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मुश्किल में सिंगल थिएटर और मल्टीप्लेक्स, पीएम मोदी से मदद की उम्मीद

कोरोना वायरस की वजह से फिल्म एंड थिएटर इंडस्ट्री पर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा है. कई फिल्में बनकर तैयार पड़ी हैं, लेकिन कोरोना महामारी के चलते उन्हें दिखाने के लिए थिएटर बंद पड़े हैं. ऐसे में अगर थिएटर काफी दिनों तक बंद रहते हैं तो थिएटर बिजनेस पर ताला भी लग सकता है.

मल्टीप्लेक्स सिनेमा (सांकेतिक तस्वीर) मल्टीप्लेक्स सिनेमा (सांकेतिक तस्वीर)
aajtak.in
  • मुंबई,
  • 13 मई 2020,
  • अपडेटेड 10:53 AM IST

कोरोना संकट जैसे जैसे बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी संकट गहराता जा रहा है. इसकी सबसे ज्यादा मार फिल्म एंड थिएटर इंडस्ट्री पर पड़ी है. कई फिल्में बनकर तैयार पड़ी हैं, लेकिन कोरोना महामारी के चलते उन्हें दिखाने के लिए थिएटर बंद पड़े हैं. ऐसे में अगर थिएटर काफी दिनों तक बंद रहते हैं या कोरोना महामारी के चलते थिएटर बिजनेस पर ताला लगता है तो फिल्मों के बिजनेस पर भी संकट के बादल गहरा सकते हैं.

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इस मुश्किल घड़ी में मल्टीप्लेक्स तो किसी तरह पार करने की हिम्मत रखते हैं लेकिन सिंगल थिएटरों के लिए ये किसी सूनामी की तरह है जिससे बचना उनके लिए मुश्किल होता जा रहा है. इसके दो पहलू हैं, पहला ये कि अगर थिएटर बंद होते हैं और वहां से लोगों की छटनी होती है तो इसका फिल्म क्षेत्र के अलावा भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा. और दूसरा ये कि बेचारे वो लोग जो सस्ती टिकटों की वजह से सिंगल थिएटरों में जाना पसंद करते थे उन लोगों का क्या होगा, क्योंकि एक तरफ जहां मल्टीप्लेक्स के किराए में बढ़ोतरी संभव होगी तो वहीं सिंगल थिएटर इस संकट को झेल नहीं पाएंगे.

एक्सपर्ट्स की राय क्या है?

मनोज देसाई (एक्सीक्यूटिव डायरेक्टर, G7 मल्टीप्लेक्स एंड मराठा मंदिर सिनेमा ) –

वाकई ये सिंगल थिएटर्स के लिए एक बुरा वक्त है, हमने मार्च और अप्रैल की पूरी सैलेरी दी है अपने स्टाफ को. हांलाकि अब मैं परेशान हूं क्योंकि हमारे पास और कोई जरिया नहीं है कमाने का और बुरी स्थिति से गुजर रहे हैं हम लोग, लेकिन मैंने सुना है कि आज रात को 8 बजे और 15 तारीख को पीएम मोदी ये बताने वाले हैं कि वो हम लोगों की कितनी मदद कर पाएंगे. तो फिर हम उसी हिसाब से देखेंगे कि हमें मई महीने में क्या करना है. वैसे आजकल कई फिल्में डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रिलीज हो रही हैं. उससे भी हम थिएटर वालों को नुकसान होगा, बाकि देखिए आगे क्या होता है.

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सुधीर मिश्रा (एक्टर-डायरेक्टर-राइटर)

इस बारे में अभी कुछ भी कहना जरा जल्दबाजी होगी कि सिंगल थिएटर्स बंद होने पर क्या होगा. क्योंकि मुझे लगता है कि जिन जगहों पर कोरोना की मार कम पड़ी या वो शहर या प्रदेश जहां कोरोना ना के बराबर या समाप्त हो चुका है, उन जगहों पर थिएटर खोले जा सकते हैं. दूसरा मुझे लगता है कि ओपन थिएटर वाले कॉन्सेप्ट को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि लोग बंद कमरे में बैठने की बजाए खुले में फिल्मों को एक साथ और समुचित दूरी के साथ देख सकें और उसका आनंद उठा सकें. तीसरा फिल्मों को थिएटरों के अलावा वेब प्लेटफॉर्म और OTT प्लेटफॉर्म पर रिलीज किए जाने की ज्यादा जरुरत है. हां वो मेगा बजट फिल्में जिनकी कमाई का मुख्य श्रोत मल्टीप्लेक्स है उन्हें थोड़ा और इंतजार करना चाहिए क्योंकि देर सवेर ही सही लेकिन कोरोना का इलाज जरूर निकलेगा और फिल्मों का काम दोबारा सामान्य तरीके से चलेगा.

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अमृता पुरी (फिल्म एक्ट्रेस)-

मुझे लगता है कि ये वाकई एक बड़ी समस्या है क्योंकि अगर थिएटर बंद होते हैं तो उसका असर फिल्मों की मेकिंग पर भी पड़ेगा, क्योंकि थिएटर्स फिल्मों की कमाई का बहुत बड़ा साधन हैं, ऐसे में हमें I FOR INDIA जैसी कोई दूसरी मुहीम छेड़कर पैसे जुटाने चाहिए और उस पैसों को सिंगल थिएटरों को बचाने के लिए इस्तेमाल में लाया जाना चाहिए, ताकि जितनी हो उससे उन लोगों की मदद हो पाए.

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वैसे हम आपको बता दें कि अमृता पुरी फिल्म वर्कर्स के लिए सीक्रेट डोनेशन भी कर चुकी हैं और वो थिएटरों की बिगड़ती हालत को लेकर परेशान भी हैं. कोरोना से जंग के बीच सिंगल थिएटरों पर पड़ी रही इस दोहरी मार को लेकर बचाव का क्या तरीका निकलता है और कैसे इन थिएटरों को बंद होने से बचाया जा सकता है, ये देखने वाली बात होगी लेकिन फिलहाल तो स्थिति वाकई खतरनाक बनी हुई है.

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