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थिएटर में पुलिस ने रोकी आर्टिकल 15 की स्क्रीनिंग? डायरेक्टर ने मांगी मदद

अब जब फिल्म रिलीज हो चुकी है तो पुलिस वाले थियेटर में फिल्म की स्क्रीनिंग रोक रहे हैं. इसका एक वीडियो मीडिया पर वायरल हो रहा है. इस वीडियो को अनुभव ने अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर करते हुए मदद की गुहार लगाई है.

अनुभव सिन्हा और आयुष्मान खुराना अनुभव सिन्हा और आयुष्मान खुराना
aajtak.in
  • दिल्ली,
  • 29 जून 2019,
  • अपडेटेड 8:47 PM IST

आर्टिकल 15 फिल्म को लेकर विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. ट्रेलर रिलीज होने के बाद से इस फिल्म का विरोध किया जा रहा है. कई ब्राह्मण संगठनों ने आरोप लगाया कि फिल्म में उनकी छवि धूमिल की गई है. इसके बाद डायरेक्टर अनुभव सिन्हा को फोन और ईमेल पर धमकी तक दी गई है. जब फिल्म रिलीज हो चुकी है तो पुलिस वाले थियेटर में फिल्म की स्क्रीनिंग रोक रहे हैं. इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इस वीडियो को फिल्म के डायरेक्टर अनुभव स‍िन्हा ने अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर करते हुए मदद की गुहार लगाई है.

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अनुभव सिन्हा ने वीडियो का लिंक शेयर करते हुए लिखा, ''कोई कुछ करेगा? कोई पत्रकार? कोई राजनेता? कोई अधिकारी? '' इस वीडियो में दिख रहा है कि थियेटर के अंदर ऑडियंस बैठी हुई है लेकिन फिल्म नहीं चल रही है. परदे के सामने कई पुलिस वाले खड़े हैं. ऑडियंस में से कई लोग बोल रहे हैं, ''आपने पिक्चर क्यों बंद करवा दी है.'' कोई बोल रहा है ''सर ये तो गलत है.'' इस  दौरान कई लोग जय भीम के नारे भी लगा रहे हैं.

गौरतलब है कि इससे पहले अनुभव सिन्हा ने फिल्म का विरोध करने वालों के लिए अपने ट्विटर अकाउंट पर एक ओपन लेटर लिखा था. इसके माध्यम से उन्होंने बताया था कि यह फिल्म किसी भी तरह  से किसी भी समुदाय का विरोध नहीं करती है. उन्होंने लिखा था, ''देश के सभी ब्राह्मण संगठनों को मेरा नमस्कार. साथ ही करणी सेना को भी. साथ ही मैं इस पत्र के माध्यम से आप के उन सभी सदस्यों को क्षमा भी करता हूं जिन्होंने असहमति और विरोध की  मर्यादाओं का उल्लंघन किया. मेरी हत्या या मेरी बहनों और मेरी दिवंगत मां के बलात्कार की धमकियों से संवाद नहीं हो सकता.

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''मेरा विश्वास है कि आप में से अधिकतर लोग इस प्रकार के विरोध का सामना नहीं करेंगे. सबसे पहले मैं आपको ये समझा दूं कि किसी भी फिल्म का ट्रेलर उसकी पूरी कहानी नहीं कह पाता. सम्भव नहीं है. फिल्म के बहुत से टुकड़ों को जोड़कर एक आकर्षक कहानी बताने का प्रयास होता है. कोई भी फिल्म किसी भी समाज का निरादर करने का प्रयास करेगी ऐसी सम्भावना कम है.''

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