
दिग्गज फिल्ममेकर बासु चटर्जी के निधन के बाद पूरे बॉलीवुड में शोक की लहर है. अमिताभ बच्चन से लेकर अरुण गोविल, दिव्या दत्ता, शूजीत सरकार और अनुराग कश्यप जैसे तमाम सेलेब्स ने सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि दी है. 93 वर्षीय बासु ने मुंबई में अंतिम सांस ली. वह पिछले कई दिनों से बढ़ती उम्र से होने वाली दिक्कतों से परेशान थे.
हिंदी सिनेमा में बासु चटर्जी के अद्वितीय काम के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा. उनकी फिल्मों की बात करें तो ये फेहरिस्त बहुत लंबी है. उन्होंने पिया का घर, उस पार, चितचोर, स्वामी, खट्टा मीठा, प्रियतमा, चक्रव्यूह, जीना यहां, बातों बातों में, अपने प्यारे, शौकीन और सफेद झूठ जैसी फिल्मों का निर्देशन किया था.
बासु चटर्जी के बारे में कम ही लोग ये बात जानते हैं कि उन्होंने शुरुआत एक कार्टूनिस्ट और एक इलस्ट्रेटर के तौर पर की थी. उन्होंने तकरीबन 18 साल तक मुंबई के एक अखबार में ये काम किया था जिसके बाद उनकी मुलाकात सिनेमा जगत में फिल्में बनाने की ओर रुख किया. उन्होंने शुरुआत बासु भट्टाचार्य के असिस्टेंट के तौर पर की थी.
राज कपूर और वहीदा रहमान की फिल्म तीसरी कसम में उन्होंने बासु भट्टाचार्य को असिस्ट किया था. ये फिल्म साल 1966 में रिलीज हुई थी और इसमें बेस्ट फीचर फिल्म का अवॉर्ड जीता था. जहां तक उनके डायरेक्टोरियल डेब्यू की बात है तो उन्होंने निर्देशन के क्षेत्र में फिल्म सारा आकाश से शुरुआत की थी. ये फिल्म साल 1969 में रिलीज हुई थी और इसके लिए बेस्ट स्क्रीनप्ले का फिल्मफेयर अवॉर्ड जीता था.
टीवी पर भी चलाया जादू
छोटे पर्दे पर भी बासु का जादू चला था. अस्सी के दशक में बासु चटर्जी क्रांति लेकर आये थे सीरियल रजनी के साथ. उन्होंने भारतीय टेलीविज़न को दी थी टीवी की पहली गृहणी. जो था सीरियल रजनी 1985 में.अभिनेत्री प्रिया तेंदुलकर ने इस किरदार से उस वक़्त खलबली मचा दी थी. इस मजेदार महिला प्रधान सीरियल्स के करीब 15 साल बाद सीरियल्स महिला प्रधान ही बनते चले गए. इसके अलावा बासु ने भारतीय टीवी को पहला बिना टोपी वाला जासूस भी दिया था. ये सीरियल था 1993 में आया सीरियल ब्योमकेश बख्शी अभिनेता रजित कपूर ने ब्योमकेश का किरदार निभाया था.
मिले थे ये अवॉर्ड
बासु चटर्जी के काम का ही जादू था कि उन्हें सात बार फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था. इनमें चार बार बेस्ट स्क्रीनप्ले के लिए और दो बार क्रिटिक्स अवॉर्ड फॉर बेस्ट मूवी शामिल था. एक फिल्म फेयर उन्हें बेस्ट डायरेक्टर अवॉर्ड के लिए मिला था. बासु एक बार नेशनल अवॉर्ड और एक बार आईफा का लाइफटाइम अचीवमेंट पा चुके थे.
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इन फिल्मों का किया था प्रोडक्शन
बासु ने जितनी फिल्में बनाई उन सभी में निर्देशन का काम किया था. हालांकि कई फिल्में ऐसी थीं जिनका स्क्रीनप्ले उन्होंने खुद लिखा था. उस पार, बातों बातों में, पसंद अपनी अपनी, लाखों की बात और एक रुका हुआ फैसला जैसी फिल्मों का प्रोडक्शन उन्होंने खुद किया था.