
नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) से ग्रेजुएट और बॉलीवुड सितारे नवाजुद्दीन सिद्दीकी 19वें भारत रंग महोत्सव में हिस्सा लेने के लिए रविवार को एनएसडी में थे. मीडिया से बातचीत में नवाजुद्दीन ने कहा कि थियेटर ने हमेशा मेरे अंदर आत्मविश्वास का संचार किया है. जब मेरे बुरे दिन थे और मैं सिनेमा के लिए संघर्ष कर रहा था, तब भी मुझे नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से ही ताकत मिलती थी. मैं आज भी थियेटर करना चाहता ह़ूं, लेकिन सिनेमा की व्यस्तता के कारण मैं थियेटर नहीं कर पाता.
'हरामखोर' जैसी फिल्मों ने मेरे अंदर के कलाकार को जिंदा रखा: नवाजुद्दीन
साधारण से चेहरे-मोहरे और संकोची स्वभाव का होने के बावजूद बॉलीवुड में सफल सितारा होने के रहस्य के बारे में जब छात्रों ने सवाल किया तो नवाजुद्दीन ने मजाकिया लहजे में कहा कि उनके व्यक्तित्व को सराहना कांस फिल्म फेस्टिवल में तो मिल गई, लेकिन भारत में नहीं. ऐसे में एनएसडी में की गई मेहनत और थियेटर से सीखे अभिनय ने ही उन्हें आगे बढ़ाया. नवाजुद्दीन ने कहा कि मेहनत और अभिनय के आगे सब फीका है.
रविवार को नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा द्वारा आयोजित 19 वें अंतरराष्ट्रीय नाट्य महोत्सव ‘भारत रंग महोत्सव-2017’ में कई भारतीय व विदेशी भाषाओं में पांच नाटकों का मंचन किया गया. इसमें सुरेश भारद्वाज का 'वेलकम जिंदगी', सचिन शिंदे 'हंदाभर चंदन्या', वामन केन्द्री का 'मोहे पिया' और अफगानिस्तान के मोहम्मद जहीर सैंगर के 'दरी' के मंचन को लोगों ने खूब सराहा.