
पुणे की एक अदालत ने फिल्म ‘पद्मावती’ के निर्देशक संजय लीला भंसाली और फिल्म के लीड कलाकारों समेत छह प्रतिवादियों को ‘कारण बताओ’नोटिस जारी किया है. इन सभी को मंगलवार को अदालत में पेश होने के लिए कहा गया है. वकील सुदीप केंजलकर और स्मिता पडोले ने मुकदमा दायर कर फिल्म ‘पद्मावती’ की पुणे जिले में रिलीज पर रोक लगाने की मांग की है.
सुदीप केंजलकर ने ‘आज तक/इंडिया टुडे’ से उस कारण पर बात की, जिसकी वजह से पुणे सिविल कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराने की जरूरत पड़ी. सुदीप ने कहा, ‘फिल्म पद्मावती के ट्रेलर, जो कि सोशल मीडिया पर वायर हो चुका है, में रानी पद्मावती को लोगों के सामने नृत्य करते दिखाया गया है, वो भी बिना घूंघट के. हकीकत में इतिहास में इस तरह की कोई घटना नहीं हुई और ना ही कहीं इसका कोई सबूत है.’
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पुणे कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले इन दोनों वकीलों का मानना है कि अगर इतिहास से छेड़छाड़ करने वाली इस तरह की फिल्म पुणे जैसे ऐतिहासिक शहर में रिलीज होती हैं तो लोगों की भावनाएं आहत होंगी और शांतिपूर्ण समाज में हिंसा होने की संभावना है और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान भी पहुंच सकता है. वकीलों ने कहा कि ‘रानी पद्मावती’ को राजपूत और क्षत्रिय समाज वैसे ही पूजता है जैसे कि महाराष्ट्रवादी मां जिजाऊ और रानी लक्ष्मीबाई का सम्मान करते हैं.
वकील स्मिता पडोले के मुताबिक ये दूसरा मौका है जब फिल्मकार संजय लीला भंसाली और उसकी टीम ने इतिहास से छेड़छाड़ की है. पडोले ने कहा, ‘पिछली बार उन्होंने ‘बाजीराव मस्तानी’ में काशीबाई (बाजीराव की पत्नी) और मस्तानी (प्रेमिका) को सार्वजनिक तौर पर एक साथ नृत्य करते दिखाया था. हकीकत में पेशवा इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ. अब एक बार फिर भंसाली अपनी इच्छानुसार इतिहास से खिलवाड़ कर रहे हैं, वो भी सिर्फ मनोरंजन और आर्थिक फायदे के लिए. इसीलिए विवादित फिल्म की पुणे में रिलीज पर रोक लगाने के लिए कोर्ट से निवेदन किया गया है.’
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पुणे सिविल कोर्ट ने सेक्शन 91 सीपीसी (सिविल प्रोसीजर कोड 1908) के तहत सुदीप और पडोले को मुकदमा दर्ज करने की अनुमति दी. साथ ही भंसाली प्रोडक्शन्स और स्टार कास्ट के सदस्यों को शो काज (कारण बताओ) नोटिस जारी किया और 21 नवंबर को अदालत में पेश होने का आदेश दिया.