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'केदारनाथ' से हटे बैन, डायरेक्टर ने उत्तराखंड सरकार से की अपील

फिल्म केदारनाथ के निर्देशक अभिषेक कपूर ने उत्तराखंड सरकार से अपनी फिल्म पर से प्रतिबंध हटाने का आग्रह किया है.

सुशांत स‍िंह राजपूत-सारा अली खान सुशांत स‍िंह राजपूत-सारा अली खान
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 10 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 9:00 AM IST

फिल्म 'केदारनाथ' के निर्देशक अभिषेक कपूर ने उत्तराखंड सरकार से अपनी फिल्म पर से प्रतिबंध हटाने का आग्रह किया है. अभिषेक कपूर ने ट्वीट किया, "मैं उत्तराखंड सरकार से अपनी फिल्म 'केदारनाथ' पर लगाए गए प्रतिबंध को हटाने का आग्रह करता हूं. यह देश के लोगों में शांति, सद्भाव लाने का प्रयास है. कृपया हमें इस अवसर से वंचित न करें."

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हालांकि राज्य सरकार ने फिल्म पर कोई आधिकारिक प्रतिबंध नहीं लगाया है, लेकिन राज्य के सभी जिलाधिकारियों को फिल्म और इससे जुड़े विवादों के बारे में लिखित संदेश भेजा है. यह निर्णय मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया था. बैठक में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता वाली एक समिति द्वारा फिल्म पर प्रस्तुत एक रिपोर्ट की समीक्षा की गई.

सरकार ने इसे जिला प्रशासन पर छोड़ दिया कि फिल्म को उनके संबंधित अधिकार क्षेत्र में रिलीज किया जाना चाहिए या नहीं. इसके बाद देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी, टिहरी, नैनीताल, अल्मोड़ा और उधमसिंहनगर में फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया गया.

यह फिल्म वर्ष 2013 में केदारनाथ में बाढ़ से मची तबाही पर केंद्रित है. पहाड़ी राज्य में फिल्म की शूटिंग हुई. दक्षिणपंथी इसका विरोध कर रहे हैं और उनका आरोप है कि यह हिंदू भावनाओं को आहत करती है और 'लव जेहाद' को बढ़ावा देती है. उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने गुरुवार को फिल्म पर प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया और याचिकाकर्ताओं से जिलाधिकारियों से संपर्क करने को कहा था. बता दें फिल्म ने बॉक्स ऑफ‍िस पर बेहतरीन प्रदर्शन किया है, दो द‍िन में तकरीबन 17 करोड़ रुपये की कमाई कर ली है.

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बैन पर बोलीं सारा अली खान

सारा ने कहा- हम लोगों ने उत्तराखंड में फिल्म की शूटिंग की. हम वहां पर 40 दिनों के लिए रुके. मैंने वहां पर अपने जीवन के हसीन पल बिताए. उस जगह ने मुझे बहुत कुछ दिया है. मुझे दुख है कि मैं वहां के लोगों को ये प्यार वापस नहीं कर पाई मेरे लिए ये असली मलाल है. सारा ने आगे कहा- जाति और धर्म के आधार पर बंटवारा होना गलत है. फिल्म डिवाइड करने के बजाय, साथ जोड़ने का संदेश देती है. मुझे नहीं लगता कि लोगों को ठेस कैसे पहुंच रही है. मुझे नहीं लगता कि जो लोग ऐसा कह रहे हैं उन्होंने फिल्म देखी है.

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