
फिल्म 'तुम्हारी सुलु' दर्शकों और क्रिटिक्स के बीच लगातार सराही जा रही है. इस फिल्म ने अब तक 23 करोड़ रुपए की कमाई कर ली है. इस फिल्म से जहां लंबे समय बाद विद्या बालन के हाथ एक सफल फिल्म लगी, वहीं मानव कौल भी दमदार भूमिका में नजर आए. मानव कौल फिल्म में विद्या के पति अशोक की भूमिका में हैं. वे जय गंगाजल, काई पो चे, सिटीलाइ्ट्स जैसी फिल्मों में नजर आ चुके हैं. उन्होंने आजतक से की बातचीत में इस फिल्म के असर और अपनी फिल्मों के चुनाव के बारे में बताया.
- किसी फिल्म को चुनने का आपका क्या पैरामीटर होता है. कई फिल्मों में आप छोटी-छोटी भूमिका में भी नजर आए?
मैं फिल्मों के अलावा भी कई काम करता हूं. पिछले डेढ़ साल से मैं फिल्मों को 'न' कह रहा था. सब कुछ स्क्रिप्ट पर निर्भर करता है. मुझे स्क्रिप्ट अच्छी लगती है तो मैं बेशक फिल्म को करता हूं. यदि तुम्हारी सुलु में मुझे छोटी से छोटी भूमिका मिलती, तो भी मैं करता. ये कहानी ही इतनी जर्बदस्त थी.
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- फिल्मों के अलावा और किन कामों में अपना समय देते हैं?
मैं थिएटर करता हूं. लंबा वक्त उसमें जाता है. अभी लखनऊ में शो होने वाला है. इसके बाद बरेली में, फिर मुंबई में. इसके अलावा एक किताब लिख रहा हूं. ये मेरी तीसरी किताब है. इससे पहले 'ठीक तुम्हारे पीछे' और 'प्रेम कबूतर' लिख चुका हूं.
-तुम्हारी सुलु फिल्म कैसे मिली?
ये फिल्म कास्टिंग डायरेक्टर नंदिनी श्रीकेंट के जरिए मिली. ऑडिशन दिया, विद्या के अपोजिट लुक टेस्ट हुआ और बात बन गई. मैं लंबे समय से इस तरह की फिल्म का इंतजार था. मैंने मार्च में ये फिल्म साइन की और अप्रैल में शूटिंग शुरू हुई. बहुत कम समय में ये फिल्म रिलीज हो गई.
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-'बन जा मेरी रानी...' गाना इतना हिट हो गया. क्या कहेंगे?
वाकई हमें उम्मीद नहीं थी कि ये गाना इतना हिट हो जाएगा. इसे शूट करने में भी काफी मजा आया. हमें इसे एक दिन में शूट करना था. हमारे पास रात तक का वक्त था, लेकिन हमने इसे सिर्फ छह घंटे में फिल्मा लिया. मैं पहले काफी डरा हुआ था. मैंने पहले कभी डांस नहीं किया था. लेकिन जब सेट पर गए, तो अलग ही माहौल था. डायरेक्टर सुरेश त्रिवेणी ने समझाया कि ये गाना नहीं, एक सीन है पूरा. इसके बाद मैंने और विद्या ने इसे मस्ती करते हुए अपने तरीके से शूट किया. इसमें जो मस्ती है, वही लोगों को पसंद आई है. अशोक का जो कैरेक्टर है, वो ऐसा ही. उसे डांस नहीं आता, इसलिए इसमें किसी तरह के स्टेप्स का कोई बंधन नहीं था. ये इस बात का उदाहरण है कि यदि आप अपने कैरेक्टर में रहते हैं तो हर मुश्किल हल हो जाती है.
- आप पहली बार एक हीरो के तौर पर दिखे हैं. अन्य फिल्मों में निगेटिव रोल में दिखे. किस तरह के रोल को आप करना चाहते हैं?
मैं हर तरह के रोल करना चाहता हूं. मैं किरदारों का भूखा हूं, मुझे खाने के लिए बहुत कुछ चाहिए. जो भी रोल मुझे अच्छा लगता है या स्क्रिप्ट जोड़दार लगती है, मैं उसे साइन कर लेता हूं.
- फिल्म का जो संदेश है, उसके बारे में क्या कहेंगे. कैसी प्रतिक्रिया मिल रही है?
हम एक पारिवारिक फिल्म बनाना चाहते थे. किसी तरह का मैसेज देने की हमारी कोई मंशा नहीं थी, लेकिन इसके बावजूद लोगों को इसमें कुछ संदेश नजर आ रहा है तो बहुत अच्छी बात है. कई लोग मुझे मैसेज भेज रहे हैं कि मैं सुलु हूं, मेरा पति अशोक है. वो बिल्कुल ऐसे ही डांस करता है. लोग मुझे डांस के वीडियो बना बनाकर भेज रहे हैं. मेरी मां कहती है कि 'मैं सुलु थी'. मैं लाइफ में बहुत कुछ करना चाहती थी. मेरे सपने थे. इस तरह लोग फिल्म से कनेक्ट हुए, ये काफी अच्छी बात है.
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-आप एक स्थापित थिएटर आर्टिस्ट हैं. फिल्म और थिएटर के अंतर को कैसे देखते हैं?
देखिए, थिएटर में भी खराब एक्टर होते हैं और फिल्मों में भी. ये एक परफॉर्मिंग आर्ट है. थिएटर करने से कोई बड़ा एक्टर नहीं बन जाता. जैसे रणवीर कपूर ने कभी थिएटर नहीं किया, लेकिन फिर भी वे कमाल के एक्टर हैं. मैं जब फिल्में करता हूं तो थिएटर का जरा भी जिक्र नहीं करता. थिएटर की मेरी अपनी अलग दुनिया है.