
कभी-कभी हो या उमराव जान, दोनों फिल्मों के गीत इतने मशहूर हैं कि आज भी लोग उनके गीतों को गुनगुनाते हैं. लेकिन इनके पीछे जिस शख्स का हाथ है वो हैं मोहम्मद जहूर खय्याम हाशमी. लोग उन्हें जहूर कम और खय्याम के नाम से ज्यादा जानते हैं.
पद्म भूषण से सम्मानित म्यूजिक डायरेक्टर और कंपोजर खय्याम अब 92 साल के हो चुके हैं. 1976 में आई फिल्म कभी कभी में अमिताभ और राखी पर फिल्माए गए गाने 'कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आया है', 'मैं पल दो पल का शायर हूं' आदि खय्याम ने कंपोज किए हैं.
रेखा की फिल्म उमराव जान का मशहूर गीत 'दिल चीज क्या है, जान लीजिये' हो या फिर दर्द फिल्म का 'न जाने क्या हुआ जो तूने छू लिया' सहित कई गाने हैं जो खय्याम के कंपोज किए हुए हैं.
खय्याम के गीतों में भारतीय क्लासिकल के साथ गजल का टच होता है. खय्याम ने 1953 से लेकर 2014 तक काम किया है. 1953 में आई फिल्म फुटपाथ और 1958 में आई फिल्म फिर सुबह होगी में उनके गीत 'वो सुबह कभी तो होगी' ने उन्हें लोकप्रियता दी. 70-80 के दशक में उनके गीत और भी हिट हुए. पोएट्री से भरपूर उनके गीत उस जमाने के पॉपुलर ब्रांड म्यूजिक से हटकर थे.
खय्याम की तबियत नाजुक बताई जा रही है. एक खबर के मुताबिक उन्हें मुंबई के सुजय अस्पताल में भर्ती किया गया है. उन्हें फेफड़ों में इंफेक्शन की शिकायत है. खय्याम ने इस साल पुलवामा अटैक में मारे गए शहीदों के लिए 5 लाख की राशि भी जमा की थी.