
विद्या बालन की शॉर्ट फिल्म नटखट का प्रीमियर जिओ मामी फिल्म फेस्टिवल में हो चुका है और ये फिल्म आपके होश उड़ाने लायक है. हर साल मुंबई में होने वाला MAMI फिल्म फेस्टिवल इस साल यूट्यूब पर हो रहा है. इसी में विद्या बालन की फिल्म नटखट को दिखाया गया. इस फिल्म में हमारे 'लड़के लड़के ही रहेंगे' वाली सोच पर सीधा निशाना कसा गया है.
फिल्म एक स्कूल के छोटे बच्चे सोनू की कहानी है, जो छोटी-सी उम्र में ही लड़कियों को छेड़ने, उन्हें उठवा लेने और जंगल में ले जाकर सबक सिखाने जैसी चीजें सीख रहा है. उसकी मां (विद्या बालन) घरेलू हिंसा का शिकार है और अपने बेटे की इन बातों से बेहद परेशान भी है. सोनू एक पितृसत्तात्मक परिवार में रहता है, जहां औरतों को परदे में रखा जाता है और अपनी बात रखने की आजादी नहीं है.
परफॉरमेंस
विद्या बालन स्टारर इस फिल्म में बहुत सारे एक्टर्स ने छोटे-छोटे रोल्स निभाए हैं, जो कि बढ़िया हैं. इसमें सोनू के किरदार और उसकी मां के किरदार को फोकस में रखा गया है. विद्या बालन संग उनके बेटे सोनू के किरदार में चाइल्ड एक्टर ने बढ़िया काम किया है. विद्या एक ऐसी मां के किरदार में शाइन करती हैं, जो अपने बच्चे को कहानी के सहारे नई सीख देकर उसे बेहतर इंसान बनाने की जद्दोजहद करती नजर आई हैं.
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डायरेक्शन
इस फिल्म को डायरेक्टर शान व्यास ने बनाया है. शान ने इसे राइटर अनुकम्पा हर्ष संग मिलकर लिखा भी है. ये कहानी बहुत खूबसूरती से लिखी गई है और उतनी ही खूबसूरती से दिखाई गई है. हमारे समाज में लड़कियों के साथ होने वाली छेड़छाड़, शोषण और लड़कों को मिलने वाली छूट और उनका लड़कियों को लेकर व्यवहार और सोच इस फिल्म में दिखाई गई है. 'लड़का है जाने दो', 'लड़कियां कोई किसी लड़के पर हाथ उठा सकतीं है भला?' 'मान नहीं रही तो उठवा लो', 'जब लड़कियां माने ना तो उठवा लेना चाहिए ... को', ये फिल्म के कुछ ऐसे डायलॉग्स हैं, जो आपको हमारे समाज की बड़ी प्रॉब्लम को साफ दिखाते हैं.
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फिल्म नटखट में टॉक्सिक मस्क्युलिनिटी, रेप कल्चर, जेंडर इनक्वालिटी, घरेलू हिंसा और अन्य बड़े टॉपिक्स पर बात की गई है. ये फिल्म साफ करती है कि बच्चे अपने घर और टीचर्स से ही जरूरी चीजें सीखते हैं. छोटे-से लड़के का एक जवान लड़की का दुपट्टा खींच ले जाना और बड़े-बड़े लड़कों के बीच उसे गले में डालकर फ्लॉन्ट करना और सबका उसकी तारीफ करना, स्कूल के छोटे लड़कों का लड़कियों की चोटियां खींचना, मास्टर का हर सवाल एक लड़के से पूछना और लड़कियों को नजरअंदाज करना. ये इस शॉर्ट फिल्म की वो बारीकियां हैं, जो इसे पॉवरफुल बनाती हैं.
शान व्यास अपनी छोटी सी कहानी को एक बहुत बड़े मैसेज के साथ दिखाते हैं और आपको सोचने पर मजबूर करते हैं. उनका मुद्दा सिंपल है- जब सोच पर वार होगा तो ही वो बदलेगी. ये फिल्म हमें सिखाती है कि बच्चों को बचपन से ही व्यवहार के बारे में बातें सिखाना जरूरी है. कुल-मिलाकर आपको यूट्यूब पर जाकर We Are One पेज पर इस फिल्म को जरूर देखना चाहिए.