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पद्मावत का 'विघ्न' हटवाने विनायक मंदिर पहुंचीं दीपिका पादुकोण

पद्मावत रिलीज को तैयार है, सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म बैन से जुड़ी सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है. अब इस फिल्म में किसी तरह की परेशानी नहीं आए इसके लिए रानी पद्मिनी का किरदार अदा करने वाली दीपिका पादुकोण मुंबई में विघ्नहर्ता विनायक के दर्शन को पहुंची.

दीपिका (फाइल फोटो) दीपिका (फाइल फोटो)
ऋचा मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 23 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 3:38 PM IST

पद्मावत रिलीज को तैयार है, सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म बैन से जुड़ी सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है. अब इस फिल्म में किसी तरह की परेशानी नहीं आए इसके लिए रानी पद्मिनी का किरदार अदा करने वाली दीपिका पादुकोण मुंबई में विघ्नहर्ता विनायक के दर्शन को पहुंची. दीपिका ने गणपति के दरबार में माथा टेका और अपनी आने वाली फिल्म की रिलीज से जुड़े सभी विघ्न दूर करने के लिए प्रार्थना की.

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दीपिका के नाक-कान काटने की दी घमकी

बता दें राजपूत करणी सेना के महिपाल सिंह मकराना ने दीपिका पादुकोण की नाक काटने की धमकी दी. एक वीडियो जारी कर कहा- 'राजपूत महिलाओं पर कभी हाथ नहीं उठाते, लेकिन जरूरत पड़ी तो हम दीपिका के साथ वही करेंगे जो लक्ष्मण ने शूर्पणखा के साथ किया था.' यूपी के मेरठ में एक राजपूत नेता ने फिल्म के डायरेक्टर संजय लीला भंसाली के खिलाफ अजीबोगरीब फरमान जारी किया. इसमें भंसाली का सिर काटने वाले को पांच करोड़ देने की बात है.

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घूमर गाने पर हुई आपत्त‍ि

दीपिका के गाने घूमर पर करणी सेना ने आपत्त‍ि दर्ज की थी. इस पर सेंसर ने राजपतों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए गाने में मॉडिफिकेशन कराए है. पिछले दिनों नया घूमर एडिटिंग के साथ सामने आ गया है.

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पद्मावत बैन से जुड़ी सभी याचिका SC ने की खारिज

सुप्रीम कोर्ट के फिल्म पर लगे बैन को हटाने के फैसले के बाद मध्यप्रदेश और राजस्थान ने कोर्ट में पुर्नविचार याचिका डाली थी. इस पर सोमवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने वकील तुषार मेहता के सवाल के पैराग्राफ के उस हिस्से को पढ़ा जिसमें कहा गया है कि चूंकि कुछ ग्रुपों ने हिंसा की चेतावनी दी है, इसलिए फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगनी चाहिए.

कोर्ट ने कहा कि कानून व्यवस्था को बनाए रखना राज्य सरकार का कर्तव्य है. कोर्ट ने कहा है कि इस याचिका को क्यों कबूला जाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकारों को कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी उठानी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि हिंसा को बढ़ावा देने वाले कुछ ग्रुपों को राज्य सरकारें प्रोत्साहित नहीं कर सकती है. कुछ ग्रुप लगातार हिंसा की धमकी देकर रिलीज रोकने की अपील कर रहे हैं. सेंसर बोर्ड ने अपना काम किया है. कोर्ट ने कहा कि हम लोग इतिहासकार नहीं हैं और यह फिल्म ऐसा बिल्कुल नहीं कहती है कि ये पूरी तरह इतिहास पर आधारित है.

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