
कुछ तो वजह रही होगी जो वीरू की मोहब्बत में डूबी बसंती मना करने के बाद भी उन 'कुत्तों' के सामने नाचने लगी थी. उस वजह का नाम था गब्बर सिंह. गझिन छितरी दाढ़ी लिए हुए जकरिया अमजद खान ने शोले फिल्म में गब्बर सिंह का किरदार इतने बेहतरीन और बुरेपन के साथ निभाया कि हमें उस दुष्ट विलेन से मोहब्बत हो गई. आज डर के दूसरे नाम अमजद खान का 74वां जन्मदिन है. अमजद खान ने कई फिल्मों में बेहतरीन एक्टिंग की. लेकिन शोले फिल्म का गब्बर सिंह लोगों के जेहन में आज भी है. गब्बर न सिर्फ एक काबिल विलेन था बल्कि उसने समाज में सोचने का नया तरीका दिया. यहां जानिए कैसे गब्बर ने अपनी दिव्य सोच से समाज को बदल दिया.
1. स्वच्छ भारत अभियान के जनक गब्बर
आ..थू! मच्छर और मक्खियां कित्ती गंदी होती है न. लेकिन गब्बर
सफाई पसंद शख्स था. तभी तो गब्बर शोले में मक्खी को देखते ही पीसने में देर नहीं लगाता है. पीएम मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान की प्रेरणा संभवत: वहीं से ली थी. लेकिन हां फिल्म में उसका विलेन अवतार उस
पर एक वक्त में हावी हो ही जाता है और सीन चेंज होते ही वो आ..थू करने में भी देर नहीं लगाता है.
2. गब्बर का बच्चों से प्रेम
गब्बर को बच्चे बहुत पसंद थे...सुअर के बच्चे. शोले में गब्बर के सिर पर जब भी
चिंता हावी होती, उसके मुंह से झट से निकल ही जाता था, सुअर के बच्चों. दरअसल इस आड़ में गब्बर न चाहते हुए भी अपने अंदर की ममता और जानवरों से प्रेम को बाहर ले ही आता था.
3. खैनी का ब्रांड एंबेस्डर
चोरी छिपे खैनी तो दुनिया खाती है. लेकिन फुल टशन में कमर की अंटी से खैनी निकालकर रगड़ने का साहस गब्बर ने भारतीय समाज को दिया. उसी के बाद लोगों ने इस सत्य को जाना कि खैनी चैन से मजा
लेने की चीज है.
4. कैलेंडर, पंचांग की बिक्री
त्योहार जीवन में खुशियां लाते हैं. लेकिन कुछ लोगों को यह पता भी नहीं हुआ करता था कि होली कब है. लेकिन जैसे ही भारतीय संस्कृति के चिंतक गब्बर ने 'होली कब
है' डायलॉग वाया मुख समाज के समक्ष प्रस्तुत किया, बाजारों में पंचागों, कैलेंडर की बिक्री बढ़ गई. लोगों को अपने त्योहारों के बारे में जानना अपने जीवन का जरूरी हिस्सा लगने लगा.
5. वर्क रिपोर्ट का ट्रेंड
किसी
भी एम्पलॉई की अपने बॉस के प्रति जवाबदेही सबसे पहले गब्बर ने तय की. जालिम सीनियर्स को क्रूरता का पाठ पढ़ाने में गब्बर ने गुरु द्रोण की भूमिका निभाई. सरदार मैंने आपका नमक खाया है. सुबह से मैंने यह
काम किया वो काम किया. सुबह से कोई क्या काम कर रहा है, ये जानने की पहली कोशिश किसी बॉस ने इतिहास में की थी तो वो कोई बिल ग्रेट्स नहीं बल्कि गब्बर ही था.
6. सज्जन पुरुष था गब्बर
आप अब तक की
कोई सी फिल्म भी देख लीजिए. गब्बर एकमात्र विलेन है जिसने कुछ क्रूर करने से पहले इजाजत मांगना मुनासिब समझा. शिष्टाचार का पालन करते हुए गब्बर ने ठाकुर से पहले हाथ मांगे. लेकिन जब ठाकुर ने
एटीट्यूड दिखाया तो मजबूरन गब्बर ने बाकायदा तीन बार पूछने के बाद अपनी मंशा पूरी की.
7. आत्मनिर्भर गब्बर
किसी दूसरे से कोई उम्मीद नहीं रखनी चाहिए. गब्बर ने हथियार इस्तेमाल करने के मामले में भी
पूरी आत्मनिर्भरता बरती. जब भी उसे किसी हथियार की जरूरत पड़ती तो वो किसी से मांगने की बजाय अपनी पैंट से ही बेल्ट निकालकर काम पर लग जाता था. गब्बर ने कभी भी अपनी पैंट के नीचे गिरने की फिक्र
नहीं की.
8. खूबसूरती की लव लाइन
लड़कियों के खूबसूरत होने और चक्की के आटे का संबंध बताने वाला गब्बर ही तो था. ये वो दौर था तब शक्ति भोग वाले मंदिर का भोग खा रहे थे और देगी मिर्च वालों का
अंग फड़कना शुरू नहीं हुआ था. 'कौन सी चक्की का आटा खिलाते हैं ये रामगढ़ वाले'. बस ये डायलॉग गब्बर ने बोला और प्रेम की चाहत लिए लड़कों ने इसका खूबसूरती से विश्वस्तरीय सूत्र ढूढ़ निकाला.
9.
वक्त का मारा था गब्बर
गब्बर का वक्त ठीक नहीं था. वरना सोचिए आज जिस तरह से श्रद्धा कपूर प्यार से 'ऐ विलेन' कहते हुए विलेन का दिल बदल देती है. कोई होता जो प्यार से कहता ऐ गब्बर.. तो उसका दिल
भी मुलायम हो सकता था. पर तभी की हिरोइन और डायरेक्टर्स ने गब्बर की भावनाओं को कभी नहीं समझा.
10. हमने एडवेंचर गब्बर से जाना
चिकने हीरो के दौर में छितरी हुई गझिन दाढ़ी लिए गब्बर सिंह ने
दाढ़ी खुजलाने को भी ट्रेंड बनाया. वरना खुद ही सोचिए सन्नी देओल के पापा धर्मेंद्र और बीजेपी सांसद हेमा मालिनी आम तोड़ रहे थे और ऐश्वर्या के ससुर अमिताभ पीपीरी बजा रहे थे. तब हमारा गब्बर चट्टानों के बीच रहते
हुए कभी घुड़सवारी कर रहा था तो कभी ट्रैकिंग.