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आदिवासियों का डांस पर रजवाड़ों की परंपरा, पद्मावती में दीपिका ने किया 'घूमर'

संजय लीला भंसाली की बहुप्रतीक्षित फिल्म पद्मावती का घूमर गाना  रिलीज हो चुका है. ये पहली बार नहीं जब किसी फिल्म या गाने में राजपूत सभ्यता की झलक देखने को मिल रही है.  आइए जानें कब कब और कैसा रहा है बालीवुड में राजस्थान के कल्चर का तड़का.

पद्मावती फिल्म का एक सीन (फोटो यूट्यूब से साभार) पद्मावती फिल्म का एक सीन (फोटो यूट्यूब से साभार)
अनुज कुमार शुक्ला
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  • 25 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 5:46 PM IST

संजय लीला भंसाली की बहुप्रतीक्षित फिल्म पद्मावती की रिलीज में अब कुछ ही दिन बचे हैं. लुक, पोस्टर और ट्रेलर के बाद बुधवार को फिल्म का एक बेहतरीन घूमर सॉंग रिलीज किया गया. राजस्थान की कहानी पर आधारित पद्मावती में वहां के फोक का खूब इस्तेमाल हुआ है. हालांकि संजय ने इसमें भी अपनी तरह का प्रयोग कर दिया है और फिल्म की मन माफिक भव्यता में पारंपरिक घूमर डाब सा गया है. वैसे संजय लीला भंसाली अपनी फिल्मों के लिए पहले भी राजस्थानी लोक का इस्तेमाल कर चुके हैं. इससे पहले उन्होंने हम दिल दे चुके सनम के लिए राजस्थानी लोक गीत 'निम्बोड़ा' का इस्तेमाल किया था.

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निम्बोड़ा को लेकर हुआ विवाद

ये गाना बेहद लोकप्रिय हुआ था. इसमें ऐश्वर्या राय बच्चन ने कमाल का डांस किया था. प्रेम त्रिकोण पर आधारित फिल्म में सलमान खान, अजय देवगन ने ऐश्वर्या के अपोजिट काम किया था. फिल्म में निम्बोड़ा गाने के इस्तेमाल पर विवाद भी सामने आया था. राजस्थान के लोक गायकों ने लोक गीत के फ़िल्मी इस्तेमाल पर आपत्ति जताते हुए इसे चोरी तक करार दिया था. घूमर के साथ प्रयोग की वजह से भंसाली की आलोचना हो सकती है.

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क्या है घूमर डांस ?

ये राजस्थान का एक सामूहिक लोक नृत्य है. माना जाता है कि इसकी शुरुआत दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी इलाकों में भीलों ने की थी. हालांकि इसके पुख्ता प्रमाण नहीं हैं कि ये शुरू कैसे हुआ. वैसे इसमें सिर्फ महिलाएं ही हिस्सा लेती हैं. महिलाएं लंबे घाघरे, रंग-बिरंगी चुनरी और बाजू में रंगीन लटकन पहनकर गोल घेरे में लोकगीत गाती हुई डांस करती हैं. जब विशिष्ट शैली में डांस करती हैं तो उनके लहंगे का घेरा और हाथों का संचालन मनमोहक होता है. ये स्लो रिदम का डांस है, जिसमें घाघरे के साथ शरीर का संतुलन सबसे जरूरी है. घूमर - होली, तीज, दुर्गापूजा, नवरात्रि और गणगौर या विभिन्न देवियों की पूजा के मौके पर किया जाता है. तीन-चार बंदिशों पर ये डांस किया जाता है जिनमें चिरमी म्हारी चिरमी घूमर, म्हारो गोरबंद नखरालों, घूमर प्रमुख है. जयपुर में जहां डांस काफी प्रचलित है है, वहां इसके लिए 'अस्सी कली' का घाघरा प्रसिद्द है.

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घूमर का इतिहास

हालांकि ये सामूहिक डांस आदिवासियों के बीच से निकला लेकिन बाद में रजवाड़ों का घरेलू डांस बन गया. कहा जाता है कि आमेर में भील-मीना जैसी जातियों का कब्जा था. कछवाहा राजपूतों ने उन्हें हटाकर आमेर पर कब्जा किया. माना जाता है कि इसके बाद भीलों की कई परंपराएं राजपरिवारों का हिस्सा बन गईं. इन्हीं में एक घूमर डांस भी है. समय के साथ ये परंपरा ढूंढाड (जयपुर के आस-पास) इलाके में आज भी कछवाहा राजपूत परिवारों में है. नई दुल्हनों के आने के एक दिन बाद ससुराल में वो घूमर करती है. अभी भी कई परिवार इस परंपरा को बनाए हुए हैं.

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