
भारतीय फिल्म जगत के इतिहास में डायरेक्टर सत्यजीत रे का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाता है. सत्यजीत रे के काम को देखकर अगर उन्हें चलता फिरता फिल्म संस्थान कहा जाए तो इसमें कोई गलत बात नहीं होगी. देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में अपने काम का लोहा मनवा चुके सत्यजीत भले ही आज हमारे साथ नहीं हैं लेकिन उनकी फिल्में आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई हैं.
घर पर मिला था ऑस्कर
1992 में सत्यजीत रे को ऑस्कर का ऑनरेरी अवॉर्ड फॉर लाइफटाइम अचीवमेंट देने की घोषणा की गई थी. लेकिन उस दौरान वे बहुत बीमार थे. ऐसे में ऑस्कर के पदाधिकारियों ने फैसला लिया था कि ये अवॉर्ड उनके पास पहुंचाया जाएगा. अकैडेमी यानी ऑस्कर के पदाधिकारियों की टीम कोलकाता में सत्यजीत रे के घर पहुंची थी और उन्हें अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. इसके करीब एक महीने के भीतर ही 23 अप्रैल 1992 को दिल का दौरा पड़ने की वजह से उनका निधन हो गया था.
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सत्यजीत रे, भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिनके पास ऑस्कर अवॉर्ड खुद चलकर आया था. सत्यजीत रे ने अपने करियर में कई बढ़िया फिल्में मनोरंजन जगत और दर्शकों को दीं. इसमें पाथेर पांचाली, चारुलता, अपराजितो, शतरंज के खिलाड़ी आदि संग अन्य दीं. उनके अलावा म्यूजिक कंपोजर ए आर रहमान ने भी इस अवॉर्ड को जीता था.