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क्या है जावेद हबीब की सक्सेसफुल जर्नी का राज? ऐसे घर-घर पहुंचाया सैलून

बालभारत मिशन पर बात करते हुए जावेद ने कहा लॉकडाउन में मेरा मिशन बालभारत बहुत हिट हुआ. लोगों को इस महामारी में घर बैठे ही अपने बालों को संवारने के लिए उन्हें स्वस्थ रखने के लिए मेरे सारे प्रयास सफल रहे.

जावेद हबीब जावेद हबीब
अनुराग गुप्ता
  • मुंबई,
  • 18 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 3:44 PM IST

मशहूर सेलेब्रिटी हेयर स्टाइलिस्ट जावेद हबीब कैसे बने बालों के डॉक्टर और इस लॉकडाउन में उनके मिशन 'बालभारत ' के क्या हैं फायदे. आजतक से खास बातचीत में जावेद ने शेयर किया अपना एक हेयर स्टाइलिस्ट से लेकर पॉलिटिशियन बनने तक का सफर.

जावेद ने अपने इस सक्सेसफुल जर्नी का जिक्र करते हुए कई बातें बताई. उन्होंने कहा- 'सौ सालों की लिगेसी ऐसे ही बनती है. मेरे दादा माउंटबेटन और पिता नेहरूजी के हेयरड्रेसर थे. मेरा जन्म भी राष्ट्रपति भवन में हुआ था. इसके लिए बहुत कुछ करना पड़ता है. मैं बहुत भाग्यशाली हूं क‍ि मैं एक ऐसे परिवार का हिस्सा हूं जिसके काम को दुनियाभर में सराहा जाता है. जो काम हमारे दादा ने राष्ट्रपति भवन से शुरू किया था, आज तक वो काम पूरी श‍िद्दत से किया जा रहा है. मुझे लगता है ऐसी किसी भी फैमिली को अपने आप पर प्राउड होना चाहिए. हर एक इंसान जो हमारे इस प्रोफेशन से आज पूरे देश में सम्मान के साथ जुड़ा है उस हर एक शख्स को अपने ऊपर गर्व होना चाहिए. क्योंकि हमने ही इस प्रोफेशन को एक सम्मानजनक पोजीशन तक पहुंचाया है जिसे पहले महज एक छोटा और अनदेखा बिजनेस माना जाता रहा है. लेकिन आज देखिए तमाम सारे पढ़े-लिखे युवा इस क्षेत्र में अपना करियर भी बना रहे हैं और सफल भी हो रहे हैं.

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लॉकडाउन में मिशन 'बालभारत'

बालभारत मिशन पर बात करते हुए जावेद ने कहा- लॉकडाउन में मेरा मिशन 'बालभारत ' बहुत हिट हुआ. लोगों को इस महामारी में घर बैठे ही अपने बालों को संवारने के लिए उन्हें स्वस्थ रखने के लिए मेरे सारे प्रयास सफल रहे. मैंने तमाम ऑडियो और वीडियो के जरिए घर-घर तक बात पहुंचाई क‍ि आप बालों की समस्या से इस दौरान बिना किसी सैलून जाए आप अपने बालों का ख्याल रख सकते हैं. मेरी बात आम पब्लिक तक पहुंचे और उन्हें उससे लाभ पहुंचे और भला मुझे क्या चाहिए था. आई एम सो हैप्पी की लोगों को मेरी कोशिश पसंद आई. कईयों ने मुझे फोन करके और मैसेजेस करके मुझे धन्यवाद भी कहा जो मेरे लिए बेहद खास और सुखद अनुभव है.

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अपनी सफलता के बारे में उन्होंने कहा- 'देखिए मेरे हिसाब से सफलता का एक ही फॉर्मूला है और वो ये है क‍ि आप जम कर मेहनत कीजिए और सबसे जरुरी बात कि मेहनत सही डायरेक्शन में कीजिए. ये मत सोचिए कि इसका फायदा क्या होगा क्योंकि इसका फायदा डेफिनेटली होगा ये आपको समय के साथ समझ में आने लगेगा. मुझे लगता है क‍ि मुझे इस दुनिया में कैंची लेकर ही भेजा गया तो मैंने इस कैची का बहुत एक्सपेरिमेंट भी किया. इसका इस्तेमाल मैंने बाल काटने में किया, मैंने एजुकेशन में किया, अपने बिजनेस में किया और मोहब्बत और जूनून दोनों के साथ किया शायद ये उसी का नतीजा है.'

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सबको बनाना है सलमान-शाहरुख तो क्या सोचा मास्टर जावेद ने

शायद मुझसे पहले इस प्रोफेशन के बारे में किसी ने इतना बड़ा नहीं सोचा था. मैंने कभी बॉलीवुड की तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दिया जबकि मेरे पास कई पर्सनल क्लाइंट्स के ऑफर्स भी आते रहते हैं. लेकिन मैं ये चाहता था क‍ि भारत के हर एक शहर हर एक प्रान्त में हर कोई अपने आपको शाहरुख़ और अक्षय-सलमान समझे और उन्हें ऐसा न लगे क‍ि वो फ़िल्मी स्टार वाला ट्रीटमेंट या हेयर स्टाइल उन्हें नहीं मिल पा रहा है. मैं चाहता था हर कोई अपने आप को स्टार फील कर सके इसलिए हमारी अप्रोच भी यही रही जिसे लोगों ने पसंद किया.

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जब शाहरुख़ की फिल्म 'बिल्लू बार्बर' के लिए मचा बवाल

जी हां वो फिल्म बिल्लू बार्बर के साथ मैं जुड़ा था उसका प्रमोशन भी हमारे सैलून में हुआ. एक हेयर ड्रेसर के ऊपर इतनी बड़ी मूवी बन रही थी शाहरुख़ खान मरहूम इरफ़ान खान जैसे बड़े कलाकार फिल्म में थे. जब मूवी कॉन्ट्रोवर्सी में आई तब बार्बर एसोसिएशन ने बोला क‍ि फिल्म का जो नाम है बिल्लू बार्बर वो नहीं होना चाहिए. आपने बार्बर शब्द कैसे बोल दिया उस पर सबको ऑब्जेक्शन था. तभी मुझे इसमें जोड़ा गया तो मैंने कहा बार्बर को इंग्लिश में बार्बर ही कहा जाता है भैया हिंदी में नाई कहेंगे इसमें बुराई क्या है.

कभी बॉलीवुड के पीछे नहीं भागे जावेद

मैं कभी बॉलीवुड के पीछे नहीं भागा बाद में उल्टा वही बॉलीवुड मेरे पीछे भागा. क्योंकि मैंने सोचा था क‍ि मैं खुद एक स्टार बनूंगा जिसके लिए जरूरी नहीं है क‍ि मैं सिल्वर स्क्रीन पर आऊं. मैं बिना दिखे भी स्टार बन सकता हूं और मैंने वही किया मेरी पहचान मेरा चेहरा नहीं मेरी कैंची है जो मुझे स्टार बनाती है. और हां इसके पीछे एजुकेशन का भी बड़ा हाथ मानता हूं जिसकी वजह से मैं इतना बड़ा सोचा पाया हूं और कर पाया हूं. क्योंकि बिना एजुकेशन के आप कुछ नहीं कर सकते इसलिए काम और एजुकेशन दोनों सफलता के लिए बेहद जरूरी है. इस देश में 3 करोड़ से ज्यादा सैलून है और उसमें 9 करोड़ से ज्यादा लोग काम करते हैं. मैं उनकी आवाज बनना चाहता हूं. अपने करियर की शुरुआत में भी मैं 15 से 20 घंटे काम करता था और आज भी वही मेरा सिलसिला चल रहा है.

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पॉलिटिक्स से भी जुड़े जावेद

देखिए मैं ये कहूंगा अगर आप समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं तो जहां आज आपकी रीच 2 लाख लोगों तक है वहीं पॉलिटिक्स से जुड़ने के बाद 3 करोड़ या उससे भी ज्यादा लोगों तक पहुंच सकती है. उसके लिए एक मंच की जरूरत होती है. जिसके माध्यम से आप ज्यादा से ज्यादा लोगों से जुड़ पाते हैं. मैं कभी किसी विवाद में नहीं रहा. सोशल मीडिया पर कभी किसी को ठेस नहीं पहुंचे. मेरे लिए तो हर जाती हर धर्म और वर्ग के लोग एक समान हैं. शायद यही भाव मुझे राजनीति के लिए प्रेरित करता है. इसलिए मैं भारतीय जनता पार्टी का सदस्य बना.

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