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लुप्त Review: कमजोर है फिल्म की कहानी, हॉरर से ज्यादा कंफ्यूजन

जानें कैसी है जावेद जाफरी, विजय राज, निकी अनेजा वालिया, मिनाक्षी दीक्षित और ऋषभ चड्ढा की फिल्म लुप्त. पढ़ें र‍िव्यू.

लुप्त पोस्टर लुप्त पोस्टर
मोनिका गुप्ता
  • मुंबई,
  • 01 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 4:44 PM IST

फिल्म का नाम: लुप्त

डायरेक्टर: प्रभु राज

स्टार कास्ट: जावेद जाफरी, विजय राज, निकी अनेजा वालिया, मिनाक्षी दीक्षित, ऋषभ चड्ढा, करण आनंद

अवधि: 1 घंटा 57 मिनट

सर्टिफिकेट: U/A

रेटिंग: 1.5 स्टार

जावेद जाफरी और विजय राज का कॉम्बो लेकर डायरेक्टर प्रभु राज ने फिल्म लुप्त का निर्माण किया है. फिल्म का ट्रेलर सराहा गया था और बाद में उर्मिला मातोंडकर के गाने 'भूत हूं मैं' से प्रोमोशन भी स्टार्ट हो गया था. अब फिल्म रिलीज होने के लिए तैयार है. आइए जानते हैं आखिरकार कैसी बनी है यह फिल्म...

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कहानी

फिल्म की कहानी बिजनेसमैन हर्ष टंडन (जावेद जाफरी) से शुरू होती है, जो कि बिजनेस में टॉप लेवल पर जाना चाहता है. उसके परिवार में उसका बेटा सैम (ऋषभ चड्ढा), पत्नी (निकी अनेजा) और बेटी तनु (मीनाक्षी दीक्षित) हैं.

सैम को समय-समय पर प्रैंक खेलने की आदत है. तनु का बॉयफ्रेंड फोटोग्राफर राहुल (करण आनंद) है. हर्ष को समय-समय पर अजीबोगरीब लोग दिखाई देते हैं, जिसकी वजह से उनकी मनोचिकित्सक उन्हें छुट्टी पर जाने के लिए कहती हैं. हर्ष अपने बीवी बच्चों और राहुल के साथ छुट्टी के लिए कार लेकर लखनऊ से नैनीताल रवाना हो जाता है. बीच रास्ते में उसकी गाड़ी खराब हो जाती है. इसकी वजह से एक अंजान मुसाफिर विजय राज उन्हें अपने घर में रात में रुकने के लिए कहते हैं. फिर कहानी में बहुत सारे ट्विस्ट शुरू हो जाते हैं और समय-समय पर अजीबोगरीब भूत से रिलेटेड घटनाएं भी होने लगती हैं. 

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कमज़ोर कड़ियां

फिल्म की कमजोर कड़ी इसकी डगमगाती हुई कहानी और स्क्रीनप्ले है. किरदारों की लेयरिंग भी गड़बड़ है. कहानी का वन लाइनर अच्छा था. इंटरवल से पहले का हिस्सा भी ठीक था. लेकिन फिल्म का सेकंड हाफ पूरी तरह बोर करता है. आखिरकार खोदा पहाड़ और निकली चुहिया वाली कहावत सच होती दिखती है. बार-बार होने वाली घटनाओं का सिर और पैर समझ में नहीं आता है. एक पल के बाद बोरियत भी होने लगती है. फिल्म का कैमरा वर्क भी काफी फीका है, बार-बार एक ही तरह के सीन दिखाई देते हैं. एक तरीके से यह वो फिल्म नहीं बन पाई है, जो दर्शकों को रिझा सके. अभिनय के लिहाज से भी हर किरदार लगभग वेस्ट ही लगा है. कहानी बढ़िया होती तो जावेद जाफरी और विजय राज जैसे एक्टर्स भी उम्दा नजर आते. कास्टिंग भी अच्छी नहीं हैं. डायरेक्टर प्रभु राज ने प्रयास तो किया है लेकिन कहानी ने उन्हें कमजोर कर दिया है.

क्यों देखें फिल्म?

फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर और दो गाने अच्छे है. अगर आप जावेद जाफरी या विजय राज के फैन है तो एक बार जरूर ट्राई कर सकते हैं. मीनाक्षी दीक्षित का काम भी अच्छा है.

बॉक्स ऑफिस

प्रोमोशन के साथ फिल्म का बजट और बज, दोनों काफी कम है. पहले से ही आयुष्मान खुराना की दो फिल्में अंधाधुन और बधाई हो, बॉक्स ऑफिस पर कमाल दिखा रही हैं, देखना दिलचस्प होगा की इन सबके बीच 'लुप्त' अच्छा धंधा करती है, या 'विलुप्त' हो जाती है.

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