कनेक्शन बन गया था और
जब इस फिल्म की स्क्रिप्ट मुझे बताई गई तो मैं हैरत में पड़ गई. अचानक से मुझे लगा कि कहीं से इशारा होकर आया था कि मुझे यह रोल निभाना है.
फिल्म साइन करने के पीछे का असली कारण क्या था?
मुझे इस फिल्म की कहानी बहुत अच्छी लगी. ऐसा लगा कि मुझे इस फिल्म का हिस्सा बनना चाहिए. मैं मानती हूं अगर इस तरह की फिल्में बनाई
जाएं तो लड़कियों को लेकर एक पॉजिटिव इमेज सामने आती है.
नीरजा के बारे में आपने क्या जाना?
नीरजा एक बहादुर लड़की थी, जो एक ऐसे माहौल में आती है जहां उसे डर का डटकर सामना करना पड़ता है. काफी पॉजिटिव बात है.
आपकी प्रेरणा कौन हैं?
मेरी परवरिश और मां-बाप मेरी प्रेरणा रहे हैं. 9 साल की उम्र तक हम लोग 8 परिवार एक साथ रहा करते थे लेकिन वहां पुरुष और महिला का कभी
भी अंतर नहीं पाया गया. जब अम्मा कहीं बाहर जातीं थी तो अब्बा हमारा बाल बना दिया करते थे, तो हमारे परिवार में सब सामान थे. अब्बा की उस
वक्त लिखी हुई लाइन यादा आती है 'उठ मेरी जान, मेरे साथ ही चलना है तुझे.'
फिल्म में 'हाई जैक' एक अहम हिस्सा है?
हां वो फिल्म का काफी खास हिस्सा है. लेकिन फिल्म का ट्रेलर बहुत ही अच्छे ढंग से एडिट किया गया था और रिस्पॉन्स बेहतरीन आया है.
मां के रूप में आप वो इमोशंस कहां से लाए?
ये जो मां है, वो हर घर की सामान्य मां के ही जैसी है. वो चाहती है कि उसके बच्चे सही टाइम पर खाना खाएं, उसने अपनी बेटी को कभी नहीं
सिखाया कि तुम बहुत बहादुर बनो. एक तरह से फिल्म में 'नीरजा' के साथ-साथ उसकी मां का भी सफर दिखाया गया है. मां की सबसे लास्ट स्पीच है वो
सबसे मुश्किल पार्ट था, बहुत ही अच्छा लिखा हुआ था.
अपनी मां के बारे में भी थोड़ा बताएं?
मेरी मां बहुत ही असामान्य है. दरअसल मेरे और पिता जी के बारे में ज्यादा बातें हुई हैं लेकिन मां के साथ मेरे रिलेशन के बारे में बहुत कम बात
की गई है. मेरी मां सारी जिंदगी वर्किंग रही हैं. बहुत ही अच्छी मां हैं. मेरी मां मोहब्बत का सागर हैं. उन्हें सभी लोग बेइन्तहां प्यार करते हैं. हमारे घर में
मिथुन, कंवलजीत जैसे कई सारे एक्टर्स रहा करते थे. मां सबका ख्याल रखती थीं.
क्या आपको रोल अदा करते वक्त मां की याद आई?
जी, आज सुबह ही जब मैं इंटरव्यू के लिए आ रही थी तो मां ने कहा, 'खाना कहां खाओगी? नाश्ता नहीं किया?' और फिल्म में भी बिल्कुल ऐसी ही
मां है.
आपको किस चीज से डर लगता है?
देखो मरने से डर नहीं लगता, सबसे ज्यादा डर यही रहता है कि करीबी लोग हमेशा स्वस्थ रहें.
सबसे ज्यादा महफूज कहां पाती हैं?
अपनी मां की गोद में, अपने घर जाते ही मां के पास चली जाती हूं.
कभी किसी ने आपकी बायोपिक बनानी चाहिए?
हां कई बार फिल्म, किताब और थिएटर के लिए अप्रोच किया गया लेकिन अभी और भी काम करना है.