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भगवान कृष्ण की मूरत को परदे पर सबसे पहले यदि किसी ने इस तरह जीवंत बनाया तो वह थे नितीश भारद्वाज. महाभारत में कृष्ण के रूप में उनका किरदार बेहद लोकप्रिय हुआ. नितीश ने पहले उस किरदार को निभाने से इनकार कर दिया था, जिसने उनकी जिंदगी बदल दी.
नितीश के परिवार का हर सदस्य चाहता था कि नितीश डॉक्टर बनें. लेकिन वे इंसानों के डॉक्टर न बनकर जानवरों के डॉक्टर बनना चाहते थे, क्योंकि उन्हें घोड़े और शेरों से बहुत प्यार था. नितीश ने असिस्टेंट वेटरीनेरियन के रूप में एक रेसकोर्स जॉइन कर लिया. लेकिन कुछ समय बाद उन्हें ये जॉब उबाऊ लगने लगा. उन्होंने अपने उन दिनों को याद किया, जब वे कॉलेज में होने वाले प्ले में एक्टिंग और डायरेक्शन करते थे. उन्होंने बच्चों के थिएटर ग्रुप लिटिल थिएटर में ट्रेनिंग भी ली थी. नितीश ने महसूस किया कि हर एक प्ले करने के बाद उन्होंने अपने बारे में और अधिक जाना है. उन्होंने तय कर लिया कि वे ताउम्र एक्टिंग ही करेंगे. हालांकि, नितीश के पिता उनके इस फैसले को लेकर उलझन में थे. उनका ख्याल था कि फिल्म इंडस्ट्री में बिना गॉडफादर के सफल होना असंभव है. फिर भी उन्होंने नितीश का पूरा सहयोग किया.
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नितीश ने अपने एक्टिंग करिअर की शुरुआत मराठी थिएटर से की. बाद में रवि बासवानी उन्हें हिन्दी थिएटर में लेकर आए. इसके बाद नितीश ने थिएटर ग्रुप आंख जॉइन कर लिया. इसके अलावा उन्होंने बॉम्बे दूरदर्शन में अनाउंसर और न्यूज रीडर का काम भी किया. 1987 में नितीश ने मराठी में पहली फीचर फिल्म खात्याल सासू नथाल सन की. इसके बाद हिन्दी में त्रिशंगनी की और फिर उन्हें वह रोल मिला जो उनकी पहचान बन गया. उन्हें महाभारत में बीआर चोपड़ा ने कृष्ण के किरदार के लिए साइन किया. दरअसल, पहले नितीश ने विधुर के रोल के लिए ऑडिशन दिया था. लेकिन बाद में उनसे कहा गया कि अधिकतर एपिसोड में विधुर को बूढ़ा दिखाया जाना है, जबकि वे (नितीश ) सिर्फ 23 साल के हैं. वे युवा हैं. इसके बाद नितीश को नकुल और सहदेव के रोल ऑफर किए गए, लेकिन उन्होंने करने से इनकार कर दिया, क्योंकि उन्हें लगा कि इनमें कुछ भी करने लायक नहीं है.
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दूसरी ओर बीआर चोपड़ा (प्रोड्यूसर), रवि चोपड़ा (डायरेक्टर), पंडित नरेंद्र शर्मा (राइटर) और राही मासूम रजा उस एक्टर के नाम पर सहमत नहीं थे, जो कृष्ण का रोल निभाने वाला था. दरअसर, रवि चोपड़ा नितीश के साथ पहले दो एड शूट कर चुके थे, इसलिए वे उन्हें एक एक्टर के तौर पर जानते थे. इसके अलावा शकुनि की भूमिका निभाने वाले गुफी पेंटल भी उन्हें जानते थे. इस तरह रवि चोपड़ा ने नितीश को कृष्ण के किरदार के लिए ऑडिशन देने को कहा, लेकिन उन्होंने सीधा इनकार कर दिया. इसकी वजह ये थी कि नितीश ने कृष्ण के बारे में बहुत कुछ पढ़ रखा था. उनकी मां विल्सन कॉजेल में साहित्य विभाग की हेड थीं. उन्होंने घर पर भी अपनी लाइब्रेरी बनाई थी. इसलिए नितीश को कृष्ण के बारे में जानने का काफी मौका मिला.
अब नितीश की दुविधा ये थी कि क्या ये प्रोडक्शन हाउस उन्हें उस तरह कृष्ण का किरदार निभाने देगा, जैसा वे कृष्ण के बारे में जानते हैं. उनकी एक दूसरी चिंता यह भी थी कि वे बहुत कम उम्र और अनुभव वाले कलाकार थे. इसलिए उन्हें उस किरदार को निभाना बड़ी जिम्मेदारी लगी, जिस पर पूरा धारावाहिक की खड़ा हुआ है. बीआर चोपड़ा ने नितीश से कहा था, ‘तुम इस सीरियल के आधार स्तम्भ हो, यदि तुम असफल हुए तो मैं असफल हो जाऊंगा’. इसके बाद नितीश ने इस रोल को इतने शिद्दत से किया कि तीन दशक बाद भी उनका नाम सुनते ही उनके द्वारा निभाया कृष्ण का किरदार याद आता है.