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गुजरात में 12 वीं के स्टूडेंट पढ़ रहे हैं दीपिका को उनके पिता का लिखा लेटर

गुजरात एजुकेशन बोर्ड के 12वीं कक्षा के कॉमर्स स्टूडेंट उस लेटर को पढ़ रहे हैं, जो प्रकाश पादुकोण ने अपनी बेटी दीपिका और अनीषा पादुकोण को लिखा था.

प्रकाश पादुकोण और दीपिका पादुकोण प्रकाश पादुकोण और दीपिका पादुकोण
विजय रावत
  • नई दिल्ली,
  • 07 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 5:25 PM IST

गुजरात एजुकेशन बोर्ड के 12वीं कक्षा के कॉमर्स स्टूडेंट उस लेटर को पढ़ रहे हैं, जो प्रकाश पादुकोण ने अपनी बेटी दीपिका और अनीषा पादुकोण को लिखा था.

बोर्ड ने कॉमर्स की किताब में यूनिट चार में फैमिली बॉन्डिंग और ह्यूमन वैल्यूज का महत्व समझाया है. इसी के तहत पूर्व बैडमिंटन प्लेयर प्रकाश पादुकोण द्वारा बहुत पहले लिखा गया एक लेटर किताब में छापा गया है.

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पढ़िए यह लेटर…

प्यारी दीपिका और अनीषा,

तुम दोनों उस मोड़ पर हो, जहां से जिंदगी शुरू होती है. मैं तुमसे वो सबक साझा करना चाहता हूं, जो जिंदगी ने मुझे सिखाए हैं. सालों पहले बेंगलुरू में एक छोटे बच्चे ने बैडमिंटन खेलना शुरू किया था, तब ना तो कोई स्टेडियम थे और ना ही कोई बैडमिंटन कोर्ट जहां ट्रेनिंग ली जा सके.

मेरा बैडमिंटन कोर्ट तो घर के करीब केनरा यूनियन बैंक का एक शादी हॉल था. मैंने वहीं पर खेलना सीखा. हर रोज हम इंतजार करते कि हॉल में कोई फंक्शन तो नहीं है, अगर नहीं होता तो हम स्कूल से भागकर वहां पहुंच जाते ताकि अपने दिल की चाह पूरी कर सकें.

इसके बावजूद मेरे बचपन और कच्ची उम्र की सबसे खास चीज थी कि मैंने जिंदगी में कभी किसी कमी की शिकायत नहीं की. मैं इसी बात से खुश रहा है कि हमें हफ्ते में कुछ दिन खेलने की सुविधा तो मिलती है. अपने करियर और जिंदगी दोनों से मैंने कभी कोई शिकवा नहीं किया और यही मैं तुम बच्चों को सिखाना चाहता हूं कि जुनून, कड़ी मेहनत, जिद और जज्बे की जगह कोई चीज नहीं ले सकती.

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दीपिका जब तुमने 18 साल की उम्र में कहा था कि तुम्हें मुंबई जाना है, क्योंकि तुम मॉडलिंग करना चाहती हो तो हमें लगा था कि तुम एक बड़े शहर और एक बड़ी इंडस्ट्री के लिए बहुत छोटी हो और तुम्हें कोई तजुर्बा भी नहीं है, लेकिन आखिर में हमने तय किया कि तुम्हें तुम्हारे दिल की करने दिया जाए.

क्योंकि हमें लगा कि तुम्हें वो सपना पूरा करने का मौका नहीं देना जिसके साथ तुम बड़ी हुई हो ये बहुत गलत है. तुम कामयाब हो जाती तो हमें गर्व होता और अगर नहीं होती तो तुम्हें कभी अफसोस नहीं होता क्योंकि तुमने कोशिश की थी. याद रखो कि मैंने तुम्हें हमेशा यही बताया है कि दुनिया में अपना रास्ता कैसे बनाना है. बिना अपने माता-पिता से उम्मीद किए कि वे उंगली पकड़कर तुम्हें वहां पहुंचाएंगे.

मेरा मानना है कि बच्चों को अपने सपनों के लिए खुद मेहनत करनी चाहिए ना कि इस बात का इंतजार कि कोई कामयाबी उन्हें लाकर देगा. आज भी जब तुम घर आती हो तो तुम अपना बिस्तर खुद लगाती हो, खाने बाद मेज खुद साफ करती हो और जमीन पर सोती हो जब घर में मेहमान होते हैं.

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तुम कभी सोचती होगी कि हम तुम्हें एक स्टार समझने को क्यों तैयार नहीं हैं, तो ऐसा इसलिए है क्योंकि तुम हमारे लिए बेटी पहले हो और एक फिल्म स्टार बाद में.

तुम्हारा पिता.

 

 

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