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पीएम नरेंद्र मोदी: प्रशंसा की जगह उड़ सकता है मजाक, कहीं उल्टा न पड़ जाए दांव

फिल्म पीएम नरेंद्र मोदी का ट्रेलर रिलीज हो गया है. ट्रेलर देखकर साफ पता चलता है कि जमकर मोदी की छवि गढ़ने की कोशिश हुई है. इसमें मोदी को एक ऐसे नेता के रूप में दिखाया गया है जिसके लिए देश, धर्म से कहीं ज्यादा मायने रखता है.

विवेक ओबेरॉय (इंस्टाग्राम) विवेक ओबेरॉय (इंस्टाग्राम)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 22 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 2:18 PM IST

लोकसभा चुनाव से पहले रिलीज हो रही नरेंद्र मोदी के जीवन पर बनी फिल्म पीएम नरेंद्र मोदी का विषय ही ऐसा है कि हर कोई इस पर बात कर रहा है. फिल्म का ट्रेलर आ गया है. एक तबका कह रहा है कि फिल्म खासतौर से चुनाव में मोदी को फायदा पहुंचाने और प्रचार के लिए बनाई गई है.

लेकिन 5 अप्रैल को रिलीज हो रही फिल्म, अगर ट्रेलर का ही विस्तार होगी तो इस बात की आशंका प्रबल है कि फिल्म, मोदी का प्रचार करने से कहीं ज्यादा उनका मजाक उड़ाने में इस्तेमाल हो. ऐसा घटनाओं की अतिनाटकीय प्रस्तुति की वजह से हो सकता है. मोदी को निर्भीक, निडर राष्ट्रवादी और हीरो के रूप में दिखाने के लिए जिस तरह से घटनाओं का वर्णन किया गया है वह ट्रेलर में प्रभावी लगने की बजाय मजाकिया नजर आता है.

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1992 में बीजेपी ने कश्मीर के लाल चौक में तिरंगा एकता यात्रा निकालकर झंडा फहराया था. उस वक्त बीजेपी अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी ने यात्रा का नेतृत्व किया था. लेकिन "पीएम नरेंद्र मोदी" में इस घटना को बहुत ही नाटकीय तरीके से दिखाया गया है. यह कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लोग लाल चौक पर तिरंगा फहराने जा रहे हैं. मोदी के ग्रुप को सेना के जवान कवर कर रहे हैं. बड़े पैमाने पर गोलियां चल रही हैं. निर्भीक मोदी हैं कि हाथ में तिरंगा लिए बढ़े ही जा रहे हैं.

ठीक इसी तरह आपातकाल की घटना का भी जिक्र ट्रेलर में नजर आता है. मोदी ने आपातकाल के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेता के रूप में उल्लेखनीय कार्य किया था. लेकिन ट्रेलर में इंदिरा के सामने आपातकाल के दौरान मोदी को कुछ इस तरह से गढ़ा गया है कि वे आपातकाल में विपक्ष का नेतृत्व करने वाले बहुत बड़े नेता के तौर पर नजर आते हैं.

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ट्रेलर से साफ पता चलता है कि जमकर मोदी की छवि गढ़ने की कोशिश हुई है. इसमें मोदी को एक ऐसे नेता के रूप में दिखाया गया है जिसके लिए देश, धर्म से कहीं ज्यादा मायने रखता है. ट्रेलर में मोदी के बचपन का भी एक प्रसंग है. एक जगह मोदी तिरंगा देखकर उसे सैल्यूट करते नजर आते हैं. जब मोदी के साथ मौजूद दूसरा बच्चा सवाल करता है कि वो ऐसा क्यों करते हैं, मोदी का जवाब है "तू मंदिर को देखकर ऐसा क्यों करता है."

ट्रेलर के आधार पर कह सकते हैं कि फिल्म में मोदी के पूरे सफरनामे को दिखाया जाएगा. बचपन की कहानी जिसमें उन्हें चाय बेचना पड़ा, आपातकाल, साधू बनने की घटना, गुजरात दंगों, गुजरात को विकसित राज्य बनाने और प्रधानमंत्री बनने के बाद पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक जैसी तमाम कहानियों के जरिए मोदी के व्यक्तित्व को दिखाया जाएगा.

पीएम नरेंद्र मोदी का निर्देशन मैरी कॉम और सरबजीत जैसी बायोपिक बना चुके ओमंग कुमार कर रहे हैं. विवेक ओबेरॉय, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका निभा रहे हैं. जबकि निर्माण संदीप सिंह के साथ सुरेश ओबेरॉय कर रहे हैं. हालांकि नरेंद्र मोदी के रूप में विवेक ओबेरॉय की कास्टिंग को लोग पसंद नहीं कर रहे हैं. कुछ लोग तो यहां तक कह रहे हैं कि लोकसभा चुनाव से पहले सस्ते प्रचार के लिए सस्ती फिल्म बनाई गई है.

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